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भारत को कितना महंगा पड़ा पाकिस्तानी एयरस्पेस का बंद होना

ऋषभ कुमार शर्मा
१६ जुलाई २०१९

पाकिस्तान ने 16 जुलाई से अपना एयरस्पेस खोल दिया है. लगभग चार महीने से बंद रहे इस एयरस्पेस के कारण भारत को सैकड़ों करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ है. पाकिस्तान को भी इस वजह से नुकसान और परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

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USA Hurrikan "Harvey" | Rückblick
तस्वीर: Reuters/Handout 2nd Lt. Faith Brodkorb/U.S. Air Force

सौरभ 1 मार्च 2019 को नई दिल्ली से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट जा रहे थे. उनकी फ्लाइट दिल्ली से इस्तांबुल और इस्तांबुल से फ्रैंकफर्ट के लिए थी. उनकी फ्लाइट दिल्ली से सुबह 6 बजे रवाना होनी थी लेकिन वो फ्लाइट दिल्ली पहुंची ही सुबह 7 बजे. 9 बजे दिल्ली से रवाना हुई. उन्हें इस्तांबुल पहुंचने में देरी हो गई. उनकी फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट भी छूट गई. उन्हें 12 घंटे एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा. उसके बाद दूसरी फ्लाइट से वो इस्तांबुल से फ्रैंकफर्ट के लिए रवाना हो सके. उन्हें खाने पीने और सोने तक की भी काफी परेशानी हुई. इस्तांबुल एयरपोर्ट पर ऐसे हजारों यात्री थे जिनके साथ ऐसी ही वाकया हुआ. इस देरी की वजह थी पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद होना. जो 1 मार्च से तीन दिन पहले यानी 26 फरवरी को बंद कर दिया गया था. एयरस्पेस को हवाई क्षेत्र कहा जाता है.

क्या होता है एयरस्पेस

जब किसी देश की बात की जाती है तो उसकी सीमाओं के अंदर आने वाली जमीन के साथ पानी और आकाश की भी बात होती है. किसी भी देश का अपने जमीनी तट से 12 नॉटिकल मील यानी 22.2 किलोमीटर दूर तक समुद्र पर भी उसी देश का अधिकार होता है. इसे जलसीमा कहते हैं. किसी भी देश की थल और जलसीमा के ऊपर के आकाशीय हिस्से को एयरस्पेस कहा जाता है.

इस एयरस्पेस पर जमीन और जल की तरह उस देश का अधिकार होता है. इसलिए वह देश तय करता है कि कौन इस एयरस्पेस से गुजर सकता है और कौन नहीं. जमीन से ऊंचाई और उपयोग के आधार पर एयरस्पेस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है. जैसे नियंत्रित एयरस्पेस, अनियंत्रित एयरस्पेस, विशेष उपयोग के एयरस्पेस और प्रतिबंधित एयरस्पेस. 

SAS Airbus A320
तस्वीर: Reuters/P. Hanna

नियंत्रित एयरस्पेस का मतलब वो हवाई क्षेत्र जिसमें उड़ान भरने वाले विमानों का नियंत्रण एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा किया जाता है. इसे ऊंचाई के हिसाब से सबसे ऊपर एयरस्पेस ए, बी, सी, डी और ई में बांटा जाता है. अनियंत्रित एयरस्पेस में उड़ान भर रहे विमानों को एटीसी निर्देश नहीं देता है. इन विमानों के पायलटों को विजुअल फ्लाइट रूल्स यानी दिखाई देने के हिसाब से विमान को नियंत्रित करना होता है. इसे जी एयरस्पेस भी कहते हैं. यह जमीन से कम ऊंचाई पर होता है. विशेष उपयोग के एयरस्पेस में सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाले एयरस्पेस समेत अलग-अलग विशेष उपयोग का हवाई क्षेत्र शामिल होता है. प्रतिबंधित एयरस्पेस में कोई विमान उड़ान नहीं भर सकता. ऐसा अक्सर ऐतिहासिक इमारतों और सुरक्षा ठिकानों के ऊपर होता है. भारत में ताजमहल के ऊपर उड़ान भरना प्रतिबंधित है.

कैसे तय होता है हवाई मार्ग

किन्हीं भी दो स्थानों के बीच हवाई मार्ग तय करने के लिए कुछ पैमाने होते हैं. पहला पैमाना दूरी होता है. उड़ान शुरू करने वाले स्थान से उड़ान के गंतव्य स्थान तक सबसे कम हवाई दूरी वाले मार्ग को चुना जाता है. इसके बाद देखा जाता है कि इस मार्ग का मौसम कैसा है, हवा की रफ्तार क्या होगी, आपातकालीन समय में नजदीकी एयरपोर्ट की दूरी कितनी होगी और हवाई क्षेत्र के नीचे पड़ने वाले स्थल या जलीय क्षेत्र में किसी तरह का विवाद तो नहीं है.

इन सभी पैमानों पर खरा उतरने के बाद इस मार्ग को चुन लिया जाता है. हालांकि हर देश का अपने एयरस्पेस पर विशेषाधिकार होता है. यह उस देश का अधिकार है कि वो किस विमान को अपने एयरस्पेस में दाखिल होने देता है और किस विमान को प्रतिबंधित कर देता है. जैसे भारतीय एयरस्पेस पर भारत सरकार और भारतीय वायुसेना का विशेषाधिकार है. किसी भी विमान को भारत के हवाई क्षेत्र में दाखिल होने के लिए इनसे अनुमति लेनी ही होती है.

पाकिस्तान एयरस्पेस बंद होने का क्या नुकसान हुआ

26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा बम बरसाए जाने के बाद पाकिस्तान सिविल एविएशन अथोरिटी ने एक नोटिस टू एयरमेन जारी किया. इस नोटिस के बाद से पाकिस्तान का एयरस्पेस पूरी तरह से बंद कर दिया गया. पाकिस्तान की आंतरिक उड़ाने भी कुछ समय तक रद्द रहीं थीं. इस एयरस्पेस के बंद किए जाने का असर भारत और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से पश्चिमी देशों में जाने वाली उड़ानों पर पड़ा. भारत और इस दिशा से पश्चिमी देशों को जाने वाले विमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर होते हुए आगे आते-जाते थे. लेकिन एयरस्पेस बंद होने के बाद यह रुक गया.

Paris Air Show 2011 | Boeing & Airbus
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Laurent

भारत से पश्चिमी देशों में जाने वाले विमान पाकिस्तान के नीचे अरब सागर के ऊपर से उड़ान भर रहे थे. इससे उन्हें थोड़ा बड़ा चक्कर लगाना पड़ रहा था. इससे हर फ्लाइट की उड़ान का समय 70-80 मिनट तक बढ़ गया था. यही कारण था कि शुरुआत में बताई गई सौरभ की कहानी में उनकी इस्तांबुल से फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट छूट गई.

पाकिस्तान के एयरस्पेस से 11 विमान मार्ग निकलते हैं. इनमें से दो विमान मार्गों का इस्तेमाल पाकिस्तान ने मार्च के आखिर में शुरू कर दिया था. लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ पाकिस्तान आ-जा रहे विमान कर रहे थे. यहां से निकलकर दूसरे देश जा रहे विमानों को यहां से निकलने की अनुमति नहीं दी गई थी. 16 जुलाई को भारतीय समयानुसार रात को 1 बजे जारी किए गए एक नोटिस द्वारा पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस पूरी तरह खोल दिया है.

भारत को कितना नुकसान हुआ

एयरस्पेस बंद होने का आर्थिक नुकसान भारत को भी उठाना पड़ा. 2 जुलाई तक जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारतीय विमान कंपनियों को सम्मिलित रूप से 550 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ. इसका कारण उड़ान में लगने वाला ज्यादा समय और ईंधन है. सबसे ज्यादा नुकसान एयर इंडिया को हुआ है. 2 जुलाई तक एयर इंडिया को 491 करोड़ का नुकसान हुआ. इंडिगो को 31 मई तक 25.1 करोड़ रुपये और 20 जून तक स्पाइसजेट को 30.73 करोड़ और गोएयर को 2.1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

एयरस्पेस बंद होने की वजह से भारत से चलने वाली कई नॉनस्टॉप फ्लाइट्स को ईंधन के लिए दूसरी जगह पर एक स्टॉप लेना पड़ा. इस वजह से फ्लाइट के संचालन खर्च में बढ़ोत्तरी हुई और गंतव्य तक पहुंचने का समय भी बढ़ा. शुरुआत में पाकिस्तान ने एयरस्पेस को पूरी तरह से बंद किया था. इसके चलते हजारों पाकिस्तानी यात्री दूसरे देशों में फंसे रह गए थे.

पाकिस्तान को भी इसका भारी नुकसान हुआ है. शुरुआती दिनों में पूरी तरह एयरस्पेस बंद रहने से वहां कोई आंतरिक विमान सेवा ने काम नहीं किया. इससे वहां की विमान कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. साथ ही, किसी भी देश का एयरस्पेस इस्तेमाल करने के लिए एक फीस चुकानी होती है. इतने समय तक बंद रहे एयरस्पेस के कारण पाकिस्तान को वो फीस भी नहीं मिली है. एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च से जून के बीच पाकिस्तान को 688 करोड़ रुपये का नुकसान विमान सेवाओं के प्रभावित होने के चलते हुआ. ऐसे में पाकिस्तान को यात्रियों की परेशानी के अलावा एयरस्पेस का आर्थिक नुकसान भी हुआ.

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