1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

टाटा के पास जा रही हैं भारत में आईफोन की सभी फैक्ट्रियां

९ अप्रैल २०२४

आईफोन बनाने वाली कंपनी पेगाट्रॉन तमिलनाडु में अपनी फैक्ट्री का नियंत्रण टाटा समूह के हाथ में दे सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल इस समझौते से सहमत है और टाटा और पेगाट्रॉन के बीच इसे लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है.

https://p.dw.com/p/4eZdU
आईफोन
टाटा समूह एक एक कर कई आईफोन फैक्ट्रियां हासिल कर रहा हैतस्वीर: Leon Neal/Getty Images

चेन्नई के पास स्थित यह फैक्ट्री भारत में ताइवान की कंपनी पेगाट्रॉन की एकलौती फैक्ट्री है जहां आईफोन बनाए जाते हैं. रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने दावा किया है कि टाटा और पेगाट्रॉन के बीच चल रही बातचीत के मुताबिक इस फैक्ट्री को चलाने के लिए दोनों कंपनियां एक जॉइंट वेंचर बना सकती हैं.

रॉयटर्स ने दो सूत्रों के हवाले से बताया कि टाटा समूह की योजना है कि उसकी इसमें कम से कम 65 प्रतिशत हिस्सेदारी हो. पेगाट्रॉन के पास बाकी हिस्सेदारी रहेगी और साथ ही वह तकनीकी सपोर्ट भी देगी. रॉयटर्स के दो सूत्रों में से एक के मुताबिक टाटा इस फैक्ट्री को टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के जरिए चलाएगी.

टाटा का फायदा

इस फैक्ट्री में करीब 10,000 कर्मचारी काम करते हैं और यहां हर साल 50 लाख आईफोन बनते हैं. पेगाट्रॉन कुछ समय से एप्पल के साथ अपनी साझेदारी को समेट रहा है. पिछले साल कंपनी ने चीन में एक आईफोन फैक्ट्री का नियंत्रण अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी लक्सशेयर को 29 करोड़ डॉलर में दे दिया था. तमिलनाडु वाली फैक्ट्री उसके नियंत्रण वाली आखिरी ऐसी फैक्ट्री है.

एप्पल आईफोन
एप्पल भारत में आईफोन का उत्पादन काफी बढ़ाने की कोशिश कर रहा हैतस्वीर: Sankhadeep Banerjee/NurPhotopicture alliance

रॉयटर्स ने टाटा और पेगाट्रॉन को टिप्पणी के लिए ईमेल भेजी थीं लेकिन दोनों कंपनियों ने जवाब नहीं दिया. एप्पल ने टिप्पणी करने से मना कर दिया. रॉयटर्स के सूत्रों ने इस समझौते के लिए चल रही बातचीत की वित्तीय जानकारी साझा नहीं की.

चीन और अमेरिका के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में एप्पल भी अपनी सप्लाई चेन को चीन से बाहर स्थापित करने की कोशिशों में लगी हुई है. लेकिन टाटा को इस समझौते का फायदा मिलेगा. चेन्नई वाली फैक्ट्री आईफोन उत्पादन की उसकी योजनाओं को और मजबूत करेगी.

टाटा समूह पहले से कर्नाटक में एक आईफोन असेम्ब्ली फैक्ट्री चलाता है, जिसे उसने पिछले साल ताइवान की ही एक और कंपनी विस्ट्रॉन से लिया था. टाटा एक और फैक्ट्री तमिलनाडु के होसुर में भी बना रहा है. संभव है कि इस फैक्ट्री में पेगाट्रॉन उसका जॉइंट वेंचर साझेदार हो.

बदल रही एप्पल की रणनीति

पेगाट्रॉन भी अपने चेन्नई परिसर में पिछले कई महीनों से एक और आईफोन फैक्ट्री बना रही है. रॉयटर्स के सूत्रों में से एक ने बताया कि टाटा वाले समझौते के तहत टाटा समूह इस फैक्ट्री पर भी नियंत्रण ले सकता है. उम्मीद है कि दोनों कंपनियों के बीच बातचीत छह महीनों में पूरी हो जाएगी. पेगाट्रॉन इंडिया के सभी कर्मचारी जॉइंट वेंचर के कर्मचारी बन जाएंगे.

क्या वाकई लाखों में एक है Apple का लाखों का चश्मा?

भारत में आईफोन के मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट उत्पादकों में टाटा, पेगाट्रॉन और फॉक्सकॉन शामिल हैं. टाटा एप्पल की भारत में बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के लिए बेहद जरूरी है. समीक्षकों का अनुमान है कि इस साल आईफोन के कुल ऑर्डरों में से भारत से 20-25 प्रतिशत योगदान रहेगा. पिछले साल यह योगदान 12 से 14 प्रतिशत था.

पेगाट्रॉन एप्पल के व्यापार में से धीरे धीरे क्यों बाहर निकल रहा है इसके कारणों के बारे में जानकारी नहीं है. पिछले साल पेगाट्रॉन ने कहा था कि चीन वाली फैक्ट्री का समझौता कंपनी के "व्यापार को ऑप्टिमाइज" करने के लिए धन इकट्ठा करने के लिए किया गया था.

सीके/एए (रॉयटर्स)