कौन सा देश कब छोड़ेगा पेट्रोल-डीजल वाहन
यूरोपीय संघ ने 2035 तक जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद करने के समझौते को पारित कर दिया है. देखिए, कौन-कौन से देश कब जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद कर देंगे.
यूरोपीय संघ में 2035 तक
यूरोपीय संघ के 27 देशों के बीच 2035 तक जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद करने को लेकर समझौता हो गया है. उसके बाद से सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही यूरोप की सड़कों पर चल पाएंगे.
नॉर्वे सबसे आगे
पेट्रोल और डीजल आदि से चलने वाले वाहनों को सड़कों से हटाने के मामले में नॉर्वे सबसे आगे है. 2025 के बाद से वहां वही वाहन बेचे जाएंगे जो इलेक्ट्रिक बैट्री या फिर हाइड्रोजन पर चलते हों. 2022 में वहां कुल कार बिक्री का 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन थे.
ब्रिटेन, इस्राएल, सिंगापुर
ये तीनों देश 2030 तक इंटरनल कंबस्चन इंजन (ICE) वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद कर देना चाहते हैं. ब्रिटेन में नई ‘हरित औद्योगिक क्रांति‘ की योजना बन रही है, जिसके तहत हजारों नौकरियां पैदा करने की कोशिश है.
चीन का हाल
इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के मामले में चीन बाकी देशों से आगे है. वहां सैकड़ों कंपनियां इलेक्ट्रिक कारें बना रही हैं और उन पर भारी सब्सिडी भी दी जा रही है. दुनिया का सबसे बड़ा प्रदूषक चीन 2035 तक अधिकतर आईसीई वाहनों को हटा लेना चाहता है. लेकिन 2025 तक कुल बिक्री का सिर्फ 20 फीसदी ही इलेक्ट्रिक होने का अनुमान है.
अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की क्लाइमेट योजना के तहत 2030 तक कुल बिक्री की आधी कारें शून्य उत्सर्जन करने वाली होने का लक्ष्य तय किया गया है. लेकिन इस लक्ष्य में हाइब्रिड कारों को भी शामिल किया गया है, जिनमें पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ-साथ बैट्री होती है.
नीदरलैंड्स, स्वीडन और आयरलैंड
इन तीनों देशों के लक्ष्य बाकी यूरोप से ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं. यूरोपीय संघ के सदस्य होने के बावजूद वे 2030 तक अपने यहां से आईसीई वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
जापान
जापान कारों की बड़ा निर्माता है. हाइब्रिड कारों के मामले में टोयोटा दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक है. इसके बावजूद 2022 में जापान की कुल कार बिक्री का मात्र 1.7 फीसदी इलेक्ट्रिक कारें थीं. 2030 तक सरकार आइस वाहनों को सड़कों से हटाना चाहती है लेकिन हाइब्रिड कारें इनमें शामिल नहीं हैं.
भारत
भारत में कारों की बिक्री और तेज होने की संभावना है. प्रदूषण की मार से जूझ रहे भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक देश की कुल कार बिक्री का 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन हों.
चिली
चिली लीथियम के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जो कारों के लिए बैट्री बनाने में काम आता है. उसका लक्ष्य है कि 2035 तक देश में आईसीई वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए.