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अंतरिक्ष में दिखा अचूक धमाका, खूबसूरती से दंग हैं वैज्ञानिक

१६ फ़रवरी २०२३

खगोलशास्त्रियों ने अंतरिक्ष में एक ऐसी घटना देखी है, जिसे सबसे अचूक धमाका कहा जा सकता है. एक विशाल और बिल्कुल गोलाकार धमाका, जो दो न्यूट्रॉन स्टार के मिलन से हुआ. न्यूट्रॉन स्टार, तारों के बेहद सघन बचे टुकड़े होते हैं.

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Illustration einer Kilonova
तस्वीर: Albert Sneppen/REUTERS

यह "परफेक्ट एक्सप्लोजन" इन दोनों न्यूट्रॉन स्टार के सिकुड़कर ब्लैक होल बनाने के ठीक पहले हुआ. शोधकर्ताओं ने पहली बार ऐसे धमाके की रुप-रेखा बताई है. इसे किलोनोवा कहा जाता है. जब न्यूट्रॉन स्टारों का विलय होता है, तब किलोनोवा होता है. इसमें चमकीले पदार्थ का तेजी से बड़ा हो रहा आग का गोला बनता है.

तेज रफ्तार में एक-दूसरे के साथ टकराने और धमाका होने से पहले अरबों साल से ये एक-दूसरे की परिक्रमा कर रहे थे. यह खगोलीय घटना एनजीसी 4993 नाम के गैलेक्सी में हुई, जो धरती से करीब 14-15 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. एक साल में प्रकाश करीब साढ़े नौ लाख करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करता है. इसे एक लाइट ईयर कहते हैं.

2017 में दिखा था यह विस्फोट

ब्रह्मांड में किलोनोवा धमाका होता है, यह बात 1974 में सामने आई थी. इसकी पुष्टि 2013 में हुई. यह तो पुख्ता हो गया कि ऐसा धमाका होता है, लेकिन यह कैसा होता है, कैसा दिखता है, यह नहीं मालूम था. फिर 2017 में खगोलशास्त्रियों को अंतरिक्ष में ऐसा एक धमाका दिखा और इसपर विस्तृत शोध हुआ. यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेट्री के चिली स्थित विशाल टेलिस्कोप की मदद से इसका अध्ययन किया गया. अब जर्नल नेचर में इस शोध की रिपोर्ट छपी है.

जर्मनी के गायर्सवाल्डे में डूबता सूरज
जर्मनी के गायर्सवाल्डे में डूबता सूरजतस्वीर: picture alliance/Andreas Franke

शोध के मुख्य लेखक अल्बर्ट स्नेप्पेन, कोपेनहेगन के कॉस्मिक डॉन सेंटर में एस्ट्रोफिजिस्ट हैं. उन्होंने बताया, "यह कई तरीके से एक परफेक्ट धमाका है. यह बेहद खूबसूरत है. ना केवल सुंदरता को देखने के लिहाज से, बल्कि इसके आकार की सरलता, इसकी अहमियत, हर लिहाज से ये बहुत सुंदर है." स्नेप्पेन ने आगे कहा, "सौंदर्यपरकता के लिहाज से, किलोनोवा जो रंग छोड़ता है, वो सूरज जैसे ही दिखते हैं, लेकिन सूरज से कहीं बड़े आकार का होने की वजह से इसका सतही इलाका भी ज्यादा है. प्राकृतिक तौर पर यह गोलाकार धमाका खुद में असामान्य फिजिक्स समेटे है, जो कि इस विलय का केंद्र है."

परमाणु धमाके से भी ताकतवर

इससे पहले शोधकर्ताओं ने कल्पना की थी कि किलोनोवा शायद चपटे डिस्क जैसा दिखता होगा. कॉस्मिक डॉन सेंटर में एस्ट्रोफिजिस्ट और शोध के सह-लेखक डराख वॉटसन बताते हैं, "इन घटनाओं की अतिरेक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर देखें, तो यह परमाणु धमाके से भी कहीं ज्यादा ताकतवर है. एटॉमिक न्यूक्लियस से कहीं अधिक घनत्व, अरबों डिग्री का तापमान और इतने ताकतवर चुंबकीय क्षेत्र कि अणुओं का भी आकार बदल दें. हो सकता है इससे जुड़ा आधारभूत फिजिक्स हो, जो अभी हम नहीं जानते-समझते."

धरती पर भी हो सकता है सूरज जैसा ऊर्जा का स्रोत

इन दोनों संबंधित न्यूट्रॉन स्टार का जमा द्रव्यमान हमारे सूरज से करीब 2.7 गुना ज्यादा है. इनका सफर सामान्य सितारों की तरह शुरू हुआ. ये बायनरी कहे जाने वाले टू-स्टार सिस्टम का हिस्सा थे. ईंधन खत्म हो जाने के बाद दोनों में धमाका हुआ और वो सिकुड़ गए. पीछे रह गए छोटे और बेहद घने कोर, जिसका व्यास तो करीब 20 किलोमीटर ही है, लेकिन इसमें सूरज से ज्यादा द्रव्यमान संचित है.

एक अरब सूरज के बराबर रोशनी

धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के नजदीक खिंचते गए, तेज रफ्तार में परिक्रमा करने लगे. दोनों में फैलाव हुआ और एक-दूसरे के गुरुत्वीय क्षेत्र की ताकत के कारण विलय से ठीक पहले के आखिरी चंद सेकेंडों में दोनों अलग छिटके. उनके अंदरूनी हिस्से प्रकाश की गति की एक-चौथाई रफ्तार से टकराए और इसके कारण ब्रह्मांड के सबसे प्रचंड चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण हुआ.

इस धमाके के कारण कुछ दिनों तक करीब एक अरब सूरज के बराबर रोशनी निकलती रही. दोनों ने कुछ समय के लिए एक बड़ा न्यूट्रॉन स्टार बनाया और फिर मिलकर ब्लैक होल बन गए. इस प्रक्रिया के दौरान घनत्व और तापमान इतना प्रचंड था कि कई भारी तत्वों का निर्माण हुआ. इनमें सोना, प्लैटिनम, आर्सेनिक, यूरेनियम और आयोडिन शामिल हैं.

एसएम/एमजे (रॉयटर्स)