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खेलन्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड ने महिला खिलाड़ियों की ड्रेस के लिए बदले नियम

१० अप्रैल २०२४

न्यूजीलैंड ने खिलाड़ियों की पोशाकों से जुड़े नियमों में बदलाव किया है. अब मुकाबले में हिस्सा ले रही किसी जिम्नास्ट को परफॉरमेंस के दौरान गलती से अंडरवेयर दिख जाने पर पेनल्टी नहीं मिलेगी.

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सिमोन बाइल्स
अमेरिकी जिम्नास्ट सिमोन बाइल्सतस्वीर: Kamil Krzaczynski/AFP/Getty Images

जिम्नास्टिक्स न्यूजीलैंड ने खिलाड़ियों की पोशाकों से जुड़े अपने नियमों में बड़े बदलाव किए हैं. अब महिला खिलाड़ियों को अपने लियोटार्ड यानी जिम्नास्टिक्स के लिए पहने जाने वाली बिकीनी जैसी ड्रेस के ऊपर शॉर्ट्स या लेगिंग्स पहनने की इजाजत होगी. पुरुषों के लिए यह नियम पहले से ही लागू था.

यह फैसला लेने से पहले जिम्नास्टिक्स न्यूजीलैंड ने 200 से ज्यादा प्रतिद्वन्द्वी महिला जिम्नास्टिक खिलाड़ियों के बीच एक सर्वेक्षण किया था. इस सर्वेक्षण के बाद संस्था ने कहा कि हर खिलाड़ी को अपने प्रदर्शन के दौरान ‘आरामदायक और सुरक्षित' महसूस होना चाहिए.

अब तक जो नियम थे, उनके तहत अगर प्रदर्शन के दौरान गलती से भी जिम्नास्ट उल्लंघन कर बैठे तो उसके अंतिम स्कोर में कटौती हो जाती थी.

लंबी कोशिशों का नतीजा

न्यूजीलैंड की चार्ल्स स्ट्रट यूनिवर्सिटी में ह्यूमन मूवमेंट स्ट्डीज की लेक्चरर रेचल जेफरसन कहती हैं कि कई साल की कोशिशों के बाद यह बदलाव हुआ है. एक लेख में उन्होंने कहा, "कई साल की मेहनत के बाद यह बदलाव हुआ है. कुछ महिला खिलाड़ी इस बात को लेकर आवाज उठाती रही थीं कि उनकी पोशाकें उनके शरीर की गतिविधियों और उनके आत्मविश्वास को प्रभावित करती हैं. और इसमें कोई हैरत भी नहीं है क्योंकि महिला खिलाड़ी जो पोशाक पहनती हैं, वे पुरुषों के लिए डिजाइन की गई थीं. इसलिए कुछ महिला खिलाड़ी उनमें असहज महसूस करती हैं.”

पोशाकों के इन नियमों को लेकर जुलाई 2021 में तब बड़ा विवाद हुआ था जब नॉर्वे की महिला बीच हैंडबॉल टीम को यूरोपीयन चैंपियनशिप के एक मैच में तयशुदा बिकीनी बॉटम की जगह शॉर्ट्स पहनने पर 1,500 यूरो यानी लगभग सवा लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.

यूरोपीय हैंडबॉल संघ के अधिकारियों का दावा था कि शॉर्ट्स ‘अनुचित पोशाक' है जो संघ के वर्दी से जुड़े नियमों का उल्लंघन करती है. इस पर तमाम महिला खिलाड़ियों ने विरोध जताया था. उसके कुछ ही महीने बाद अक्तूबर में संघ ने चुपचाप बीच हैंडबॉल के लिए पोशाकों के नियमों बदलाव कर दिया था. हालांकि नए नियमों में कहा गया कि "महिला खिलाड़ियों को छोटी और तंग पैंट (शॉर्ट्स) पहननी होगी” जबकि पुरुषों की शॉट्स "बहुत ज्यादा खुली” नहीं होनी चाहिए और वे महिलाओं की शॉर्ट्स से लंबी हो सकती हैं लेकिन घुटनों से 10 सेंटीमीटर ऊपर होनी चाहिए.

कई जगह विरोध

2021 में ही स्विट्जरलैंड में हुई यूरोपीय आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप में महिला खिलाड़ियों ने ड्रेस कोड का विरोध किया था. तब जर्मन खिलाड़ियों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने थे.

जर्मन खिलाड़ियों की यह प्रतिक्रिया 2018 के अमेरिका में हुए बड़े कांड से भी जुड़ी थी. खेल इतिहास के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडलों में शामिल उस घटना में 156 महिला खिलाड़ियों ने अपनी टीम के डॉक्टर लैरी नेसर के खिलाफ गवाही दी थी. उसके बाद नेसर को 175 साल की कैद सुनाई गई.

खेलों में पीरियड्स पर बात करना जरूरी

इसका असर यह हुआ कि दुनियाभर में महिला खिलाड़ियों ने यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी. ब्रिटेन में 2022 में व्हाइट रिव्यू के तहत हुई सुनवाई में 400 खिलाड़ियों ने अपने साथ हुए शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार की बात कही.

न्यूजीलैंड में ब्लेनहाइम जिम्नास्टिक्स क्लब कोच ग्रेगरी पास्क ने इसी साल अपनी कोचिंग में आने वाली खिलाड़ियों के साथ 60 से ज्यादा बार यौन दुर्व्यवहार का दोष स्वीकार किया.

पोशाक नहीं, चुनाव का सवाल

जेफरसन कहती हैं कि यह मामला पोशाक का नहीं बल्कि चुनाव का है. वह कहती हैं, "जब महिला खिलाड़ियों को पोशाक चुनने की आजादी दी जाती है तो वे सशक्त महसूस करती हैं.”

जेफरसन हाल ही में हुए एक शोध का हवाला देती हैं जिसमें आठ देशों की 3,000 से ज्यादा लड़कियों ने कहा कि खेल के दौरान पहनी जाने वाली पोशाक उनकी शारीरिक गतिविधि का अहम हिस्सा है और अगर उन्हें पोशाक चुनने की आजादी मिलती है तो वे ज्यादा लंबे समय तक खेल में सक्रिय रहती हैं.

अन्य खेलों में भी महिला खिलाड़ियों ने इसी तरह के कदम उठाए हैं. पिछले साल हुए महिला वर्ल्ड कप के दौरान इंग्लैंड, कनाडा, फ्रांस, नाइजीरिया और न्यूजीलैंड की खिलाड़ियों ने सफेद शॉर्ट्स नहीं पहनी थीं. अमेरिकी खिलाड़ियों ने भी 1991 के बाद पहली बार खेलते वक्त सफेद शॉर्ट्स नहीं पहनीं.

इसी तरह विंबलडन में भी कजाख्सतान की ईलेना राइबाकिना और अमेरिका की शेल्बी रॉजर्स ने गहरे रंग की शॉर्ट्स पहनीं क्योंकि ऑल इंग्लैंड क्लब ने नियमों में छूट दे दी थी. यूरो हॉकी चैंपियनशिप में भी महिलाओं को पोशाक के चुनाव का विकल्प दिया गया.

विवेक कुमार (एएफपी)