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चीन: हालात नाजुक, शंघाई में 1.25 करोड़ हो सकते हैं संक्रमित

२२ दिसम्बर २०२२

शंघाई में एक अस्पताल ने अपने कर्मचारियों को कोविड-19 से एक "दुखदायक लड़ाई" की तैयारी करने के लिए कहा है. साल के अंत तक 1.25 करोड़ लोगों के संक्रमित होने की संभावना है.

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चीन में कोविड
चीन के एक शहर में एंटीजन किट खरीदते लोगतस्वीर: CFOTO/picture alliance

चीन में वायरस तेजी से फैल रहा है, हालांकि सरकारी आंकड़े अभी भी कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. एक तरफ 21 दिसंबर को लगातार दूसरे दिन कोविड से कोई भी मौत दर्ज नहीं की गई, दूसरी तरफ मुर्दाघरों के कर्मियों का कहना है कि पिछले एक हफ्ते में मांग बढ़ गई है लिहाजा फीस भी बढ़ा दी गई है.

सरकार ने कोविड के लक्षण वाले 3,89,306 मामलों की पुष्टि की है. साथ ही कोविड मौतों की कसौटी को भी कस दिया गया है, जिसकी कई विशेषज्ञों ने आलोचना की है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी आंकड़ों पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि पूरे देश में प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद अब जांच भी कम की जा रही है.

कोरोना से लड़ने में मददगार 'बुद्धा'

शंघाई देजी अस्पताल ने बुधवार देर रात को अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर लिखा था कि इस समय शहर में अनुमानित 54.3 लाख पॉजिटिव मामले हैं और साल के अंत तक 1.25 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं. अस्पताल में करीब 400 कर्मी काम करते हैं.

डर का माहौल

अस्पताल ने वीचैट पर लिखा, "इस साल क्रिसमस का दिन, नए साल का दिन और लूनर नए साल का दिन असुरक्षित रहेंगे. इस दुखदायक लड़ाई में पूरा ग्रेटर शंघाई इलाका ढह जाएगा और हमारे अस्पताल के सभी कर्मी संक्रमित हो जाएंगे. फिर हम से हमारे परिवार संक्रमित हो जाएंगे. हमारे सभी मरीज भी संक्रमित हो जाएंगे. हमारे पास कोई विकल्प नहीं है और हम इससे भाग नहीं सकते."

लेकिन गुरूवार दोपहर को यह पोस्ट वीचैट पर उपलब्ध नहीं थी. अस्पताल के नंबर पर टेलीफोन उठाने वाले व्यक्ति ने कहा कि वो इस लेख पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं दे पाएंगे. गुरूवार को शहर के कई इलाके सुनसान थे.

कई लोगों ने खुद ही घर पर खुद को बंद कर लिया था. दुकानों के कर्मचारियों की तबियत खराब होने की वजह से वो भी बंद पड़ी थीं. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में अगले साल कोविड से 10 लाख से ज्यादा लोग मर सकते हैं. देश में बुज़ुर्गों में पूर्ण टीकाकरण की दर तुलनात्मक रूप से कम है.

लॉन्ग कोविड से जूझ रहे बच्चों का बुरा हाल

सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि देश में कुल टीकाकरण दर 90 प्रतिशत से ऊपर है लेकिन बूस्टर शॉट पा चुके वयस्कों की दर सिर्फ 57.9 प्रतिशत है. 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के बीच तो यह दर 42.3 प्रतिशत है.

तैयारी की कमी

बीजिंग के एक अस्पताल में सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी आईसीयू में ऑक्सीजन मास्कों से सांस लेते बुजुर्ग मरीजों की कतारें दिखा रहा था. यह स्पष्ट नहीं बताया गया कि उनमें से कितनों को कोविड है.

अस्पताल के आपात विभाग के डिप्टी निदेशक हान शू ने सीसीटीवी को बताया कि वहां रोज 400 मरीज लाए जा रहे हैं, जो सामान्य से चार गुना ज्यादा है. हान ने कहा, "ये मरीज सभी बुजुर्ग हैं जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं, बुखार है और सांस से जुड़े संक्रमण हैं और ये बहुत गंभीर हाल में हैं."

चीन ने जो नीतिगत यू-टर्नलिया उससे पहले से नाजुक स्वास्थ्य व्यवस्था तैयारी की कमी की वजह से बुरे हाल में पड़ गई. अस्पताल में बिस्तरों और खून की और दवा की दुकानों में दवाओं की मारामारी हो गई. सरकार तेजी से विशेष क्लीनिक बनाने की कोशिश में भी जुट गई.

अगर यह तकनीक न होती, तो कोरोना की वैक्सीन भी न होती

समृद्ध तटीय इलाकों से दूर छोटे शहर विशेष रूप से नाजुक स्थिति में हैं. उत्तरपूर्वी प्रांत शांसी में 7,00,000 की आबादी वाले शहर तोंगचुआन ने पिछले पांच सालों में सेवानिवृत्त हुए सभी स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड के खिलाफ इस लड़ाई में साथ देने के लिए बुला लिया. 

सरकारी मीडिया के मुताबिक स्थानीय सरकारें दवाओं की कमी को दूर करने की कोशिश कर रही थीं जबकि दवा कंपनियां आपूर्ति बढ़ाने के लिए अथक परिश्रम कर रही हैं. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में शहरों में सरकारी एजेंसियां अस्पतालों और दवा की दुकानों पर इबूप्रोफेन की लाखों टैबलेट बांट रही हैं.

सीके/एए (रॉयटर्स)