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अपराधब्रिटेन

अफगानिस्तान में ब्रिटिश सैनिकों ने दर्जनों बंधकों को मारा

१३ जुलाई २०२२

अफगानिस्तान में एक दशक पहले ब्रिटिश स्पेशल फोर्सेस ने संदिग्ध परिस्थितियों में कम से कम 54 निहत्थे लोगों को मार डाला था. बीबीसी की जांच रिपोर्ट में मंगलवार को ये आरोप सामने आए हैं.

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तस्वीर: Reza Shirmohammadi/AFP/ Getty Images

बीबीसी ने अपने बीबीसी पैनोरमा कार्यक्रम में अफगानिस्तान में ब्रिटिश स्पेशल फोर्सेस (एसएएस) यूनिट के खिलाफ कथित युद्ध अपराधों के बारे में बड़े खुलासे किए हैं. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आरोप निराधार निष्कर्षों पर आधारित है. रिपोर्ट में बताया गया है कि एसएएस यूनिट ने अफगानिस्तान के दक्षिणी हेलमंद प्रांत में 2010 से 2011 के बीच गैरकानूनी तरीके से 54 लोगों की हत्या की.

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि ब्रिटिश विशेष बल के पूर्व प्रमुख सर मार्क कार्लटन स्मिथ को इस युद्ध अपराध के बारे में जानकारी थी लेकिन उन्होंने जांच के दौरान हत्या के सबूत नहीं दिए.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट "आरोपों से अनुचित निष्कर्ष निकालती है, जिसकी पहले ही पूरी तरह से जांच की जा चुकी है."

मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में एसएएस के आचरण की दो स्वतंत्र जांच करवाई गई और मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "गैर-जिम्मेदार और गलत रिपोर्ट ने हमारे बहादुर सशस्त्र बलों के जवानों को जमीन पर और विश्वसनीयता के मामले में खतरे में डाल दिया है." आगे कहा गया, "रक्षा मंत्रालय निश्चित रूप से किसी भी नए सबूत पर विचार करने के लिए तैयार है और इसमें कोई रुकावट नहीं होगी."

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9/11 हमले के बाद ब्रिटिश सेना की तैनाती अफगानिस्तान में नाटो अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के तहत हुई थी. 2006 से हजारों ब्रिटिश सैनिकों को हेलमंद में पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए सुरक्षा प्रदान करने लिए भेजा गया था. लेकिन उन्हें जल्द ही सैन्य अभियानों में शामिल कर लिया गया.

बीबीसी की जांच एसएएस स्क्वाड्रन द्वारा छह महीने की तैनाती पर केंद्रित थी जो 2010 के अंत से हेलमंद में संचालित थी. रिपोर्ट में कहा गया यूनिट ने तालिबान कमांडरों को पकड़ने और बम बनाने वाले नेटवर्क को खत्म करने के लिए ''मारने या बंधक'' बनाने वाले अभियान चलाए.

रिपोर्ट में बताया गया कि खुफिया खामियों के कारण कभी-कभी निर्दोष या आम नागरिक ऑपरेशन के दौरान पकड़े गए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर छापेमारी रात में की गई थी और लगभग सभी ऑपरेशनों का विवरण काफी हद तक एक जैसा था.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों को चिंता थी कि कुछ छापों के दौरान कथित तौर पर बरामद किए गए हथियारों की तुलना में अधिक लोग मारे गए थे. जिससे यह सुझाव मिला कि एसएएस के सैनिकों ने निहत्थे लोगों को गोली मार दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आंतरिक ईमेल से पता चलता है कि वरिष्ठ अधिकारी इस तरह की कार्रवाई से चिंतित तो थे लेकिन मिलिट्री पुलिस को संदेह की रिपोर्ट करने में विफल रहे.

विपक्ष के सांसद जॉन हेली ने इन आरोपों को बेहद परेशान करने वाला बताया है और रक्षा मंत्री बेन वालेस से संसद को यह बताने का आग्रह किया कि दावों को सत्यापित करने के लिए वह क्या कार्रवाई करेंगे.

एए/सीके (एएफपी)

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