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29 लोगों को खुदकुशी से बचाने वाला मछुआरा

१० जनवरी २०१७

रिनाटो ग्रबिच बेलग्रेड के एक मछुआरे हैं और साथ ही अपना रेस्तरां भी चलाते हैं. लेकिन सिर्फ यही इनका परिचय नहीं है. ग्रबिच खुदकुशी की कोशिश करने वालों की जान बचाते हैं.

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Eis auf der gefrorenen Donau bei Belgrad, Serbien
तस्वीर: dapd

 55 वर्षीय यह एथलीट उन लोगों की जान भी बचाते हैं जो डेन्यूब नदी में कूदकर जान देने की कोशिश करते हैं. अब तक रिनाटो 29 लोगों को खुदकुशी करने से बचा चुके हैं.  हाल में ही इन्होंने एक 16 साल की लड़की को डूबने से बचाया था.

वर्ष 1946 में बने पेनसिवो ब्रिज को सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड के हताश लोगों की पहली पसंद माना जाता है. वर्ष 2014 तक सर्बिया की इस राजधानी में केवल सड़क और रेलवे पुल से ही डेन्यूब नदी की पार किया जा सकता था.

हालांकि शहर का मुख्य बैंकरोव पुल भी आत्महत्या की कोशिश करने वालों को आकर्षित करता है लेकिन ग्रबिच के मुताबिक ये डेन्यूब नदी के सामने महज एक छोटा सा तालाब या पूल नजर आता है.

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डेन्यूब नदी यूरोप के 10 देशों से बहती हुई बड़ी आकर्षक और मनमोहक नजर आती है. लेकिन यूरोप की यह दूसरी सबसे बड़ी नदी कई किलोमीटर तक तो किसी को भी बहाकर ले जा सकती है, और जाड़े में तो इसका तापमान कभी कभार ही शून्य से अधिक होता है.

रिनाटो ग्रबिच पिछली चार पीढ़ियों से इस नदी किनारे बने अपने घर में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि कुछ लोग दिल के दौरे से भी जान गवां बैठते हैं. दो साल पहले एक 73 वर्षीय बुजुर्ग की मौत पानी में 66 फुट अंदर नीचे चले जाने के कारण हो गई थी. जो नहीं डूबते या बचे रहते हैं वे चिल्लाते या तैरते हैं.

हर साल प्रशासन सर्बिया के पुलों से खुदकुशी की कोशिश करने जैसे तकरीबन 25 से 30 मामले दर्ज करता है. ग्रबिच कहते हैं कि उनका 90 फीसदी समय मछली पकड़ने में बीतता है, लेकिन पिछले दो दशकों मे जिन भी लोगों को उन्होंने खुदकुशी करने से बचाया है उससे उन्हें एक नई पहचान मिली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2012 के डेटा मुताबिक, खुदकुशी के मामले में सर्बिया का स्थान यूरोपीय देशों में तीसरा है.

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ग्रबिच ने बताया कि जिन 29 लोगों की उन्होंने जान बचाई, उनमें से एक पोस्टमैन ने दोबारा खुदकुशी की कोशिश करते हुए अपनी जान गवां दी. उन्होंने बताया कि आज से 17-18 साल पहले उन्होंने पहली बार एक जवान लड़के की जान बचाई थी. उस पल को याद करते हुए ग्रबिच बताते हैं कि उस दिन उन्हें बहुत कोशिशें करनी पड़ी थी और उस लड़के से अपना हाथ देने के लिए उसके सामने गिड़गिड़ाना ही पड़ गया था. हालांकि जिन 29 लोगों की जान ग्रबिच ने बचाई, उनमें से सिर्फ दो ही महिलाओं का संपर्क आज ग्रबिच से है. ग्बिक ने बताया कि इनमें से आज एक मां बन चुकी है और अब वह यह समझ चुकी है कि जिदंगी जितना वह समझती थी उससे भी ज्यादा कीमती है. वहीं दूसरी महिला एक मनोरोग विशेषज्ञ है जिसने मुलाकात में ग्रबिच से कहा था कि आज तक इन्होंने जिनकी भी जान बचाई है वे उनके बहुत अहसानमंद है लेकिन सामना करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं.

एए/वीके (एफपी)