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समाज

महामारी के कारण ढाई करोड़ होंगे बेरोजगार

१९ मार्च २०२०

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में ढाई करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं और कर्मचारियों की आय नाटकीय रूप से कम हो जाएगी.

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Afrikaische Stromversorgung
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Jallanzo

दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर संकट गहराता जा रहा है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि महामारी से दुनिया भर में बेरोजगारी बहुत तेजी से बढ़ेगी और लगभग ढाई करोड़ और लोग बेरोजगार हो सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपने ताजा अध्ययन को जारी करते हुए कहा, "कोरोना वायरस से उत्पन्न आर्थिक और श्रम संकट के चलते लगभग ढाई करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं." हालांकि संगठन ने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय समन्वित प्रतिक्रिया नीति इस संख्या को "काफी कम" कर सकती है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर ने एक बयान में कहा, "यह अब सिर्फ वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं रह गया है बल्कि यह एक प्रमुख श्रम बाजार और आर्थिक संकट भी है जो लोगों पर भारी प्रभाव डाल रहा है." संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने सुझाव दिया है कि विश्व को "वायरस के मद्देनजर होने वाली बेरोजगारी से निपटने के लिए तैयार रहना होगा."

संगठन ने अलग-अलग परिदृश्य पेश किए जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि सरकारें कितनी जल्दी और किस स्तर की समन्वय प्रतिक्रिया देती हैं. संगठन ने पाया कि बहुत अच्छी स्थिति में भी 53 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो जाएंगे. संगठन का कहना है कि इन हालात को टालने के लिए वैश्विक स्तर पर एक समन्वित, नीतिगत कार्रवाई करने की जरूरत होगी. संगठन ने चेतावनी दी है कि,"वायरस के प्रकोप के कारण काम के घंटों और मजदूरी में कटौती होगी."

Indien Bangalore - Symbolbild Strassenarbeit
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar

विकासशील देशों में स्वरोजगार अक्सर आर्थिक बदलावों के प्रभाव को कम करने के लिए कार्य करता है. लेकिन इस बार वायरस के कारण लोग और माल की आवाजाही पर लगाए गए गंभीर प्रतिबंधों के कारण स्वरोजगार भी कारगर साबित नहीं हो पाएगा. संगठन का कहना है कि काम तक पहुंच में कमी का मतलब है कि लाखों लोग रोजगार गंवाएंगे जिसका मतलब है कि एक बड़ी राशि का नुकसान होगा. अध्ययन में लगाए गए अनुमान के मुताबिक 2020 के अंत तक कामगारों के 860 अरब डॉलर से लेकर 3400 अरब डॉलर गंवाने का खतरा है. अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की खपत में गिरावट होगी जिसका असर कारोबार और अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को प्रभावित करेगा.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर के मुताबिक, "2008 में दुनिया ने वैश्विक वित्तीय संकट के दुष्परिणामों से निपटने के लिए असाधारण एकुजटता दिखाई थी और उसके जरिए बदहाल स्थिति को टालने में मदद मिली. हमें उसी प्रकार के नेतृत्व और सकंल्प की आवश्यकता है."

एए/सीके (एएफपी)

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