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पनामा लीक: घोटालेबाजों के खिलाफ निकला अरेस्ट वारंट

२० अक्टूबर २०२०

काले धन से जुड़े पनामा पेपर्स लीक के केंद्र में रही कंपनी मोसैक फॉन्सेका के दोनों संस्थापकों के खिलाफ जर्मनी ने अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वारेंट निकाला है. इस समय विश्व के 79 देशों में इससे जुड़ी जांच हो रही है.

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पनामा स्थित कंपनी मोसैक फॉन्सेका के कथित वित्तीय घोटालों का खबर 2016 में सामने आई थी. तस्वीर: picture-alliance/maxppp/J. Pelaez

जर्मन मीडिया में आई खबर के अनुसार जर्मनी ने काला धन मामले के केंद्र में रही मोसैक फॉन्सेका के संस्थापकों युर्गेन मोसैक और रामोन फॉन्सेका के खिलाफ गिरफ्तारी का अंतरराष्ट्रीय वारेंट निकाल दिया है. इन दोनों पर टैक्स चोरी करने और अपराधियों के साथ मिलीभगत करने का आरोप है.

जर्मन अखबार 'जुडडॉयचे साइटुंग' ने खबर छापी है कि वारेंट जारी होने के कारण अब इनमें से किसी को भी यूरोपीय संघ के किसी देश में प्रवेश करते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अप्रैल 2016 में मोसैक फॉन्सेका के गोपनीय दस्तावेजों से बहुत बड़े स्तर पर टैक्स की चोरी और काले धन को दूसरे देशों में छुपाने के मामले का खुलासा हुआ था.

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घोटाले की विश्वस्तरीय जांच 

अमेरिकन सेंटर फॉर पब्लिक इंटेग्रिटी के अनुसार, इस समय विश्व के 79 देशों में पनामा पेपर्स लीक से जुड़े करीब 150 मामलों की जांच चल रही है. जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि कंपनी के एक संस्थापक युर्गेन मोसैक आत्मसमर्पण कर सकते हैं. ऐसी उम्मीद इसलिए लगाई जा रही है कि अगर मोसैक अधिकारियों के सामने खुद को पेश करने और जांच में सहयोग देने के लिए तैयार हो जाते हैं तो वह अपनी सजा कम करने की मांग कर सकेंगे और अमेरिकी आरोपों से बचने की भी स्थिति बन सकती है. मोसैक का परिवार अब भी जर्मनी में ही रहता है. 

सन 2018 में मोसैक फॉन्सेका कंपनी ने अपनी साख को "अपूरणीय क्षति" पहुंचने के कारण कामकाज बंद करने की घोषणा कर दी थी. उधर पनामा की सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करती आई है कि उसे टैक्स चोरी के अहम ठिकाना मानने वाली सूची से बाहर निकाला जाए. घोटाले के इन दोनों आरोपियों के पास पनामा का पासपोर्ट है और फिलहाल वे कैरिबियाई द्वीपसमूह में कहीं रहते हैं. यह द्वीपसमूह उनके लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है क्योंकि इनकी किसी भी अन्य देश के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है.

जर्मनी से जुड़े हैं तार

कथित घोटाले की खबरों के सामने आने के समय यह भी पता चला था कि खुद जर्मनी के कम से कम 28 बैंकों ने भी इस फर्म की परामर्श सेवाएं ली थी. दूसरी तरफ विवादों के केंद्र में फंसी फर्म ने हमेशा कहा है कि वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं रही है और उसने अपने ग्राहकों के लिए तमाम सही वजहों के कारण कई ऑफशोर कंपनियां स्थापित की थीं.

2016 में मीडिया इंटरनेश्नल कंसॉर्शियम ऑफ ​इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म और कुछ अन्य मीडिया संगठनों ने मिलकर पनामा स्थित कानूनी कंसल्टेंसी कंपनी मोसैक फॉन्सेका से संबंधित दस्तावेज लीक किए थे. यह खबर भी सबसे पहले जर्मन अखबार 'जुडडॉयचे साइटुंग' में ही प्रकाशित हुई थी. बताया गया था कि इस समूह ने विश्व भर के कई मशहूर और अमीर लोगों का टैक्स बचाने में उनकी मदद करने वाली इस कंपनी के करीब एक करोड़ 15 लाख दस्तावेजों की कई महीनों तक पड़ताल की और फिर अपने नतीजों को सार्वजनिक किया, जिसे पनामा लीक्स के नाम से जाना गया.

इस घोटाले में शामिल कई विश्वप्रसिद्ध प्रसिद्ध हस्तियां खुद भी अपने अपने देशों में कर चोरी के मामलों की जांच झेल रहे हैं. कंपनी पर आरोप है कि उसने टैक्स चोरी करते हुए कई नई कंपनियां बनाकर 'टैक्स ​हेवन' देशों में पैसा जमा करवाया था. अब तक की जांच में दुनिया भर के करीब 140 नेताओं के नाम सामने आए हैं जिसमें से दर्जन भर राजनेता तो अलग अलग देशों के पूर्व या मौजूदा प्रमुख हैं. कई बड़े व्यवसायियों के अलावा इसमें खेल और मनोरंजन जगत के भी कई मशहूर लोगों का नाम आया था.  

आरपी/एमजे (डीपीए)

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