आत्मघाती हमलावरों ने किए श्रीलंका में बम धमाके
२२ अप्रैल २०१९श्रीलंका में ईस्टर रविवार को हुए बम हमलों की जांच कर रहे फोरेंसिक क्राइम जांचकर्ता अरियानंदा वेलियंगा ने बताया कि ज्यादातर हमले उन सात में से एक हमलावर ने ही अंजाम दिए. कोलंबो के शंग्रीला होटल में भी उसी ने बम फोड़े. पुलिस के प्रवक्ता रुवान गुनासेकरा ने बताया कि ईस्टर रविवार को आठ जगहों पर हुए बम हमलों में अब तक कम से कम 290 लोगों की जान जा चुकी है और 500 के करीब लोग जख्मी हैं.
सन 2009 में श्रीलंका ने करीब तीन दशकों से चले आ रहे गृह युद्ध को खत्म करने में कामयाबी पाई थी. करीब 70 फीसदी सिंघली लोगों के देश में अलगाववादी गुट 'तमिल टाइगर्स' के नेतृत्व में एथनिक तमिल अल्पसंख्यक आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे. तमिल आबादी में हिंदू, मुसलमान और ईसाई हैं, जबकि सिंघली लोग ज्यादातर बौद्ध होते हैं.
पुलिस की जांच में अब उन रिपोर्टों पर भी गौर किया जा रहा है जिनमें देश की गुप्तचर एजेंसियों को संभावित हमले के बारे में चेतावनी मिलने की बात कही गई है. श्रीलंका सरकार के दो मंत्रियों ने भी इंटेलिजेंस में चूक की ओर इशारा किया है. टेलिकॉम मंत्री हरिन फर्नैंन्डो ने ट्वीट किया, "खुफिया सेवा के कुछ अधिकारियों को इस घटना की खबर थी. उन्होंने कोई कदम उठाने में देरी की. ऐसी चेतावनी को नजरअंदाज करने के लिए उनके खिलाफ गंभीर कदम उठाना चाहिए." खुद फर्नैंन्डो को उनके पिता ने हमले की संभावना के चलते लोकप्रिय चर्चों में ना जाने की सलाह दी थी.
राष्ट्रीय एकीकरण मंत्री मानो गणेशन ने बताया कि उनके मंत्रालय के सुरक्षा अधिकारियों को भी ऐसे दो आत्मघाती हमलावरों के बारे में चेतावनी मिली थी जो नेताओं को निशाना बना सकते हैं. पुलिस के प्रवक्ता रुवान गुनासेकरा ने कहा कि हमलों की जांच में लगा पुलिस का आपराधिक जांच विभाग इन सब चेतावनियों की भी जांच करेगा.
देश के रक्षा मंत्री रुवान विजेवरदेना ने इन हमलों को धार्मिक चरमपंथियों की ओर से किया गया आतंकी हमला बताया. पुलिस ने बताया कि 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन अब तक किसी समूह ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है.
कभी देश में बहुत ताकतवर रहे संगठित विद्रोही गुट तमिल टाइगर्स को उनके आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता था. सन 2009 में सरकारी बलों ने उन्हें कुचल डाला था और वे ईसाईयों को निशाना नहीं बनाते थे.
हालांकि हाल के सालों में बौद्ध राष्ट्रवादियों की तरफ से देश में मुसलमान विरोधी भावनाएं फैलाई जा रही हैं, लेकिन देश में किसी हिंसक मुस्लिम गुट के सक्रिय होने की कोई खबर नहीं है. देश में बहुत ही छोटा ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय रहता है और हाल के सालों में उन्हें निशाना बनाए जाने की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है.
राजधानी कोलंबो और उसके आस पास की जगहों पर हुए हमलों में चर्च और होटलों को भारी नुकसान पहुंचा है. कोलंबो के ठीक बाहर स्थित नेगोंबो के मुर्दाघर के कर्मचारी ने बताया कि वहां लाए गए सेंट सेबास्चियन चर्च के हताहतों की हालत खराब है और उनके चेहरे पहचानना बहुत मुश्किल है. मारे गए लोगों में ज्यादातर श्रीलंका के लोग थे. लेकिन जिन तीन होटलों और सेंट एंथनी चर्च पर हमला हुआ, वहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं. श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि मरने वालों में कम से कम 27 विदेशियों के शव बरामद हुए हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, पुर्तगाल और भारत ने अपने नागरिकों ने हमले की चपेट में आने की बात कही है.
कोलंबो में सोमवार की सुबह सड़कें सुनसान और दुकाने बंद रहीं. सेना और पुलिस बल की भारी तैनाती की गई है. रात भर लगे कर्फ्यू को सुबह हटा लिया गया लेकिन देश में अधिकतर सोशल मीडिया साइट्स ब्लॉक ही रखी गई हैं. श्रीलंका की आबादी तकरीबन 2.1 करोड़ के करीब है. प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने इस बात की आशंका जताई कि इस जनसंहार से देश में अस्थिरता लाने की कोशिश की गई है और वे इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई कसर नहीं रखेंगे.
आरपी/एए (एपी, एएफपी)