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चार राज्यों के राज्यसभा चुनाव का हाल: कौन जीता, कौन हारा

१० जून २०२२

भारत में शुक्रवार को चार राज्यों की 16 राज्यसभा पर वोटिंग हुई. इनमें से कुछ पर नतीजा आ गया, जबकि कुछ पर खींचतान जारी है.

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राज्यसभा में कुल 57 सीटें खाली हुईं, जिनमें 41 सीटों पर नेताओं को निर्विरोध चुना जाना था.तस्वीर: IANS

भारत में शुक्रवार को राज्यसभा की 16 सीटों पर चुनाव की गहमा-गहमी रही. राज्यसभा में खाली हुईं 57 सीटों में चार राज्यों की 16 सीटों पर वोटिंग होनी थी. बाकी 41 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना जाना था. तो हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीटों पर वोटिंग हुई. राजस्थान और कर्नाटक में चुनाव के नतीजे भी आ गए, जबकि महाराष्ट्र और हरियाणा में सियासी और कानूनी दांवपेंच अभी जारी हैं.

राजस्थान में कांग्रेस के हाथ बाजी

राजस्थान में चार सीटों पर चुनाव हुआ, जिनमें कांग्रेस ने तीन और बीजेपी ने एक सीट पर जीत दर्ज की. यहां एक सीट पर जीत के लिए 41 वोटों को जरूरत थी. कांग्रेस की ओर से रणदीप सुरजेवाला ने 43, मुकुल वासनिक ने 42 और प्रमोद तिवारी ने 41 वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की. वहीं बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम तिवारी 43 वोटों के साथ जीते.

निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी कर रहे जी मीडिया समूह के सुभाष चंद्रा को 30 वोट ही हासिल हुए और वह चुनाव हार गए. वह निर्दलीय उम्मीदवार जरूर थे, लेकिन उन्हें बीजेपी और कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की संभावना जताई जा रही थी.

राजस्थान में बीजेपी की विधायक शोभारानी कुशवाहा ने पार्टी की लाइन से अलग जाकर कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को वोट दिया. इस वजह से बीजेपी ने चुनाव के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया. इस मामले में बीजेपी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष से रिपोर्ट भी मांगी है.

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देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को बीजेपी ने कर्नाटक से राज्यसभा भेजा.तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

कर्नाटक में बीजेपी को सफलता

कर्नाटक में भी चार सीटों पर चुनाव होना था, जिसमें बीजेपी ने तीन और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज की. सूबे की जेडीएस को एक भी सीट नहीं मिली. यहां बीजेपी से निर्मला सीतारमण ने 46, ऐक्टर जग्गेश ने 44 और लहर सिंह सिरोया ने 33 वोटों के साथ जीत हासिल की. वहीं कांग्रेस से जयराम रमेश 46 वोटों के साथ चुनाव जीते.

जेडीएस ने कुपेंद्र रेड्डी को उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें 30 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के एक और उम्मीदवार मंसूर अली खान को 25 वोट ही मिले और वह हार गए. जेडीएस के दो विधायकों ने इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग भी की. चुनाव के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जेडीएस पर निशाना साधते हुए कहा कि मंसूर अली खान के पक्ष में वोट न डालकर जेडीएस ने साबित किया कि वह बीजेपी की बी टीम है.

महाराष्ट्र और हरियाणा में खींचतान

हरियाणा में दो सीटों पर चुनाव होना था, लेकिन वोटिंग के बाद यहां वोटों की गिनती रोक दी गई. बीजेपी, जेजेपी और राज्यसभा के निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने चुनाव आयोग से मतदान की गोपनीयता भंग होने की शिकायत की थी. इस क्रम में कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा और किरण चौधरी की शिकायत की गई थी. चुनाव आयोग ने इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की.

वहीं महाराष्ट्र में 6 सीटों पर वोटिंग होनी थी, लेकिन यहां भी मतदान के बाद मामला मतगणना में उलझ गया. यहां बीजेपी ने तीन और सूबे की सत्ता पर काबिज गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने दो विधायकों की शिकायत की है. अब चुनाव आयोग मंथन कर रहा है कि वोटिंग जारी रखकर नतीजों को रोककर रखा जाए या फिर विवादित वोटिंग रद्द करके दोबारा मतदान कराया जाए.

Indien Politiker Sharad Pawar
महाराष्ट्र के साथ-साथ हरियाणा में अभी चुनाव का कोई नतीजा नहीं आया है.तस्वीर: Hindustan Times/imago images

कैसे होता है राज्यसभा चुनाव

भारत के किसी राज्य में राज्यसभा सीटों की संख्या कितनी होगी, यह उस राज्य की आबादी पर निर्भर करता है. जैसे उत्तर प्रदेश की आबादी के आधार पर यहां राज्यसभा की 31 सीटें रखी गई हैं, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा हैं. राज्यसभा सीट के चुनाव में सिर्फ विधायक ही हिस्सा लेते हैं. आम जनता या एमएलसी नहीं.

चुनाव की प्रक्रिया ऐसी होती है कि किसी राज्य में जितनी सीटों पर चुनाव होना होता है, उस संख्या में एक और जोड़ दिया जाता है. फिर इसे राज्य की विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है. जो नतीजा आता है, उसमें फिर एक और जोड़ दिया जाता है. इस तरह जो संख्या निकलती है, उतने ही वोट एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए चाहिए होते हैं.

किसी विधायक का वोट रद्द होने की सूरत में विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या बदल जाती है. ऐसे में फिर से वही गणित लगाकर चुनाव जीतने के लिए जरूरी वोटों की नई संख्या निकाली जाती है. राज्यसभा के सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं और हर दो साल में करीब एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाता है. तो राज्यसभा कभी भंग नहीं की जाती है, लेकिन हर दो साल में इसमें काफी बदलाव हो जाते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि राज्यसभा सीट के चुनाव में विधायक सभी सीटों के लिए वोट नहीं डालते हैं. हर विधायक का वोट एक ही बार गिना जाता है. ऐसे में विधायक हर सीट के लिए वोट नहीं देते हैं, बल्कि चुनाव में खड़े उम्मीदवारों में से अपनी प्राथमिकता बताते हैं. उन्हें कागज पर लिखकर बताना होता है कि सभी उम्मीदवारों में से उनकी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद कौन है.