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समाज

अमेरिका-चीन तनाव का भारत पर होगा असर: ईईपीसी

२ अप्रैल २०१८

अमेरिका और चीन दोनों ही भारतीय इंजीनियरिंग उत्पादों के बड़े बाजार हैं. ऐसे में दोनों के बीच चल रही व्यापारिक जंग का असर भारत पर भी पड़ सकता है.

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China Containerschiff
तस्वीर: picture alliance/AP Images/CHINATOPIX

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक हितों को लेकर तनाव नहीं गहराएगा, क्योंकि इससे भारत का व्यापार प्रभावित होगा.  ईईपीसी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का इंजीनियरिंग उत्पाद निर्यात 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2017-18 के आरंभिक 11 महीनों (अप्रैल-फरवरी) में अमेरिका को 47 फीसदी से ज्यादा और चीन को 76 फीसदी रहा. ईईपीसी के अध्यक्ष रवि सहगल ने एक बयान में कहा, "अमेरिका और चीन के व्यापारिक हितों के टकराव से पैदा हुए वैश्विक व्यापार तनाव में हमारे खतरे बड़े हैं. हम इस दोतरफा जंग में नहीं फंसना चाहेंगे."

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इस्पात और अल्युमीनियम पर आयात शुल्क लगाने और विभिन्न निर्यात संवर्धन स्कीमों को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत के खिलाफ शिकायत भारतीय निर्यात क्षेत्र के लिए चुनौती पूर्ण मसले होंगे. पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस्पात पर 25 फीसदी और अल्युमीनियम पर 10 फीसदी आयात कर लगाकर वैश्विक व्यापार जंग की संभावना बढ़ा दी.

ईईपीसी के बयान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 के आरंभिक 11 महीनों में भारत के इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात अमेरिका को पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6.25 अरब डॉलर से बढ़कर 21 अरब डॉलर हो गया. हालांकि मूल्य के संदर्भ में कम लेकिन फिर भी भारत ने इसी अवधि में पिछले साल के 1.62 अरब डॉलर के मुकाबले इस साल 2.8 अरब डॉलर का इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात चीन को किया है. भारत ने फरवरी 2018 में भी सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात अमेरिका को किया. अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में इस्पात, औद्योगिक मशीनरी, नॉन-फेरस मेटल और ऑटोमोबाइल के उत्पाद हैं.

वहीं, भारत के शीर्ष उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि अमेरिका के साथ 150 अरब डॉलर का देश का सालाना व्यापार घाटा भारत को वैश्विक व्यापार जंग की स्थिति में जवाबी कार्रवाई करने की इजाजत नहीं देगा. उद्योग संगठन का सुझाव है कि भारत को निर्यात प्रभावित होने पर द्विपक्षीय वार्ता और डब्ल्यूटीओ के जरिए रास्ता तलाशना होगा.

आईएएनएस/आईबी