महामारी के दौर में अरब देशों में रमजान
रमजान के महीने में अधिकारियों ने ऑनलाइन नमाजों के लिए नियमों पर चर्चा की है और इफ्तार के लिए सार्वजनिक खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. तस्वीरों में देखिए, कोरोना काल में कैसे मन रहा है रमजान.
कोरोना महामारी के बीच रमजान
नए चांद के साथ रमजान महीने की शुरुआत हो गई लेकिन इस बार इबादत के इस पाक महीने में भी कोरोना वायरस का असर दिख रहा है. रोजेदार भी महामारी से बचने के लिए तमाम उपाय अपना रहे हैं.
मुसलमानों के लिए पाक महीना
रमजान के महीने में ही अल्लाह ने पाक किताब कुरान को नाजिल किया था. इस महीने में लोग सूरज के निकलने के पहले और सूरज ढलने के बाद तक रोजा रखते हैं. कोरोना काल का यह दूसरा साल है जब मुसलमान इस संकट के बीच रमजान का महीना बिता रहे हैं.
नमाज, दुआ और दान
इस्लामी कैलेंडर का सबसे पवित्र महीना है रमजान, जिसमें परिवार और समुदाय में एकजुटता और गहरी हो जाती है. रमजान नमाज, दुआ और दान का महीना है. लेकिन कोरोना वायरस संकट के समय मस्जिदों में सार्वजनिक नमाज के लिए आने वालों की संख्या कम कर दी गई है.
नमाज के लिए मास्क जरूरी
मस्जिदों में जो लोग नमाज पढ़ने जाएंगे उनके लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है. अरब देशों में लोग सेहरी और इफ्तार के समय भारी संख्या में जुटते हैं लेकिन अधिकारियों ने इस तरह के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया है.
ऑनलाइन इबादत?
इस्लाम के जानकारों के बीच ऑनलाइन इबादत को लेकर बहस छिड़ी हुई है. लेबनान के सईदा शहर की सबसे बड़ी मस्जिद के इमाम और सुन्नी कोर्ट के चेयरमैन शेख मोहम्मद अबु जाइद कहते हैं कि इस्लाम में इबादत के दो भाग होते हैं, पहले भाग में इमाम बयान देते हैं और इस्लाम के बारे में बताया जाता है. यह हिस्सा ऑनलाइन किया जा सकता है. लेकिन नमाज को ऑनलाइन नहीं पढ़ाया जा सकता है.
ऑनलाइन की जगह घर पर पढ़ें नमाज
मिस्र और सऊदी अरब में मौलवी इस बात से सहमत हैं और ऑनलाइन नमाजों को लेकर फतवा या धार्मिक फैसले जारी किए हैं. उनका कहना है जो लोग मस्जिद नहीं आ सकते हैं वे अपने घर पर प्रियजनों के साथ नमाज पढ़ें. इस बारे में कई सारे वीडियो और गाइडलाइंस भी जारी किए गए हैं.
रोजे की हालत में वैक्सीन
रोजे की हालत में कोरोना वायरस के खिलाफ टीके लगवाने को लेकर हाल के दिनों में बहुत बहस छिड़ी हुई थी. जॉर्डन के शाही इमाम शेख अब्दुल करीम खासानेह ने कहा है कि जो लोग कोरोना की वैक्सीन लेते हैं तो उनका रोजा नहीं टूटता है. हालांकि अगर किसी को साइड इफेक्ट होता है और वह रोजा तोड़ता है तो उसे रमजान के बाद उस रोजे को रखना होगा.
एक अभूतपू्र्व संकट
1.8 अरब मुसलमान पिछले साल की तरह इस साल भी वैसा ही रमजान का सामना कर रहे हैं. जब पिछले साल लोग रमजान की खरीदारी, साथ मिलकर इबादत, सेहरी और इफ्तार नहीं कर पाए थे. इस बार भी हालात वैसे ही बने हुए हैं.