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रूस के सैन्य खर्च में बड़ी कटौती

२ मई २०१८

रूस के सैन्य खर्च में पिछले साल बड़ी कटौती देखी गई. 1998 के बाद यह पहला मौका जब इतनी कटौती की गई है. विशेषज्ञ इसकी वजह रूस के खिलाफ लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को मानते हैं.

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Russland Probe Militärparade in Moskau
तस्वीर: Reuters/M. Shemetov

पश्चिमी देशों के साथ रूस का तनाव लगातार बढ़ रहा है. फिर भी रूस का सैन्य खर्च पिछले साल घटकर 66.3 अरब डॉलर पर आ गया. यह 2016 के मुकाबले 20 प्रतिशत कम है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सालाना रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

पिछली बार 1998 में बड़े आर्थिक संकट के बीच रूस को अपना सैन्य खर्च घटाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. सिपरी के सीनियर रिसर्चर सिमोन वेजेमन का कहना है, "रूस में सेना का आधुनिकिकरण लगातार प्राथमिकता बना हुआ है, लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण सैन्य बजट को सीमित कर दिया गया है. 2014 से रूस आर्थिक मुश्किलें झेल रहा है." उनका इशारा यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को रूस में मिलाए जाने के बाद लगे प्रतिबंधों की तरफ था.

नाटो के साथ रूस के रिश्ते हमेशा ही ठंडे रहे हैं. लेकिन आजकल ये रिश्ते शीत युद्ध के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं. इसकी एक वजह सीरिया में दोनों पक्षों के बीचे तीखे मतभेद हैं तो दूसरी तरफ ब्रिटेन में रूस के एक पूर्व जासूस को जहर दिए जाने का मामला भी है.

रूस ने जैसे तैसे अभी तक अपने रक्षा बजट को प्रभावित नहीं होने दिया था. इसके लिए उसने बुनियादी ढांचे और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कटौती की. लेकिन वेजेमन कहते हैं कि 2017 में उसके सामने कोई विकल्प नहीं था और सैन्य बजट में कटौती करनी ही पड़ी. वह कहते हैं, "रक्षा बजट को उच्च स्तर पर बनाए रखना अब संभव ही नहीं रहा है. रूस को अब एक कदम पीछे हटना ही पड़ेगा."

इस बीच नाटो के 29 सदस्य देशों ने 2017 में सेना पर 900 अरब डॉलर खर्च किए, जो सिपरी के मुताबिक दुनिया के कुल सैन्य खर्च का 52 फीसदी है. 2017 में मध्य और पश्चिमी यूरोप में सैन्य खर्च में क्रमशः 12 प्रतिशत और 1.17 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है. इसकी एक वजह रूस की तरफ से पैदा संभावित खतरा है.

अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा बजट वाला देश बना हुआ है. 2017 में उसने अपनी सेना पर 610 अरब डॉलर की रकम खर्च की. सिपरी की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका का खर्च टॉप10 में शामिल सात देशों चीन, सऊदी अरब, रूस, भारत, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान के संयुक्त रक्षा बजट से भी ज्यादा है.

सिपरी के मुताबिक शीत की युद्ध की समाप्ति के बाद 2017 में दुनिया का सैन्य खर्च 1.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. सिपरी अध्यक्ष यान इलियासन ने एक बयान में कहा, "लगातार बढ़ता सैन्य खर्च चिंता का विषय है. यह दुनिया भर में चल रहे संकटों के शांतिपूर्ण समाधान की कोशिशों को कमजोर करता है."

एके/एनआर (एएफपी)