सद्दाम हुसैन की दो नावों की कहानी
इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन की शाहखर्ची की निशानियों में से शामिल दो सुपरयॉट तिगरिस और फुरात नदी के संगम पर बीते 20 सालों से खड़े हैं.
पानी पर पलटा अल मंसूर
इनमें से एक अल मंसूर पानी पर पलटा हुआ है. 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक पर हुए हमले के दौरान इसका यह हाल हुआ. इसी हमले के बाद इराक में दशकों से चली आ रही सद्दाम हुसैन की सत्ता खत्म हो गई. 120 मीटर लंबा अल मंसूर 7,000 टन भारी है और फिनलैंड में इसे तैयार करने के बाद 1983 में इराक को सौंपा गया. अल मंसूर में 65 क्रू सदस्यों के साथ 32 यात्रियों को लेकर चलने की क्षमता है.
यॉट पर हमला
अमेरिकी हमले से पहले अल मंसूर खाड़ी में था. बाद में इसे हमले से बचाने के लिए शाट-अल-अरब भेजा गया. मार्च 2003 में इस पर कई हमले हुए लेकिन तीन बार बमों की चपेट में आने के बाद भी यह डूबा नहीं. हालांकि जून आते आते इसकी हालत बिगड़ गई. इसकी मोटर चोरी हो गई और उसके बाद यह पलट गया और तब से उसी हाल में है.
स्विमिंग पूल वाला बसरा ब्रीज
अल मंसूर से कुछ ही दूरी पर बसरा ब्रीज नाम का दूसरा यॉट है. स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं से लैस इस यॉट में कभी मिसाइल लॉन्चर भी थे. बसरा आने वाले इस यॉट पर जा कर इसे देख सकते हैं. जंग से लहुलुहान इराक के अतीत का पता इस यॉट को देख कर भी चलता है.
शाही सजावट
सुनहरी धारियों और क्रीम रंग से सजे यॉट के प्रेसीडेंशियल स्वीट में कैनोपी वाला किंग साइज बेड और 18वीं सदी वाले डिजायन के सोफे हैं. इसके विशाल बाथरूम में नल भी सुनहरे रंग हैं. 24 साल के शासन के दौरान सद्दाम हुसैन ने ऐसी चीजों पर खर्च में कोई कटौती नहीं की. 1981 में आया बसरा ब्रीज भी कोई अपवाद नहीं है.
कभी सवार नहीं हुए सद्दाम हुसैन
बसरा यूनिवर्सिटी का मैरिटाइम साइंस सेंटर बसरा ब्रीज को अपने रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए बेस के रूप में इस्तेमाल करता है. 82 मीटर लंबा यह यॉट सद्दाम हुसैन की शाहखर्ची का एक नमूना है. हालांकि यहां आने वालों को यह जान कर हैरानी होती है कि सद्दाम हुसैन ने इस यॉट की कभी सवारी नहीं की.
हैलीपैड और खुफिया गलियारा
30 यात्रियों और 35 क्रू सदस्यों की क्षमता वाले यॉट में 13 कमरे और 3 लाउंज एरिया के साथ ही हैलीपैड भी है. इसमें एक खुफिया गलियारा भी है जिसकी मदद से खतरे की स्थिति में यहां से निकल कर पनडुब्बी तक जाया जा सकता है. इसकी जानकारी यॉट के इनफॉर्मेशन पैनल में दी गई है.
बचा रहा बसरा ब्रीज
1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन ने खतरे से बचाने के लिए इस यॉट को सऊदी अरब को दे दिया. 2007 में यॉट फ्रांस के नीस आया. इसके एक साल बाद यह कानूनी पचड़े में फंस गया. इराकी अधिकारी इसे 3.5 करोड़ डॉलर में बेचना चाहते थे. हालांकि यह बिक नहीं सका और 2009 में पूरा अधिकार मिलने के बाद इराकी सरकार इसे बसरा ले आई.