रोजे क्यों रखते हैं मुसलमान?
इस्लाम में रमजान को आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से शुद्ध होने का महीना माना जाता है. इससे आप संयम और अनुशासन भी सीखते हैं. चलिए जानते हैं रमजान के बारे में कुछ अहम बातें.
कब आता है रमजान
इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीने रमजान है जिसे अरबी भाषा में रमादान कहते हैं. यह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र महीना है. इसे सब्र यानी संयम को मजबूत करने और बुरी आदतों को छोड़ने का जरिया भी माना जाता है.
क्यों रखते हैं रोजे
लूनर कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था. तभी से दुनिया भर के मुसलमान पहली बार कुरान के उतरने की याद में पूरे महीने रोजे रखते हैं.
रमजान में क्या होता है?
मुसलमान महीने भर प्रभात से लेकर सूरज छिपने तक बिना खाए पिये रहते हैं. रोजेदार सवेरे बहुत जल्दी उठ जाते हैं और प्रभात से पहले ही खा लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं. और शाम को वे इफ्तार के साथ अपना रोजा खोलते हैं.
पांच स्तंभ
रमजान इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और यह दान करने, पुण्य यानी सबाब कमाने और दरियादिली दिखाने के सिद्धांतों से भी जुड़ा है. इस्लाम के पांच अन्य स्तंभों में धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखना, नमाज पढ़ना, जकात यानी दान देना और हज करना शामिल है.
संयम और अनुशासन
रमजान के महीने में दिन के दौरान महिला और पुरूष के बीच शारीरिक संबंध बनाने पर रोक है. इसके अलावा मुसलमानों को किसी की बुराई या गपशप ना करने, किसी को बुरा भला ना कहने और लडाई झगड़े में ना पड़ने की हिदायत दी जाती है.
शिया और सुन्नी रमजान
दोनों के लिए रजमान के रीति रिवाज एक जैसे ही है. लेकिन कुछ अंतर भी हैं. जैसे सुन्नी मुसलमान अपना रोजा सूरज छिपने पर खोलते हैं. मतलब उस वक्त सूरज बिल्कुल दिखना नहीं चाहिए. वहीं शिया लोग आकाश में पूरी तरह अंधेरा होने तक इंतजार करते हैं.
शुद्धता पर जोर
इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में मुसलमान लोग पवित्र महीना शुरू होने से पहले साफ पानी में खुद को जलमग्न कर देते हैं ताकि वे आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो सकें. इस तरह के स्नान को वहां ‘पादुसान’ कहते हैं.
परंपराएं
पश्चिमी एशिया में रमजान के चौथे दिन को गारांगाओ के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन बच्चे पारंपरिक पोशाकों में सज धज कर कपड़े के थैले लिए पड़ोसियों के यहां जाते हैं और गारांगाओ गीत गाते हुए खजूर, टॉफी और बिस्किट जैसी छोटी मोटी चीजें जमा करते हैं.
जरूरतमंदों की मदद
रमजान को आध्यात्मिक रूप से पवित्र होने के तरीके के तौर पर भी देखा जाता है. इस दौरान संयमित और अनुशासित व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया जाता है. रोजे रखने का मकसद मुसलमानों को यह याद दिलाना भी है कि गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति दयाभाव रखना और उनकी मदद करना कितना जरूरी है.