1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिफ्रांस

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे दौर में कौन जीतेगा

१९ अप्रैल २०२२

धुर दक्षिणपंथी मरीन ले पेन और उनके समर्थक इस बार हिजाब पर रोक जैसे मामलों को प्राथमिकता बनाने से ज्यादा आर्थिक हालात ठीक करने और जीवनशैली बरकरार रखने जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं.

https://p.dw.com/p/4A6Kb
Frankreich | Erste Runde der Präsidentschaftswahlen 2022 | Marine Le Pen und Emmanuel Macron
तस्वीर: Paulo Amorim/IMAGO

फ्रांस में रविवार को राष्ट्रपति पद के लिए दूसरे चरण का मतदान होना है. 2017 की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और धुर-दक्षिणपंथी मरीन ले पेन के बीच है. ईस्टर की छुट्टियों में प्रचार धीमा रहा, लेकिन सोमवार से दोनों उम्मीदवार पूरी ताकत से प्रचार में जुट गए हैं. इस बुधवार को दोनों एक प्राइम टाइम डिबेट में आमने-सामने होंगे. माक्रों अपने पांच साल के काम पर वोट मांगेंगे तो वहीं तीसरी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहीं ले पेन की पूरी कोशिश होगी कि इस बार वो जीत दर्ज कर पाएं. इससे पहले साल 2017 के चुनाव में भी दोनों इसी तरह आमने-सामने थे.

धुर दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली की नेता मारीन ले पेन को उम्मीद है कि वो इस बार चुनाव जीतेंगी. पश्चिमी फ्रांस में एक कार्यक्रम के दौरान पेन ने टीवी डिबेट के बारे में कहा, "मुझे उम्मीद है कि शांतपूर्ण तरीके से बहस होगी, उम्मीद है कि ये बेइज्जती और फेक न्यूज जैसा नहीं होगा, जैसा मैं पिछले हफ्ते से सुन रही हूं."

फ्रांस में राष्ट्रपति पद के लिए दो दौर में चुनाव होता है. दूसरे दौर में टॉप 2 उम्मीदवार पहुंचते हैं. अगर किसी को पहले ही चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिल जाते हैं तो दूसरे दौर के लिए चुनाव ही नहीं होता.
फ्रांस में राष्ट्रपति पद के लिए दो दौर में चुनाव होता है. दूसरे दौर में टॉप 2 उम्मीदवार पहुंचते हैं. अगर किसी को पहले ही चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिल जाते हैं तो दूसरे दौर के लिए चुनाव ही नहीं होता.तस्वीर: Arnaud Journois/PHOTOPQR/LE PARISIEN/MAXPPP/picture alliance

रुझान क्या कह रहे हैं?

ताजा ओपिनियन पोल के मुताबिक, माक्रों को इस वक्त 53 से 55.5 प्रतिशत, वहीं ली पेन को करीब 44.5 से 47 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है. हालांकि माक्रों जानते हैं कि इन आंकड़ों से संतुष्ट होने से काम नहीं चलेगा, क्योंकि इससे पहले के ओपिनियन पोल भी धुर-दक्षिणपंथी नेताओं को कम आंकते रहे हैं.

पेन के संविधान संशोधन के प्रस्तावों और आप्रवासन के कड़े नियमों पर सवाल उठाते हुए माक्रों ने एक रेडियो चैनल से इंटरव्यू में कहा कि "उनका मतलब है एक बार चुने जाने के बाद, उन्हें लगता है कि वो संविधान से ऊपर हैं क्योंकि वो कानून बदलकर इसे मानने से इनकार कर सकती हैं."

संविधान में संशोधन, इस्लामिक प्रभाव का विरोध और नौकरियों में फ्रांस के नागरिकों को "राष्ट्रीय प्राथमिकता" देना पेन के एजेंडे का हिस्सा है. हालांकि इस बार उनका जोर ऐसे मामलों की बजाय बढ़ती महंगाई और सामाजिक देखभाल की योजनाएं के आसपास है. वह मतदाताओं के सामने कट्टर की बजाय थोड़ा नरम चेहरा पेश कर रही हैं.

चुनाव शुरू होने से पहले माक्रों अच्छी स्थिति में दिख रहे थे. लेकिन ताजा ओपिनियन पोल्स में दोनों के बीच करीब 5% का अंतर रह गया है.
चुनाव शुरू होने से पहले माक्रों अच्छी स्थिति में दिख रहे थे. लेकिन ताजा ओपिनियन पोल्स में दोनों के बीच करीब 5% का अंतर रह गया है.तस्वीर: Laurent Cipriani/AP Photo/picture alliance

दूसरी ओर माक्रों वामपंथी वोटरों से उनके पक्ष में वोट की उम्मीद कर रहे हैं. पहले चरण में तीसरे नंबर पर आने की वजह से राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हुए वामपंथी जां लित मेलेंशों ने माक्रों को समर्थन देने की बात नहीं कही है. हालांकि वो लगातार यह जरूर कह रहे हैं कि एक भी वोट ले पेन को नहीं जानी चाहिए. एक सर्वे के मुताबिक मेलेंशों के एक तिहाई समर्थक माक्रों को वोट कर सकते हैं.

(पढ़ें-फ्रांस राष्ट्रपति चुनाव: पहले राउंड में माक्रों को कांटा लगा )

ले पेन उनके पिता जेन मारी ले पेन की बनाई पार्टी- नेशनल रैली की प्रमुख भी हैं.
ले पेन उनके पिता जेन मारी ले पेन की बनाई पार्टी- नेशनल रैली की प्रमुख भी हैं.तस्वीर: Julien de Rosa/AFP

हिजाब बैन पर नरम रुख

इस्लामिक कट्टरपंथ और हिजाब बैन पर विवाद ने बीते सालों में फ्रांस की राजनीति पर अपना असर छोड़ा है. पेन के सहयोगी मानते हैं कि अगर वह जीतती हैं तो फ्रांस में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया जाएगा. हालांकि चुनावों से पहले पेन का खेमा नरम रुख अख्तियार किए हुए है. पेन की पार्टी के वरिष्ठ नेता और उनके पार्टनर रहे लुइस आलियोत ने कहा है कि " इस्लामिक चरमपंथ से लड़ने का एक हिस्सा हिजाब पर पाबंदी है. ऐसे फैसले "धीमे-धीमे" लिए जाएं और सरकारी सेवाओं से शुरू हों. इस पर संसद में बहस तो होगी ही."

इससे पहले ले पेन कह चुकी हैं कि हिजाब को किसी के धार्मिक विश्वास से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये. बल्कि "कट्टर इस्लाम की वर्दी" है, जिसे फ्रांस के सार्वजनिक जीवन से बाहर निकालना चाहिये.

हिजाब पर पाबंदी और इस्लामिक चरमपंथ का मुद्दा फ्रांस की राजनीति को हालिया सालों में प्रभावित करता रहा है.
हिजाब पर पाबंदी और इस्लामिक चरमपंथ का मुद्दा फ्रांस की राजनीति को हालिया सालों में प्रभावित करता रहा है. तस्वीर: Christophe Simon/AFP

फ्रांस में वकीलों का कहना है कि देश में हिजाब बैन करना मुस्लिम महिलाओं के साथ उन्हें निशाना बनाकर भेदभाव करने जैसा होगा, जो कि फ्रांस के संविधान का उल्लंघन है. हाल ही में एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान दो मुस्लिम महिलाओं ने ले पेन को घेर लिया था और कहा था कि "वे फ्रेंच हैं और इस देश से प्यार करती हैं." फ्रांस में राष्ट्रपति पद के लिए दूसरे और अंतिम चरण का मतदान 24 अप्रैल को होना है.

आरएस/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)