ईरानी संसद और खोमैनी के मकबरे पर हमला
७ जून २०१७सरकारी मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि इन हमलों में तेहरान के दो अहम स्थलों को निशाना बनाया गया. इनमें 12 लोगों की मौत के साथ साथ दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं. ईरान के खुफिया मंत्रालय का कहना है कि उसने एक तीसरे हमले को होने से पहले ही रोक दिया.
सरकारी मीडिया में छपे मंत्रालय के बयान के मुताबिक, "आज सवेरे दो आतंकवादी समूहों ने संसद और इमाम खोमैनी की दरगाह को निशाना बनाया. तीसरे समूह के सदस्यों को हमला करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया."
चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है. इस चरमपंथी गुट पर नजर रखने वाले साइट समूह ने यह बात कही है. हालांकि मध्य पूर्व के पर्यवेक्षक इस दावे पर सवाल उठाते हैं. उनका कहना है कि आईएस सिर्फ ईरान में हुए इन हमलों का फायदा उठाना चाहता है.
अगर यह दावा सही साबित होता है तो यह शिया बहुल ईरान में सुन्नी चरमपंथी गुट आईएस का पहला हमला होगा. ईरान सीरिया में राष्ट्रपति असद का समर्थन करता है जबकि इराक में वह आईएस के खिलाफ लड़ रहे शिया समूहों के साथ है. ईरानी संसद के स्पीकर अली लारिजानी ने कहा, "ईरान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय और प्रभावशाली स्तंभ है और वे इसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं."
दूसरी तरफ ईरानी-अमेरिकी राजनीतिक विश्लेषक होली दागरेस ने डीडब्ल्यू को बताया कि ये हमले "बहुत नियोजित" लगते हैं. उन्होंने कहा, "हमलावरों ने दो ऐसी अहम जगहों को चुना, जो इस इस्लामी गणराज्य का प्रतीक हैं: संसद और खोमैनी का मकबरा. वे ईरानी सरकार पर सीधा निशाना साध रहे हैं." खोमैनी 1979 की इस्लामी क्रांति के नेता थे और उन्हें मौजूदा ईरान की सबसे बड़ी शख्सियत समझा जाता है.
एके/आरपी (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)