"लैंगिक हिंसा के कारण दुनिया ने एक शानदार खिलाड़ी को खोया"
६ सितम्बर २०२४युगांडा की ओलंपियन मैराथन धावक रेबेका चेप्टेगी नहीं रहीं. बीते हफ्ते केन्या में चेप्टेगी के पार्टनर ने उनपर पेट्रोल छिड़क कर उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की थी. इस वारदात में चेप्टेगी का शरीर 80 फीसदी तक जल गया था. वह चार दिन तक अस्पताल में भर्ती रहीं, जहां उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया. अस्पताल प्रशासन ने बताया कि चेप्टेगी की मौत हो गई है. अस्पताल ने कहा है कि वह जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट भी जारी करेंगे.
रेबेका चेप्टेगी 33 साल की थीं. उन्होंने हाल ही में खत्म हुए पेरिस ओलंपिक में भी हिस्सा लिया था. महिला मैराथन प्रतियोगिता में वह 44वें स्थान पर रही थीं. वह केन्या में ही ट्रेनिंग करती थीं.
कई मुल्कों में पारित किए जा रहे हैं महिला हत्याओं पर अलग कानून
युगांडा के ओलंपिक समिति के अध्यक्ष डॉनल्ड रुकारे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा की आलोचना की. उन्होंने दुख जताते हुए कहा इस कायराना हरकत के कारण देश ने एक बेहतरीन खिलाड़ी को खो दिया. अतंरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बॉक ने भी चेप्टेगी की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि पेरिस ओलंपिक में उनकी भागीदारी गर्व, प्रेरणा और खुशी का स्रोत थी.
केन्या के खेल मंत्री किपचुम्बा मुरकोमेन ने अपने बयान में कहा कि यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि लैंगिक हिंसा के लिए अभी और भी काम करना होगा. खासकर हालिया सालों में महिला खिलाड़ियों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है.
रेबेका चेप्टेगी की मौत के बाद एक बार फिर से केन्या में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर जोरदार बहस छिड़ गई है. सोशल मीडिया पर केन्या और दूसरी अफ्रीकी देशों की महिला अधिकार कार्यकर्ता और खिलाड़ी अपना गुस्सा और नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. नाराजगी इसलिए भी ज्यादा है कि चेप्टेगी वह पहली खिलाड़ी नहीं हैं, जिनकी मौत से केन्या की महिलाएं हताश और गुस्से में हैं. केन्या में अक्टूबर 2021 से लेकर अब तक रेबेका चेप्टेगी वह चौथी महिला खिलाड़ी हैं, जिनकी हत्या उनके पार्टनर ने की है.
महिला खिलाड़ियों के खिलाफ हिंसा कितनी आम
सितंबर 2021 में जर्मनी के हेर्त्सोगेनाउराख में केन्या की धावक एग्नेस टिरोप ने 10 किलोमीटर रोड रनिंग में एक नया रिकॉर्ड बनाया था. ठीक पांच हफ्ते बाद केन्या के इटेन में उनकी हत्या कर दी गई. उनके पति पर उनकी हत्या के आरोप लगे. केन्या की ही एक और धावक एडिथ मुथोनी की भी हत्या नैरोबी में हुई थी. इसके बाद अप्रैल 2022 में धावक डमारिस मुथी की गला घोंट कर हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या भी इटेन में उनके बॉयफ्रेंड ने की थी. ये तीनों महिला धावक बड़ी खिलाड़ियों में गिनी जाती थीं.
अब रेबेका चेप्टेगी की हत्या के बाद एक बार फिर केन्या में महिला खिलाड़ियों के साथ होने वाली लैंगिक हिंसा के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं. ये मामले इसलिए भी गंभीर हैं कि इन सारी खिलाड़ियों की हत्या इनके जानने वालों या पार्टनर ने की थी.
फेमिसाइड पर क्या बताते हैं आंकड़े?
फेमिसाइड, या पार्टनर द्वारा की जाने वाली हिंसा के कारण हर साल दुनियाभर में हजारों महिलाएं अपनी जान गंवाती हैं. केन्या में भी यह महिलाओं के खिलाफ होने वाले सबसे गंभीर हिंसक अपराधों में से एक है. अफ्रीका डेटा हब के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 से लेकर अब तक केन्या में करीब 500 फेमिसाइड के केस हुए हैं. यानी, ऐसे मामले जिनमें महिलाओं की हत्या उनके पार्टनर ने की. इसी साल फरवरी में महिलाओं की हत्या के विरोध में नैरोबी में महिलाओं ने एक मार्च निकाला था.
केन्या की एक लैंगिक अधिकार कार्यकर्ता जोआन चेलिमो ने रॉयटर्स को बताया कि महिला खिलाड़ियों के साथ हिंसा होने की संभावना इसलिए अधिक है क्योंकि अब उनकी आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. जोआन चेलिमो कहती हैं, "ये खिलाड़ी इन शिकारियों के चंगुल में फंस जाती हैं, जो उनकी जिंदगी में उनके प्रेमी बनने का ढोंग करते हैं."
ऑस्ट्रेलिया में 'राष्ट्रीय संकट' बनी महिलाओं के खिलाफ हिंसा
रेबेका चेप्टेगी अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी का आधार थीं. उनकी कमाई पर समूचा परिवार निर्भर था. उनकी दो बेटियां भी हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चेप्टेगी और उनके पार्टनर के बीच किसी जमीन को लेकर विवाद चल रहा था. उनके पिता ने मीडिया को बताया कि उन्होंने सरकार से मांग की थी कि वह चेप्टेगी, उनकी संपत्ति और बेटियों को बचाएं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया की हर तीन में से एक महिला अपने साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती है. 15 से 49 साल की 27 फीसदी लड़कियां और महिलाओं ने अपने रिश्ते में किसी-ना-किसी तरह की हिंसा का सामना किया है. वैश्विक स्तर पर हर साल जितनी भी महिलाओं की हत्या होती है, उनमें से 38 फीसदी हत्याओं के जिम्मेदार अक्सर उनके साथी ही होते हैं. केन्या के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 15 से 49 साल की लगभग 34 फीसदी लड़कियां और महिलाएं हिंसा का सामना करती हैं.
आरआर/एसएम (रॉयटर्स)