पीरियड्स पर 5 जरूरी बातें
28 मई को मेन्स्ट्रुअल हायजीन डे है. थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के विशेषज्ञ बता रहे हैं पीरियड्स से जुड़ीं कुछ जरूरी बातें...
शौचालय क्यों जरूरी है?
रोजाना पूरी दुनिया में 15 से 49 साल की 80 करोड़ महिलाएं पीरियड्स में होती हैं. वॉटरएड दुनिया की सवा अरब औरतों को पीरियड्स के दौरान शौचालय की सुविधा नहीं होती. यूएन का अनुमान है कि इस वजह से हर 10 में से एक लड़की पीरियड के दौरान स्कूल नहीं जाती. धीरे-धीरे उसका स्कूल छूट जाता है.
पीरियड्स पर बात क्यों नहीं होती?
पीरियड्स के लिए दुनियाभर में 5000 से ज्यादा सांकेतिक शब्दों का इस्तेमाल होता है क्योंकि सीधे-सीधे इसका नाम लेने में शर्म आती है. नेपाल जैसे देशों में आज भी चौपदी परंपराएं मानी जाती हैं जब पीरियड्स के दौरान महिलाएं खुद को परिवार से अलग कर लेती हैं. ईरान में 50 फीसदी और भारत में 10 फीसदी लड़कियां मानती हैं कि पीरियड्स बीमारी हैं.
नजरअंदाज क्यों करते हैं?
एक स्वस्थ, प्रोडक्टिव और सम्मानजनक जीवन के लिए महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पानी, साबुन, शौचालय और सैनिटरी पैड जैसी चीजें जरूर मिलनी चाहिए. वे अपने जीवन के 6-7 साल पीरियड्स में गुजारती हैं. यह उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा है. फिर भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पातीं.
क्या असर?
पीरियड्स पर बात न हो पाने का असर ही है कि इसका नाम लेने तक में शर्म आती है. इसे बीमारी समझ जाता है. महिलाओं को परिवार से अलग तक कर दिया जाता है.
क्या कहती है आयशा?
घाना की रहने वाली हाई स्कूल की छात्रा आयशा कहती है कि पीरियड्स के दौरान अगर स्कर्ट पर खून का धब्बा लग जाए तो लड़के हमें बेशर्म कहते हैं और शर्मिंदा करते हैं. हमें खुद को खराब लगता है कि लड़कों ने हमारे कपड़ों पर खून देख लिया. हमारे लिए तब उनके सामने जाना तक मुश्किल हो जाता है.