सींग के सौदे से बचेंगे गैंडे
१८ अप्रैल २०१३ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के डुआन बिग्स का कहना है कि व्यापार पर पाबंदी की वजह से ऐसी स्थिति बनती है, जिसमें गैंडे बिना वजह मारे जाते हैं, "इसकी वजह से संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है और क्रुगर नेशनल पार्क में छद्म युद्ध की स्थिति बन जाती है."
दक्षिण अफ्रीका की सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है और 2016 में फ्लोरा एंड फॉना शिखर सम्मेलन (सीआईटीईएस) की बैठक में इसे पेश कर सकती है. इसमें 178 सदस्य देश हैं और प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी.
यह पाबंदी 1977 से लगी है और बराबर इस बात पर सवाल उठते हैं कि क्या यह कारगर है. इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इससे गैंडों के सींग की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है. एशिया के कुछ बाजारों में ये सींग 65000 डॉलर (करीब 35 लाख रुपये) प्रति किलो के दाम से बिकते हैं. यह कीमत सोना या कोकीन से भी ज्यादा है.
पिछले साल शिकारियों ने दक्षिण अफ्रीका में 668 गैंडों को मार डाला, जिनमें से सबसे ज्यादा गैंडे क्रुगर नेशनल पार्क में मारे गए. यहां दुनिया के सबसे ज्यादा सफेद गैंडे रहते हैं. अप्रैल के शुरू में जारी एक प्रेस जानकारी के मुताबिक 2013 में तब तक 203 गैंडों का शिकार हुआ है. दक्षिण अफ्रीका में पिछले पांच साल में हर साल शिकार किए जाने वाले गैंडों की संख्या दोगुनी होती जा रही है.
20 साल में खत्म
दक्षिण अफ्रीकी सरकार के रिसर्च में कहा गया है कि अगर इसी गति से गैंडे शिकार होते रहे, तो 2016 के बाद से इस नेशनल पार्क में गैंडों की संख्या घटने लगेगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर शिकार की संख्या में और बढ़ोतरी हुई, तो 20 साल में गैंडों की नस्ल ही खत्म हो जाएगी.
कुछ लोगों का मानना है कि अगर सख्ती से बाजार को नियंत्रित किया जाए, तो गैंडों के सींग बहुत कम दाम पर बिक सकते हैं और इन्हें अपराधी तंत्र से दूर रखा जा सकता है. बिग्स का कहना है कि इससे खरीदार भी कालाबाजारी के चक्कर में नहीं पड़ेंगे.
बिग्स का कहना है कि 1980 के दशक में मगरमच्छों की चमड़ी वाली मिसाल सबके सामने है. अब कानूनी तौर पर इसका कारोबार हो सकता है. इसका समर्थन करने वालों का कहना है कि बिक्री के लिए एक संस्था बन सकती है, जो सीआईटीईएस को रिपोर्ट करे.
बढ़ जाते हैं सींग
गैंडों की सींग में केराटिन होता है, जो इंसानी बाल में भी पाया जाता है. इसे काट देने के बाद यह दोबारा उग सकता है. बिग्स का कहना है कि इसे संभाल कर काटा जाए, तो गैंडों को कोई परेशानी नहीं होगी.
लेकिन पर्यावरणविदों का बहुत बड़ा हिस्सा इसके खिलाफ है. गैंडों पर रिसर्च करने वाले माइकल टी सास रोल्फ्स का कहना है कि इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है, "वे कई गैरकानूनी चीजों की सौदेबाजी कर रहे हैं. अगर सींग उनके लिए आकर्षक नहीं रहेंगे, तो वे कुछ और कर लेंगे."
कुछ लोगों का मानना है कि इसके बाद गैंडों की सींग की मांग इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी कि उसकी आपूर्ति नहीं हो पाएगी. ऐसे में दोबारा आपराधिक बाजार बन सकते हैं.
हाथी दांत से सीखो
पर्यावरण से जुड़ी एक जांच एजेंसी की मेरी राइस का कहना है कि हाथी दांत के मामले में देखा गया है कि किस तरह गड़बड़ हुई है. बोट्सवाना, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया तथा जिम्बाब्वे से कानूनी तौर खरीदे गए हाथी दांत को चीन में बेचे गए. चीन सरकार ने इन हाथी दांतों को 157 डॉलर प्रति किलो की दर से खरीदा लेकिन इन्हें 1500 डॉलर प्रति किलो की दर से बेचा. पर्यावरण एजेंसी की रिपोर्ट का दावा है कि कुछ खुदरा व्यापारी तो इसे 7000 डॉलर प्रति किलो तक बेच रहे हैं. इसमें कहा गया है कि चीन के बाजार में जितने हाथी दांत हैं, उनमें से 90 फीसदी गैरकानूनी हैं.
इन्हें चिंता है कि पुलिस और प्रशासन गैरकानूनी कारोबार पर पूरी तरह लगाम लगाने में सफल नहीं हो पाएगा, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका होगी. पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में नेशनल पार्क के चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, जो गैरकानूनी शिकार में मदद कर रहे थे. हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई.
एजेए/एमजे (आईपीएस)