फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे दौर में कौन जीतेगा
१९ अप्रैल २०२२फ्रांस में रविवार को राष्ट्रपति पद के लिए दूसरे चरण का मतदान होना है. 2017 की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और धुर-दक्षिणपंथी मरीन ले पेन के बीच है. ईस्टर की छुट्टियों में प्रचार धीमा रहा, लेकिन सोमवार से दोनों उम्मीदवार पूरी ताकत से प्रचार में जुट गए हैं. इस बुधवार को दोनों एक प्राइम टाइम डिबेट में आमने-सामने होंगे. माक्रों अपने पांच साल के काम पर वोट मांगेंगे तो वहीं तीसरी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहीं ले पेन की पूरी कोशिश होगी कि इस बार वो जीत दर्ज कर पाएं. इससे पहले साल 2017 के चुनाव में भी दोनों इसी तरह आमने-सामने थे.
धुर दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली की नेता मारीन ले पेन को उम्मीद है कि वो इस बार चुनाव जीतेंगी. पश्चिमी फ्रांस में एक कार्यक्रम के दौरान पेन ने टीवी डिबेट के बारे में कहा, "मुझे उम्मीद है कि शांतपूर्ण तरीके से बहस होगी, उम्मीद है कि ये बेइज्जती और फेक न्यूज जैसा नहीं होगा, जैसा मैं पिछले हफ्ते से सुन रही हूं."
रुझान क्या कह रहे हैं?
ताजा ओपिनियन पोल के मुताबिक, माक्रों को इस वक्त 53 से 55.5 प्रतिशत, वहीं ली पेन को करीब 44.5 से 47 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है. हालांकि माक्रों जानते हैं कि इन आंकड़ों से संतुष्ट होने से काम नहीं चलेगा, क्योंकि इससे पहले के ओपिनियन पोल भी धुर-दक्षिणपंथी नेताओं को कम आंकते रहे हैं.
पेन के संविधान संशोधन के प्रस्तावों और आप्रवासन के कड़े नियमों पर सवाल उठाते हुए माक्रों ने एक रेडियो चैनल से इंटरव्यू में कहा कि "उनका मतलब है एक बार चुने जाने के बाद, उन्हें लगता है कि वो संविधान से ऊपर हैं क्योंकि वो कानून बदलकर इसे मानने से इनकार कर सकती हैं."
संविधान में संशोधन, इस्लामिक प्रभाव का विरोध और नौकरियों में फ्रांस के नागरिकों को "राष्ट्रीय प्राथमिकता" देना पेन के एजेंडे का हिस्सा है. हालांकि इस बार उनका जोर ऐसे मामलों की बजाय बढ़ती महंगाई और सामाजिक देखभाल की योजनाएं के आसपास है. वह मतदाताओं के सामने कट्टर की बजाय थोड़ा नरम चेहरा पेश कर रही हैं.
दूसरी ओर माक्रों वामपंथी वोटरों से उनके पक्ष में वोट की उम्मीद कर रहे हैं. पहले चरण में तीसरे नंबर पर आने की वजह से राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हुए वामपंथी जां लित मेलेंशों ने माक्रों को समर्थन देने की बात नहीं कही है. हालांकि वो लगातार यह जरूर कह रहे हैं कि एक भी वोट ले पेन को नहीं जानी चाहिए. एक सर्वे के मुताबिक मेलेंशों के एक तिहाई समर्थक माक्रों को वोट कर सकते हैं.
(पढ़ें-फ्रांस राष्ट्रपति चुनाव: पहले राउंड में माक्रों को कांटा लगा )
हिजाब बैन पर नरम रुख
इस्लामिक कट्टरपंथ और हिजाब बैन पर विवाद ने बीते सालों में फ्रांस की राजनीति पर अपना असर छोड़ा है. पेन के सहयोगी मानते हैं कि अगर वह जीतती हैं तो फ्रांस में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया जाएगा. हालांकि चुनावों से पहले पेन का खेमा नरम रुख अख्तियार किए हुए है. पेन की पार्टी के वरिष्ठ नेता और उनके पार्टनर रहे लुइस आलियोत ने कहा है कि " इस्लामिक चरमपंथ से लड़ने का एक हिस्सा हिजाब पर पाबंदी है. ऐसे फैसले "धीमे-धीमे" लिए जाएं और सरकारी सेवाओं से शुरू हों. इस पर संसद में बहस तो होगी ही."
इससे पहले ले पेन कह चुकी हैं कि हिजाब को किसी के धार्मिक विश्वास से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये. बल्कि "कट्टर इस्लाम की वर्दी" है, जिसे फ्रांस के सार्वजनिक जीवन से बाहर निकालना चाहिये.
फ्रांस में वकीलों का कहना है कि देश में हिजाब बैन करना मुस्लिम महिलाओं के साथ उन्हें निशाना बनाकर भेदभाव करने जैसा होगा, जो कि फ्रांस के संविधान का उल्लंघन है. हाल ही में एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान दो मुस्लिम महिलाओं ने ले पेन को घेर लिया था और कहा था कि "वे फ्रेंच हैं और इस देश से प्यार करती हैं." फ्रांस में राष्ट्रपति पद के लिए दूसरे और अंतिम चरण का मतदान 24 अप्रैल को होना है.
आरएस/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)