कैसे होगा ओलंपिक?
१ जुलाई २०१६ओलंपिक खेलों की शुरुआत होने में महज एक महीने से कुछ अधिक समय बचा है और इसकी मेजबानी कर रहे शहर रिओ डे जेनेरो में आर्थिक तंगी के चलते जबरदस्त हड़तालें चल रही हैं.
रियो के पेड्रो एर्नेस्टो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के हार्ट सर्जरी वार्ड में एक समय में सामान्यतया 12 मरीजों का इलाज चलता है लेकिन यहां फंड की कमी है और तकरीबन एक तिहाई स्टाफ हड़ताल पर है.
वार्ड के प्रमुख जोआकिन कोचिन्यो कहते हैं, ''हम इस वक्त बस 6 मरीजों को ले सकते हैं.'' काउटिंहो कहते हैं ब्राजील का राज्य रियो डे जेनेरो तकरीबन दिवालिया हो गया है, लेकिन यह केवल ओलंपिक की वजह से नहीं हुआ है. सरकार खेलों पर बेहद गैरजरूरी खर्च कर रही है.
'हड़ताल'
कर्मचारियों के मुताबिक यह अस्पताल सामान्य तौर पर 600 मरीजों के बजाय मौजूदा समय में केवल 200 मरीजों का इलाज कर सकता है क्योंकि इसके अंधेरे गलियारों में 'हड़ताल' शब्द लिखे पोस्टर चस्पा हैं. साथ ही पास ही मौजूद यूनिवर्सिटी में मार्च के महीने से ही सब कुछ ठहरा ठहरा सा है. वहां लगे पोस्टरों में लिखा है, ''रियो में ओलंपिक? सार्वजनिक शिक्षा ही हमारा गोल्ड मेडल है.''
लोगों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. यह अस्पताल रिओ के वित्तीय संकट को दर्शाता है. गुस्साए कर्मचारियों ने लंबे समय से रोकी तनख्वाहें दिए जाने की मांग करते हुए निदेशक एडमर सेंटॉस के दफ्तर के बाहर धरना दिया. मजबूरन उन्हें कर्मचारियों के साथ आपातकालीन बैठक करने बाहर आना पड़ा. उन्होंने बताया कि तनख्वाहें रुकने की वजह वह नहीं हैं बल्कि राज्य सरकार है.
हड़ताल के नेताओं में एक हैं पेर्सिलियाना रोड्रिग्स. वह कहती हैं, ''वेतन तीन महीना देरी से मिल रहा है. कभी भी पूरी तनख्वाह नहीं मिलती. कई लोग किराया देने, बिजली का बिल देने और खरीददारी करने के काबिल नहीं रह गए हैं.'' इसके चलते ओलंपिक खेलों के खिलाफ भी लोगों में उबाल है. रोड्रिग्स कहती हैं, ''इन सारी दिक्कतों का साफ साफ संबंध खेलों से है. ये लोग इतने बड़े आयोजन के लिए तो खर्च करने को तैयार हैं. लेकिन हमारे मरीजों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं.''
ओलंपिक से एतराज
लोगों को ओलंपिक को दी जा रही प्राथमिकता से बड़ा एतराज है. ओलंपिक के लिए बाहा दा तिजुका में 2.8 अरब डॉलर खर्च कर काफी खर्चीली मैट्रो लाइन बनाई गई है, जिसका 1 किलोमीटर का शेष रहा निर्माण कार्य अगस्त तक भी पूरा नहीं हो सकेगा. यहीं आयोजनों के लिए खर्चीला ओलंपिक पार्क भी बनाया गया है.
ओलंपिक की मेजबानी का मौका शायद रियो को एक गलत समय में मिला है. ब्राजील अपने इतिहास की सबसे गहरी मंदी से जूझ रहा है. इन हालातों को और भी बदतर बनाने के लिए अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में हुई जबरदस्त गिरावट ने उसकी तेल से होने वाली आमदनी को भी बुरी तरह गिराया है. रियो के लिहाज से यह बेहद अहम आमदनी थी.
आर्थिक आपातकाल
राज्य सरकार अधिकारियों ने आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी है और केंद्र सरकार पर यह दबाव बनाया है कि वह रियो को 2.9 अरब रियाल यानि 90 करोड़ डॉलर की मदद दे. हालांकि अब यह तय नहीं है कि इस राशि का इस्तेमाल सरकार अपने कर्मचारियों के शेष वेतन के भुगतान में करेगी या फिर शेष रह गई मैट्रो लाइन को पूरा करने में इसका एक हिस्सा खर्च किया जाएगा.
पुलिस की हताशा
खेलों के लिए तो संभवत: धन जुटा लिया गया है लेकिन पुलिस के लिए धन जुटाना बड़ी मुश्किल है. रियो के गवर्नर फ्रांसिस्को डोर्नेल्स के मुताबिक राज्य सरकार के पास इतने बड़े आयोजन को संभालने के लिए पुलिस की व्यवस्था के लिए पर्याप्त धन नहीं है.
राज्य का मासिक सुरक्षा बजट 29 करोड़ डॉलर है लेकिन ओलंपिक के दौरान यह स्वाभाविक तौर पर बहुत बढ़ जाना है. इसके अलावा शहर भर में बड़ी हड़तालों की आशंका है. 6 जुलाई को रियो में एक आम हड़ताल बुलाई गई है.
''नर्क में स्वागत है''
पुलिस और अग्निशमन दल के जवानों ने भी इस हफ्ते एयरपोर्ट में रियो घूमने आने वाले लोगों का एक बैनर के साथ स्वागत किया जिसमें लिखा था, ''नर्क में स्वागत है. पुलिस और अग्निशमन दल को तनख्वाहें नहीं मिली हैं, जो भी रियो डे जेनेरो आएगा सुरक्षित नहीं रहेगा.'' ऐसे में इस तरह के संदेश बेशक रियो के सेवा क्षेत्र से जुड़े उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाएंगे, जो कि पहले से ही जीका वायरस के चलते नुकसान झेल रहा है.
रियो में अब तक हुए प्रदर्शन और हड़तालें काफी बड़े स्तर पर नहीं हुई हैं लेकिन लोगों के बीच पसरे असंतोष को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में यह प्रदर्शन और बड़े हो सकते हैं. कुछ लोगों का इसके उलट भी मानना है. उनका कहना है कि स्थानीय लोग कार्निवाल की तरह ही कुछ समय के लिए अपनी समस्याओं को भूल जाएंगे और ओलंपिक का जश्न मनाएंगे.
आरजे/आरपी (डीपीए)