इंसानों की मौज मस्ती में दम तोड़ती शार्क
दक्षिण अफ्रीका के सबसे पॉपुलर बीचों पर तैराकों की सुरक्षा के लिए शार्क नेट लगाए गए हैं. लेकिन ये जाल समुद्री जीवों के लिए मौत का सबब बन रहे हैं.
सर्फिंग का आनंद
डरबन के नॉर्थ बीच पर सर्फिंग. तैराकी और सर्फिंग के शौकीन के बीच बहुत लोकप्रिय इस जगह पर कभी कभी शार्क का दिखना अनोखी बात नहीं. लेकिन 1950 के दशक में यहां कई लोगों पर शार्क के हमले हुए और लोग सफेद रेत वाले इस बीच से दूर रहने लगे. लेकिन आज यहां पर हर साल लगभग साठ लाख सैलानी आते हैं.
खतरे की चेतावनी
म्यूजेनबर्ग बीच पर लहराता यह झंडा वहां शार्क के खतरे से सावधान करता है. यह बीच फाल्स खाड़ी का हिस्सा है. काले झंडे का मतलब है कि पानी में देखने में समस्या हो सकती है. यानी शार्क तट के आसपास ही घूम रही हो और वह आपको दिखाई ना दे.
सेफ्टी नेट
तैराकों और सर्फरों को हमले से बचाने और उनके डर को दूर करने के लिए डरबन में 37 बीचों पर 300 वर्ग किलोमीटर के इलाके में ऐसे जाल लगाए गए हैं. ये जाल छुट्टी मनाने पहुंचे सैलानियों को तो राहत देते हैं. लेकिन पर्यावरणविद कहते हैं कि जाल के आसपास तैरने वाले समुद्री जीवों के लिए वे घातक साबित हो सकते हैं. खासकर डॉल्फिन, डुगोंग और समुद्री कछुए को बहुत खतरा है.
"मौत के पर्दे" में फंसे
शार्कों के लिए काम करने वाले वाल्डर बैर्नांडिस डरबन के पास एक छोटे से तटीय शहर उमकोमास के पास गोताखोरी के दौरान एक जाल को खींच रहे हैं. वे इन जालों को "मौत का पर्दा" कहते हैं. डरबन दक्षिण अफ्रीका के जिस प्रांत क्वाजुलु नताल में पड़ता है, वहां बीते 67 साल में किसी घातक हमले की खबर नहीं मिली, लेकिन इन जालों में फंसकर हर साल कम से कम 400 शार्क मर रही हैं.
विवादित तरीके
क्वाजुलु नताल शार्क बोर्ड मैरीटाइम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (केजेडएनएसबी) की नौका डरबन के पास लगे शार्क नेट के पास जा रही है. केजेडएनएसबी की निगरानी में ही जाल लगाने का कार्यक्रम चलता है, जिसकी पर्यावरणविद बहुत आलोचना करते हैं. हालांकि दक्षिण अफ्रीका में ग्रेट व्हाइट शार्क जैसी प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है, लेकिन केजेडएनएसबी को उन्हें मारने की अनुमति है.
खामियों वाला सिस्टम
वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि शार्क नेटों से सागरों की सुरक्षा में वैसी बेहतरी नहीं हुई है जैसी कि उम्मीद थी. गोताखोरों ने समुद्री जीवों को जालों के नीचे तैरते देखा है, जो सिर्फ छह मीटर गहरे हैं. लेकिन ज्यादातर जीव समुद्री तट से वापस गहरे पानी में लौटते वक्त इन जालों में फंस जाते हैं, जबकि तट की तरफ वे आराम से तैर कर चले जाते हैं.
शार्कों के साथ तैरना
इन समुद्री परभक्षियों को लेकर कई सैलानियों में बहुत दिलचस्पी होती है. ब्लू ओशियन डाइव रिजॉर्ट जैसे कई रिजॉर्ट तो गोताखोरों को काली पूंछ वाली शार्कों और टाइगर शार्कों के साथ तैरने का मौका देते हैं. उमकोमास के तट से चार किलोमीटर दूर समुद्र में अलीवाल शाओल दुनिया की उन चंद जगहों में शामिल है जहां सैलानी बिना पिंजरे गोताखोरी कर सकते हैं.
बेबुनियाद डर
शार्कों की सैंकड़ों प्रजातियों में से सिर्फ पांच ही इंसानों के लिए खतरनाक मानी जाती हैं, जिनमें बुल और टाइगर शार्क शामिल हैं. आंकड़े बताते हैं कि ये समुद्री परभक्षी इंसानों पर बहुत ही कम हमले करते हैं, भले बाधा के तौर पर जाल लगे हों या नहीं. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के आंकड़े बताते हैं कि 2019 में पूरी दुनिया में शार्क के 100 हमले सामने आए.
दुर्लभ दर्शन
वाइल्ड शार्क को देख पाना इतना आसान नहीं है. कुछ साल पहले टूअर कंपनियों को अपनी एक्टीविटी "टाइगर शार्क डाइव" का नाम बदलना पड़ा क्योंकि इन प्रजातियों को देख पाना दुर्लभ हो गया था. पर्यावरणविद शार्कों की घटती संख्या के लिए उन्हें नियंत्रित करने वाले कदमों को जिम्मेदार मानते हैं. इन कदमों की शुरुआत 1950 के दशक में हुई.