1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

तुर्की से आप सुन रहे हैं रेडियो सीरिया

३ अप्रैल २०१३

गृह युद्ध में फंसे देश सीरिया में मीडिया की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है. कुछ उत्साही लोगों ने तुर्की से अपने देश के लिए रेडियो सेवा शुरू की है, ताकि लोगों को हर पल की जानकारी दी जा सके. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं.

https://p.dw.com/p/188IZ
तस्वीर: Fotolia/Serggod

इस घर के बाहर कोई निशान नहीं. किसी तरह का बोर्ड नहीं. तुर्की के गाजियानटेप शहर में यह एक नया मकान है. खूबी यह है कि यहां से रेडियो का प्रसारण किया जा रहा है.

पड़ोसियों की नजर यहां आने जाने वाले सात सीरियाई नौजवानों पर लगी रहती है. ये लोग थोड़ा शक के दायरे में आ गए हैं. वे अब "ब्रीज फ्रॉम सीरिया" रेडियो स्टेशन के लिए कोई नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं. सीरिया के पड़ोसी प्रांत अलेपो के ज्यादातर घरों में इस रेडियो को सुना जा सकता है. इसमें समाचार के अलावा संगीत और दूसरी सूचनाएं भी दी जा रही हैं.

22 साल की रिम इसे शुरू करने वालों में है. साउंड टेक्नीशियन 35 साल के माजेन हैं और वह इस ग्रुप के सबसे उम्रदराज सदस्य हैं. ये लोग अपने उन साथियों से बात करते हैं, जो सीरिया में हैं. इस काम के लिए इंटरनेट से मदद ली जाती है क्योंकि मोबाइल फोन बहुत महंगा है और सीरिया के कई हिस्सों में नेटवर्क भी नहीं मिलता.

पूरा काम ढके छिपे तरीके से करना पड़ता है. छद्म नामों का इस्तेमाल होता है क्योंकि यहां काम करने वालों के परिवार वाले अभी भी सीरिया में हैं, जिनका नियंत्रण मोटे तौर पर राष्ट्रपति बशर अल असद के हाथों में है.

यहां काम करने वाले अहमद बताते हैं कि किस तरह सीरिया में रहते हुए वह इस रेडियो को सुना करते थे, "मेरे मुहल्ले में रहने वाले ज्यादातर लोग सत्ता के समर्थक थे और मुझे रेडियो ब्रीज हेडफोन लगा कर सुनना पड़ता था."

रिम इस काम में सबसे आगे हैं. वह पैसे जमा करती हैं. हर रोज की स्टोरी तैयार करती हैं और पूरे ब्रॉडकास्ट की प्लानिंग करती हैं. अलेपो से ताल्लुक रखने वाली रिम कहती हैं, "कई बार मुझ पर आरोप लगता है कि मैं बहुत न्यूट्रल रहती हूं और अपने लोगों का भी पक्ष नहीं लेती. लेकिन मुझे लगता है कि हमें इसी तरह के प्रोग्राम की जरूरत है."

रेडियो पर सिर्फ राजनीति की ही बात नहीं होती, बल्कि लोगों को बीमारी से बचने के उपाय भी बताए जाते हैं. रेडियो स्टेशन को आम तौर पर सिर्फ इंटरनेट से फीडबैक मिलता है. बैटरी से चलने वाले रेडियो से कार्यक्रम सुनने वाले गाहे बगाहे ही जवाब देते हैं.

दूसरे सीरियाई युवाओं की तरह रिम ने भी फेसबुक पेज बना कर पत्रकारिता की शुरुआत की. लेकिन इसके बाद उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता का कोर्स किया. उसने स्वीडन और मिस्र में भी कोर्स किया.

पिछले साल रिपोर्टिंग करते वक्त उसे गोली लगी और वह बुरी तरह जख्मी हो गई. लोगों ने सलाह दी कि वह यह लाइन छोड़ दे. रिम का कहना है, "उन्होंने कहा कि मैंने इस क्रांति की कीमत चुका दी. लेकिन मुझे लगता है कि नए सीरिया के निर्माण के लिए मैं पहले से ज्यादा जागरूक हो चुकी हूं."

एजेए/एमजे (ड़ीपीए)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें