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ब्रिटेन के पहले अफगान-सिख मॉडल का चुनौती भरा सफर

स्वाति बक्शी
५ नवम्बर २०२१

करंजी गाबा ब्रिटेन के पहले अफगान-सिख मॉडल हैं. ब्रिटेन में बहुत से सिख रहते हैं, लेकिन एक गैर-भारतीय सिख के तौर पर उनका पेशेवर सफर, सांस्कृतिक पहचान के संकट से जूझते एक युवा की कहानी है.

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Afghan Sikh Fashion Model Karanjee Gaba
तस्वीर: Privat

लंदन में एक बड़ी फैशन रीटेल कंपनी के स्टोर में पगड़ी पहने एक सिख मॉडल की तस्वीर दिखना किसी अनोखी घटना से कम नहीं है. हालांकि तस्वीर ये नहीं बता सकती कि दीवार पर चस्पा उस शख्स ने ये सफर कैसे तय किया.

यह सफर है नौ साल की उम्र में अफगानिस्तान की सरहदें पार कर ब्रिटेन में कदम रखने वाले करंजी गाबा का. अब 23 साल के हो चुके करंजी ब्रिटेन में पहला अफगान-सिख फैशन मॉडल बनकर अपने जैसे युवाओं के सपनों को हवा दे रहे हैं. वह इस पहचान के साथ आगे बढ़ने का इरादा रखते हैं लेकिन एक अफगान-सिख रिफ्यूजी के तौर पर ब्रिटिश शहरों में बीते 14 सालों ने उन्हें कुछ ऐसे अनुभव करवाए जिसने उनके नजरिए को तराशा.

Afghan Sikh Fashion Model Karanjee Gaba
तस्वीर: Privat

सोलहवीं सदी से अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों के परिवार राजधानी काबुल समेत गजनी, जलालाबाद और बहुत सीमित रूप से कंधार में रहते हैं. 1980 के दशक में अफगान-सिखों की जनसंख्या लाखों में अनुमानित है जो नब्बे के दशक में हिंसाग्रस्त देश से हुए पलायन के चलते अब पांच सौ परिवारों से भी कम बताई जाती है.

अफगान-सिख पहचान का संकट

अफगान-सिखों के ब्रिटेन में पनाह लेने का सिलसिला नब्बे के दशक में तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद से चल रहा है. करंजी बताते हैं कि उनका परिवार जलालाबाद शहर में कई पुश्तों से रह रहा था लेकिन 2007 में उनके पिता ने हिंसा के डर से देश छोड़कर ब्रिटेन में शरण लेने का फैसला किया. रिफ्यूजी बन कर आए नौ साल के करंजी ने पहले कुछ महीने लिवरपूल शहर में बिताए. बाद में वुल्वरहैंप्टन से होते हुए लंदन में उनका परिवार साउथॉल में बस गया जहां उन्हीं जैसे कई अफगान-सिख परिवार रहते हैं.

अपने शुरुआती अनुभव बांटते हुए करंजी कहते हैं "मुझे पता ही नहीं था मैं क्या कर रहा हूं. अंग्रेजी आती नहीं थी, ऊपर से मेरा पग पहनना स्कूल में मुसीबत बना रहा. मेरे पिता पर लोगों ने सड़क पर पत्थर फेंके. छह महीने के बाद हम वुल्वरहैंप्टन पहुंचे जहां मैंने अंग्रेजी बोलना सीखा. वहीं पहली बार मेरे दो-तीन दोस्त भी बने.”

अफगानिस्तान से आए सिख के तौर पर ब्रिटेन में जीना इतना मुश्किल होगा इसका अंदाजा करंजी के परिवार को नहीं था. अफगानी, गैर-मुसलमान और गैर-भारतीय, ये पहचान ब्रिटेन में लोगों को समझा पाना आसान नहीं था.

Afghan Sikh Fashion Model Karanjee Gaba
तस्वीर: Privat

जिस बात ने उन्हें सबसे ज्यादा उलझन में डाला, वो थी भारतीय सिखों का व्यवहार. अफगानी परिवार होने के नाते करंजी के घर में हिंडको बोली जाती है, पंजाबी नहीं. रस्मो-रिवाज भी अलग हैं और तौर-तरीके भी. ऐसे में एक तरफ पराए देश में ब्रिटिश जीवन-शैली में ढलने का दबाव था और दूसरी तरफ भारतीय सिख ना होने के चलते जातीय पहचान की दुविधा.

करंजी कहते हैं कि "भारतीय-सिखों ने हम जैसे अफगानी-सिखों के शरणार्थी के तौर पर यहां आने को लेकर बहुत टीका-टिप्पणियां कीं. मुझे गुरुद्वारे के अंदर जाने से भी रोका गया. गुरुनानक ने समानता के जिन मूल्यों का संदेश दिया, भारतीय-सिख समुदाय ठीक उसका उल्टा कर रहा था. समझ नहीं आता था कि मैं हूं कौन- भारतीय नहीं हूं पर सिख हूं, अफगानी रिवाज मेरे वजूद का हिस्सा हैं लेकिन मैं अफगानी भी नहीं हूं." करंजी ने अपनी इसी उलझी हुई पहचान को आधार बनाकर ही प्रोफेशनल दुनिया में आगे बढ़ने का फैसला किया. 

सिख पहचान और फैशन

फैशन में ज्यादा दिलचस्पी आम दक्षिण एशियाई घरों में बच्चों के बिगड़ने का सबब मानी जाती है. करंजी का घर भी इससे जुदा नहीं था. कपड़ों की तरफ उनके जबरदस्त रुझान को देखते हुए माता-पिता टीका-टिप्पणी करते और कोई ढंग की नौकरी करने की हिदायत देते. लेकिन करंजी ने अपने कदम बढ़ा दिए थे मॉडलिंग के रास्ते पर. ऐसा नहीं था कि एकदम से लोगों ने उन्हें हाथों-हाथ ले लिया हो. काम मिलने से पहले खींची गईं शुरुआती तस्वीरें करीब दो साल तक सोशल मीडिया पर पड़ी रहीं लेकिन एक बार जो लंदन फैशन वीक में शिरकत का मौका मिला तो करियर की गाड़ी चल पड़ी.

फैशन मॉडल के तौर पर काम करने को लेकर करंजी का नजरिया उनकी सांस्कृतिक पहचान को लेकर जिए गए उन सालों ने तराशा है जिनमें उनके वजूद पर सवाल उठे. वो बहुत स्पष्ट तरीके से बताते हैं कि कैमरे के सामने मॉडल बनकर खड़े होने में उनका मकसद खुद को अपनी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान  के साथ सामने रखना है. वो दुनिया को बताना चाहते हैं कि उनकी सांस्कृतिक पहचान में इतिहास की परतें छिपी हैं जिनके बारे में ब्रिटेन में समझ पैदा किए जाने की जरूरत है. करंजी को मालूम है कि वो सिर्फ अपना निजी करियर नहीं बना रहे बल्कि एक ऐसा रास्ता तैयार कर रहे हैं जिससे उन जैसे युवाओं के सपनों की राह आगे शायद थोड़ी आसान हो जाए. यही वजह रही कि किसी खास फोटो शूट के सिलसिले में एक बार जब उन्हें अपने बाल काटने को कहा गया तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया.

मॉडलिंग के अलावा करंजी फिल्में बनाते हैं और फोटोग्राफी का भी शौक रखते हैं. ब्रिटेन आने के बाद से उन्होंने अफगानिस्तान में कदम नहीं रखा क्योंकि उनका वीजा इसकी इजाजत नहीं देता लेकिन जड़ों से जुड़े रहने का कोई एक नुस्खा नहीं है. करंजी ने अपने इरादों की कामयाबी से ये साबित कर दिया है कि फैशन की चकाचौंध का इस्तेमाल प्रवासी जिंदगी की मुश्किलों और चुनौतियों को भुलाने की बजाए उन पर रोशनी डालने के लिए किया जा सकता है. ये मुश्किल हो सकता है लेकिन नामुमकिन बिल्कुल नहीं है.

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