जर्मनी के जुल्म
बर्लिन में जर्मन हिस्टोरिकल म्यूजियम में एक प्रदर्शनी में दिखाया गया कि औपनिवेशिक दुनिया में जर्मनी ने किस किस तरह के जुल्म ढाए हैं. जर्मनी के औपनिवेशिक इतिहास के बारे में इस तरह पहली बार खुलकर बात हुई.
जब पानी था भविष्य
चांसलर ओटो फोन बिसमार्क के दौर में जर्मनी का औपनिवेशिक साम्राज्य अफ्रीका में नामीबिया, कैमरून, टोगो, तंजानिया और केन्या तक फैला था. 1888 में ताजपोशी के बाद सम्राट विलहेल्म द्वीतीय ने कहा कि उपनिवेश बढ़ाओ. इसके लिए नई सेनाएं बनाई गईं और उन्हें अफ्रीका की ओर भेजा गया.
जर्मन उपनिवेश
पैसिफिक में नॉर्थ न्यू गिनी, बिसमार्क आर्किपेलागो, मार्शल और सोलोमन द्वीप और समाओ के अलावा चीन में भी जर्मन उपनिवेश स्थापित किए गए. ब्रसेल्स में 1890 में हुई एक कॉन्फ्रेंस में यह तय हुआ कि रवांडा और बुरूंडी में जर्मन साम्राज्य स्थापित किए जाएंगे.
असमानता की व्यवस्था
उपनिवेशों में गोरे लोग बहुत कम थे लेकिन उनका दर्जा बाकियों से कहीं ज्यादा था. 1914 में उपनिवेशों में 25 हजार जर्मन रह रहे थे जबकि 1.3 करोड़ मूल अफ्रीकी. लेकिन मूल लोगों को कोई अधिकार नहीं था.
20वीं सदी का पहला नरसंहार
जर्मनी के आधीन दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका (नामीबिया) में हेरेरो और नामा में सदी का पहला नरसंहार हुआ था. यह जर्मन औपनिवेशिक इतिहास का सबसे जघन्य अपराध है. 60 हजार हेरेरो लोग प्यास से मर गए थे क्योंकि जर्मन सेना ने पानी का रास्ता रोक लिया था.
जर्मन अपराध
नामीबिया में सिर्फ 16 हजार हेरेरो लोग बचे थे. उन्हें यातना शिविरों में ले जाया गया. वहां भी हजारों और लोग मारे गए जिनकी सटीक तादाद कभी पता नहीं चल सकी.
औपनिवेशिक युद्ध
1905 से 1907 के बीच जर्मन ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ गुलाम लोगों ने बगावत की जिसका पूरी ताकत से दमन किया गया. माजी माजी की बगावत में एक लाख स्थानीय लोग मारे गए. तंजानिया में हुईं इन मौतों ने जर्मन इतिहास में काला अध्याय जोड़ा.
1907 के सुधार
बगावतों और युद्धों के बाद प्रशासनिक सुधारों पर बात हुई. लोगों के लिए हालात बेहतर करने पर बात हुई. 1907 में बर्नहार्ड डर्नबर्ग को औपनिवेशिक मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया.
विज्ञान का प्रसार
डर्नबर्ग ने उपनिवेशों के लिए कई सुधार किए. वहां विज्ञान और तकनीक के प्रसार के लिए संस्थान स्थापित गए. जर्मन विश्वविद्यालयों में भी विभाग शुरू हुए.
जर्मनी की हार
पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की हार का नतीजा उपनिवेशों पर भी पड़ा. शांति समझौते की एक शर्त यह थी कि जर्मनी अपने उपनिवेशों पर अधिकार छोड़ देगा.
नई सरकार के मंसूबे
नाजी शासन के दौरान भी जर्मनी के औपनिवेशिक मंसूबे नजर आए. 'जनरलप्लान ओस्ट' के नाम से एक योजना तैयार की गई ताकि पूर्वी यूरोप में उपनिवेश स्थापित किए जा सकें. नाजी सरकार ने अफ्रीका में हाथ से निकल गए उपनिवेश वापस पाने की भी योजना बनाई थी.
और आज की बात
इस वक्त हेरेरो और नामा नरसंहार के लिए मुआवजे पर बातचीत चल रही है. हालांकि हेरेरो समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत की है कि उसे बातचीत का हिस्सा नहीं बनाया गया है. रिपोर्ट: यूलिया हित्स/वीके