आईएस से बदला लेने निकल पड़ी हैं कुर्द लड़कियां
११ नवम्बर २०१६काजीवार एक कुर्दिश फाइटर हैं जो आईएस के खिलाफ लड़ रही हैं. वह कहती हैं, "हमारा विमिंज प्रोटेक्शन यूनिट में होना उन महिलाओं का बदला है जो शिंजार (इराक) में अगवा की गईं और बाजारों में बेची गईं."
विमिंज प्रोटेक्शन यूनिट जिसे वाईपीजे कहा जाता है, रक्का में जारी युद्ध में पुरूष यूनिट्स के बराबर लड़ रही है. पिछले शनिवार को जो हमला शुरू हुआ है, उसमें वाईपीजे बराबर की हिस्सेदार है. रक्का को इस्लामिक स्टेट ने अपनी राजधानी बना रखा है और शनिवार से उस पर दोबारा कब्जा करने की जंग हो रही है.
तस्वीरों में मिलिए, इन कुर्द लड़ाकियों से
रक्का में बहुत ठंड है, इसलिए काजीवार ने अपनी सैनिक वर्दी पर ट्रैक जैकेट पहन रखी है. उन्होंने हथियार पांच साल पहले उठाए थे. सुन्नी मुस्लिम आतंकवादियों के खिलाफ तब से वह कई जंग लड़ चुकी हैं. ऐसी ही एक लड़ाई में उन्होंने अपनी बेहद अजीज दोस्त बहरीन जिया को खो दिया था. अपनी गाड़ी के शीशे में वह हमेशा जिया की तस्वीर लगाकर रखती हैं.
आईएस के खिलाफ इस जंग में सैकड़ों कुर्दिश महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. सीरिया और इराक में 2014 से आईएस ने कई इलाकों पर कब्जा कर रखा है. इन इलाकों से महिलाओं को अगवा करके उन्हें यौन दासी बना लिया गया और बेचा तक गया. यूएन के मुताबिक अब भी 3200 यजीदी आईएस के कब्जे में हैं. इनमें से ज्यादातर सीरिया में हैं.
काजीवार कहती हैं कि आईएस के लड़ाके इस बात को बहुत शर्मनाक मानते हैं कि वे किसी औरत के हाथों मारे जा सकते हैं. उनका कहना है कि यह बात इस्लाम में हराम है. काजीवार बताती हैं, "जब वे हमारी आवाजें सुनते हैं तो बहुत डर जाते हैं. हम फ्रंट पर जब भी आगे बढ़ते हैं तो चिल्लाते हुए चलते हैं."
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एक अन्य लड़ाकी रोजदा कहती हैं कि उनकी जीत इतिहास रच रही है. वह कहती हैं, "सेना के मामलों में अक्सर लोग महिलाओं को कम करके आंकते हैं और दावा कहते हैं कि हम बहुत नाजुक हैं, हम बंदूक या छुरा नहीं उठा पाएंगी. लेकिन आप देख सकते हैं कि वाईपीजे में हम सारे ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती हैं और मोर्टार भी चलाना जानती हैं."
गर्व भरी मुस्कुराहट के साथ रोजदा कहती हैं कि हम अपनी मांओं और बहनों को सुरक्षित रखने के लिए लड़ रही हैं.
वीके/एके (एएफपी)