जी-7 के अनोखे आलोचक
जी-7 के आलोचकों ने कई अनोखे तरीकों से लोगों का ध्यान खींचा. देखिए, तस्वीरों में यह अनोखा विरोध.
सात ताकतें
जी-7 की शिखर वार्ता 11 से 13 जून को इंग्लैंड में हुई, जहां कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका के नेता जमा हुए.
बड़े वादे
इस बैठक में दुनिया के सबसे धनी देशों में शुमार सात देशों ने कई फैसले किए, जैसे गरीब देशों को कोविड वैक्सीन की एक अरब खुराक का वादा.
नाकाफी वादे
लेकिन जी-7 के आलोचक उसकी भूमिका और फैसलों से संतुष्ट नहीं हैं. कई तबकों ने इस समूह की आलोचना की है.
यूएन भी असंतुष्ट
आलोचकों में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंटोनियो गुटेरेश भी शामिल हैं, जिन्होंने कहा कि जी-7 की योजना में महत्वाकांक्षा की कमी है और दुनिया को और अधिक की जरूरत है.
'भीख नहीं चाहिए'
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने कहा कि कोविड से लड़ाई पर जी-7 के संकल्प भीख के कटोरे को एक से दूसरे की ओर बढ़ाने जैसा है, ना कि समस्या का असली हल.
'अभी चाहिए वैक्सीन'
लंदन स्थित एक सामाजिक संस्था वेलकम के ऐलेक्स हैरिस ने कहा कि दुनिया को वैक्सीन की जरूरत आज, अभी है, एक साल बाद नहीं.
11 अरब की जरूरत
एक अन्य सामाजिक संस्था ऑक्सफैम ने कहा कि दुनिया को 11 अरब खुराकों की जरूरत है और एक अरब खुराक काफी नहीं हैं.
पेटेंट का झगड़ा
कई देश और एनजीओ वैक्सीन से बौद्धिक संपदा अधिकार हटाने की मांग कर रहे हैं ताकि हर कोई अपनी जरूरत के हिसाब से वैक्सीन बना सके.
ताकतवर असहमतियां
अमेरिका समेत बहुत से देश इससे सहमत हैं लेकिन कई देश अब भी इसका विरोध कर रहे हैं, जिनमें जर्मनी जैसे ताकतवर मुल्क भी हैं.
बस मदद करेंगे
दवा कंपनियां भी बौद्धिक संपदा अधिकार हटाने के खिलाफ हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने निजी तौर पर भी विभिन्न देशों की वैक्सीन से मदद करने का वादा किया है.
इंग्लैंड के कॉर्नवॉल में जब जी-7 की शिखर वार्ता चल रही थी, उन तीन दिनों तक तमाम विरोधी भी इस शहर में डेरा डाले रहे. उन्होंने कई अनोखे तरीकों से लोगों का ध्यान खींचा. देखिए, तस्वीरों में यह अनोखा विरोध.