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समाज

भारत और पाकिस्तान जाएंगी वेंडी शरमन

२८ सितम्बर २०२१

अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन अगले महीने भारत और पाकिस्तान के दौरे पर जा रही हैं. सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान का सत्तारोहण इस यात्रा के केंद्र में होगा.

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तस्वीर: Getty Images

अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन अगले महीने भारत और पाकिस्तान का दौरा करेंगी. अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए के प्रमुख बिल बर्न्स ने हाल ही में पाकिस्तान दौरा किया है जिसके बाद शरमन सबसे उच्च अमेरिकी अधिकारी होंगी जो भारत के पड़ोसी देश जा रही हैं.

शरमन 7-8 अक्टूबर को पाकिस्तान में होंगी जहां वह वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगी. उससे पहले 6-7 अक्टूबर को वह भारत में रहेंगी. अपने दौरे पर शरमन दिल्ली और मुंबई जाएंगी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक वह अमेरिका-भारत बिजनस काउंसिल की सालाना ‘आइडियाज समिट' को संबोधित करेंगी. शरमन भारत के सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगी.

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अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था. पाकिस्तान को तालिबान का करीबी माना जाता है. उधर भारत, जो पश्चिम समर्थक लोकतांत्रिक अफगान सरकार की मदद कर रहा था, तालिबान को लेकर लगातार अपनी चिंताएं जताता रहा है. उसने अफगानिस्तान की स्थिति में पाकिस्तान की भूमिका पर नजर रखने की भी अपील की है.

1996 से 2001 तक जब तालिबान पिछली बार अफगानिस्तान पर काबिज था, तब भी पाकिस्तान ही उसका सबसे बड़ा समर्थक था. अमेरिका भी पाकिस्तान पर तालिबान की अंदरखाने मदद का आरोप लगाता रहा है.

‘बलि का बकरा'

पाकिस्तान का कहना है कि उस पर लगाए जा रहे इल्जाम अन्यायपूर्ण हैं. सोमवार को अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का एक लेख छपा है जिसमें उन्होंने अपने देश को बलि का बकरा बनाए जाने का आरोप लगाया है.

खान ने लिखा है, "अफगानिस्तान में बाहरियों द्वारा चलाए जा रहे युद्ध को वैधता नहीं मिल पाई थी, जो एक भ्रष्ट और नाकाबिल सरकार के कारण और बढ़ गई जिसे विशेषकर ग्रामीण अफगानिस्तान में कठपुतली सरकार के रूप में देखा जाता था और उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं थी.”

इमरान खान ने कुछ इसी तरह की बात संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सालाना भाषण में कही थीं. अपने लेख में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि तालिबान सरकार के साथ संपर्क बनाए ताकि "शांति और स्थिरता स्थापति हो.”

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अपने पूर्ववर्तियों की तरह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने में सक्रिय दिलचस्पी दिखाई है. इसके उलट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से उन्होंने अब तक बात भी नहीं की है जबकि उन्हें सरकार में आए नौ महीने हो चुके हैं. हालांकि पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पाक विदेश मंत्री से मुलाकात की और अफगानिस्तान से अमेरीकियों को निकालने में मदद के लिए धन्यवाद किया.

मौजूदगी बनाने की कोशिश

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि शरमन अपनी यात्रा के दौरान उज्बेकिस्तान भी जाएंगी. अमेरिका अफगानिस्तान के आसपास कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है क्योंकि वह चाहता है कि इलाके में उसकी फौजों की मौजूदगी इस तरह रहे कि अल कायदा या इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों पर जल्द कार्रवाई की जा सके.

गुरुवार को वेंडी शरमन जेनेवा में रूस के साथ बातचीत करने वाली हैं, दोनों देशों के नेताओं के बीच रणनीतिक स्थिरता विमर्श का दूसरा दौर होगा. जून में जो बाइडेन और व्लादीमीर पुतिन की पहली बैठक में कथित रणनीतिक स्थिरता विमर्श की शुरुआत की गई थी, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच जारी असहमतियों को बातचीत से दूर करना और तनाव घटाना है.

इस बारे में पहली बैठक जुलाई में हो चुकी है जिसमें हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दे पर विस्तृत विमर्श हुआ था. रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान और उसके बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति कई मंचों से कह चुके हैं कि वह रूस से सहयोग बढ़ाना चाहते हैं.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

प्यार से भरे पाकिस्तानी

 

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