विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया के पास यूरेनियम की भरपूर मात्रा है और वह लगभग एक दशक से उसे गुपचुप तरीके से उसके संवर्धन पर काम कर रहा है. पिछले दिनों ही उत्तर कोरिया ने अपना पांचवां और सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किया. दक्षिण कोरिया का यहां तक कहना है कि जल्द ही उत्तर कोरिया एक और परमाणु परीक्षण की तैयार कर रहा है.
उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर अग्रणी विशेषज्ञ जिगफ्राइड हेकर कहते हैं कि उत्तर कोरिया हर साल 150 किलो यूरेनियम संवर्धन करने में सक्षम हो सकता है. हेकर के मुताबिक इतने यूरेनियम से हर साल छह परमाणु बम तैयार किए जा सकते हैं.
किसके पास कितने ऐटम बम, देखें
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किसके पास, कितने एटम बम
रूस
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे है. 1949 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने वाले रूस के पास 8,000 परमाणु हथियार हैं.
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किसके पास, कितने एटम बम
अमेरिका
1945 में पहली बार परमाणु परीक्षण के कुछ ही समय बाद अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु हमला किया. सिप्री के मुताबिक अमेरिका के पास आज भी 7,300 परमाणु बम हैं.
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किसके पास, कितने एटम बम
फ्रांस
यूरोप में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार फ्रांस के पास हैं. उसके एटम बमों की संख्या 300 बताई जाती है. परमाणु बम बनाने की तकनीक तक फ्रांस 1960 में पहुंचा.
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किसके पास, कितने एटम बम
चीन
एशिया में आर्थिक महाशक्ति और दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना वाले चीन की असली सैन्य ताकत के बारे में बहुत पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन अनुमान है कि चीन के पास 250 परमाणु बम हैं. चीन ने 1964 में पहला परमाणु परीक्षण किया.
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किसके पास, कितने एटम बम
ब्रिटेन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य ब्रिटेन ने पहला परमाणु परीक्षण 1952 में किया. अमेरिका के करीबी सहयोगी ब्रिटेन के पास 225 परमाणु हथियार हैं.
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किसके पास, कितने एटम बम
पाकिस्तान
अपने पड़ोसी भारत से तीन बार जंग लड़ चुके पाकिस्तान के पास 100-120 परमाणु हथियार हैं. 1998 में परमाणु बम विकसित करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ है. विशेषज्ञों को डर है कि अगर अब इन दोनों पड़ोसियों के बीच लड़ाई हुई तो वह परमाणु युद्ध में बदल सकती है.
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किसके पास, कितने एटम बम
भारत
1974 में पहली बार और 1998 में दूसरी बार परमाणु परीक्षण करने वाले भारत के पास 90-110 एटम बम हैं. चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बावजूद भारत ने वादा किया है कि वो पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. साथ ही भारत का कहना है कि वह परमाणु हथियार विहीन देशों के खिलाफ भी इनका प्रयोग नहीं करेगा.
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किसके पास, कितने एटम बम
इस्राएल
1948 से 1973 तक तीन बार अरब देशों से युद्ध लड़ चुके इस्राएल के पास करीब 80 नाभिकीय हथियार हैं. इस्राएल के परमाणु कार्यक्रम के बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक है.
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किसके पास, कितने एटम बम
उत्तर कोरिया
पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान की मदद से परमाणु तकनीक हासिल करने वाले उत्तर कोरिया के पास कम से कम छह परमाणु हथियार हैं. उत्तर कोरिया का असली विवाद दक्षिण कोरिया से है. तमाम प्रतिबंधों के बावजूद 2006 में उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
हेकर ने 2010 में उत्तर कोरिया के योंगब्योन परमाणु केंद्र का दौरा किया था. उनका आकलन है कि उत्तर कोरिया के पास 32 से 54 किलो प्लूटोनियम का भंडार हो सकता है और उसके पास साल के आखिर तक इतनी सामग्री होगी कि 20 परमाणु बम तैयार किए जा सकें.
उत्तर कोरिया का कहना है कि हालिया परमाणु परीक्षण के बाद वो मध्य दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल को परमाणु हथियार से लैस करने में सक्षम हो गया है. लेकिन उसके इन दावों की कभी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है.
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री हान मिन-कू ने इस साल अनुमान जताया कि उत्तर कोरिया के पास 40 किलो प्लूटोनियम हो सकता है. लेकिन परमाणु हथियारों का डिजाइन तैयार करने वाली अमेरिका की लॉस अलामोस नेशनल लेबोरेट्री के डायरेक्टर रहे हेकर कहते हैं कि पश्चिमी जगत को पता ही नहीं है कि उत्तर कोरिया ने यूरेनियम संवर्धन के अपने कार्यक्रम को कितना उन्नत बना लिया है.
देखिए, पहला परमाणु बम
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हिरोशिमा और नागासाकी
कयामत
6 अगस्त 1945. जापानी समय के अनुसार सुबह के 8 बजकर 15 मिनट. हिरोशिमा शहर के केंद्र से 580 मीटर की दूरी पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ. शहर का 80 प्रतिशत हिस्सा इस विस्फोट की चपेट में आया. जैसे नाभिकीय आग का गोला फूटा हो जिसमें लोग, जानवर और पौधे जल गए. मलबे में तब्दील शहर और लोगों की त्रासदी के बीच मानव सभ्यता को एक नया प्रतीक मिला, परमाणु बम का कुकुरमुत्ते जैसा गुबार.
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हिरोशिमा और नागासाकी
फैसला
जर्मनी द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान का पराजित साथी था. उसने मई में ही समर्पण कर दिया था.जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन युद्ध के बाद की स्थिति पर विचार करने के लिए जर्मनी के पोट्सडम शहर में मिले. प्रशांत क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हुआ था. जापान अभी भी मित्र देशों के सामने समर्पण करने से इंकार कर रहा था.
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हिरोशिमा और नागासाकी
लिटल बॉय
पोट्सडम में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन को यह खबर मिली कि न्यू मेक्सिको में परमाणु बम का परीक्षण सफल रहा है और लिटल बॉय नाम का बम प्रशांत क्षेत्र की ओर भेजा जा रहा है. परमाणु बम के इस्तेमाल की तैयारी पूरी हो चुकी थी और पोट्सडम में ही ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि यदि जापान फौरन बिना शर्त हथियार डालने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा.
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हिरोशिमा और नागासाकी
इनोला गे
जापान के समर्पण नहीं करने पर हिरोशिमा पर हमले के लिए पहली अगस्त 1945 की तारीख तय की गई. लेकिन तूफान के कारण इस दिन हमले को रोक देना पड़ा. पांच दिन बाद इनोला गे विमान 13 सदस्यों वाले कर्मीदल लेकर हमले के लिए रवाना हुआ. लड़ाकू विमान के कर्मियों को उड़ान के दौरान पता लगा कि उन्हें लक्ष्य पर परमाणु बम गिराना है
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हिरोशिमा और नागासाकी
भारी नुकसान
कहते हैं कि परमाणु बम हमले के बाद हिरोशिमा के ढाई लाख निवासियों में 70-80 हजार की फौरन मौत हो गई. धमाके के कारण पैदा हुई गर्मी में पेड़ पौधे और जानवर भी झुलस गए. इस इमारत को छोड़कर कोई भी इमारत परमाणु बम की ताकत को बर्दाश्त नहीं कर पाई. यह इमारत थी धमाके से 150 मीटर दूर शहर के वाणिज्य मंडल की. लकड़ी के बने कुछ पुराने मकान परमाणु हमले और उसके बाद हुई तबाही की दास्तान सुनाने के लिए बच गए.
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हिरोशिमा और नागासाकी
हमले के शिकार
हिरोशिमा में परमाणु धमाके के आस पास के लोगों के लिए मौत से बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी. दूर में जो बच गए उनका शरीर बुरी तरह जल गया था. जलने, विकिरण का शिकार और घायल होने के कारण लोगों का मरना कई दिनों और महीनों में भी जारी रहा. यह महिला सौभाग्यशाली रही, बच गई लेकिन गर्मी की वजह से शरीर पर कपड़ा चिपक गया. पांच साल बाद परमाणु हमलों में मरने वालों की संख्या 230,000 आंकी गई.
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हिरोशिमा और नागासाकी
दूसरा हमला
हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिए तैयार नहीं था. संभवतः अधिकारियों को हिरोशिमा में हुई तबाही की जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन उसके तीन दिन बाद अमेरिकियों ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया. पहले क्योटो पर हमला होना था लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी को चुना गया. फैट मैन नामका बम 22,000 टन टीएनटी की शक्ति का था. हमले में करीब 40,000 लोग तुरंत मारे गए.
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हिरोशिमा और नागासाकी
सामरिक चुनाव
नागासाकी 1945 में मित्सुबिशी कंपनी के हथियार बनाने वाले कारखानों का केंद्र था. नागासाकी के बंदरगाह पर उसका जहाज बनाने का कारखाना था. एक अन्य कारखाने में टारपीडो बनाए जाते थे जिनसे जापानियों ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी युद्धपोतों पर हमला किया था. शहर में बहुत ज्यादा जापानी सैनिक तैनात नहीं थे, लेकिन युद्धपोत बनाने वाले कारखाने के छुपे होने के कारण उस पर सीधा हमला करना संभव नहीं था.
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हिरोशिमा और नागासाकी
समर्पण
नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण करने का आदेश दिया. मित्र देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे. उसके बाद 14 अगस्त को एक रेडियो भाषण में सम्राट हीरोहीतो ने प्रतिद्वंद्वियों के पास "अमानवीय" हथियार होने की दलील देकर बेशर्त समर्पण करने की घोषणा की.
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हिरोशिमा और नागासाकी
स्मारक
औपचारिक रूप से युद्ध 12 सितंबर 1945 को समाप्त हो गया. लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों का शिकार होने वालों की तकलीफ का अंत नहीं हुआ है. इस तकलीफ ने जापान के बहुमत को युद्धविरोधी बना दिया है. हमले में बच गया हिरोशिमा के वाणिज्य मंडल की इमारत का खंडहर आज युद्ध और परमाणु हमले की विभीषिका की याद दिलाने के लिए स्मारक का काम करता है.
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हिरोशिमा और नागासाकी
भयावह यादें
अगस्त 1945 के हमले के बाद से दुनिया भर के लोग इस हमले की याद करते हैं. हिरोशिमा में बड़ी स्मारक सभा होती है जहां दुनिया को चेतावनी देने जीवित बचे लोगों के अलावा राजनीतिज्ञ और दुनिया भर के मेहमान भी आते हैं. बहुत से जापानी अब परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सक्रिय हैं. ध्वस्त हिरोशिमा की तस्वीर के सामने सहमे हुए पिता-पुत्री.
उत्तर कोरिया ने कभी नहीं माना कि वो परमाणु हथियार तैयार करने के लिए सेंट्रीफ्यूज पर काम कर रहा है. बल्कि उसका कहना है कि इनका इस्तेमाल हल्के पानी के बिजली बनाने वाले रिएक्टर के लिए ईंधन तैयार में होगा. अमेरिकी पत्रिका नॉनप्रोलिफरेशन रिव्यू के संपादक जोशुआ पॉलक कहते हैं कि 2009 में उत्तर कोरिया ने इतनी तकनीक हासिल कर ली थी कि वो घरेलू स्तर पर अपनी यूरेनियम परियोजना का विस्तार कर सके.
कैलिफोर्निया स्थित मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के जेफरी लुई की राय है कि उत्तर कोरिया बिना किसी खास मदद के अब परमाणु कार्यक्रम चलाने में सक्षम है, हालांकि कुछ सामग्री और चीजें तैयार करने में उसे अब भी मुश्किलें आ रही हैं. वह कहते हैं, “जैसा कि हमने ईरान में देखा है, कुछ समय के बाद देश अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से तालमेल बिठा लेते हैं.”
कैसे बनाएं परमाणु बम
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कैसे बनाएं परमाणु बम
ईरान की कोशिश
कई सालों से ईरान परमाणु तकनीक में अपनी जानकारी बढ़ा रहा है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए का मानना है कि ईरान 2010 से परमाणु हथियार बना रहा है
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कैसे बनाएं परमाणु बम
चाहना और करना
परमाणु बम की इच्छा रखने और बनाने में काफी फर्क है. ईरान के पास हथियार बनाने लायक तकनीक नहीं है. बम बनाने के पांच अहम कदम हैं. हर देश ऐसा नहीं कर सकता.
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कैसे बनाएं परमाणु बम
पहला कदमः सामान
एटम बम बनाने के लिए संवर्धित यूरेनियम या शुद्ध प्लूटोनियम चाहिए. ईरान के पास यूरेनियम सरघंद नाम की जगह से आता है. लेकिन यह परमाणु ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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दूसरा कदम- संवर्धन
यूरेनियम को संवर्धित करना होता है. इसके लिए गैस के सेंट्रिफ्यूज में यूरेनियम को डाला जाता है ताकि उसके एटम को बांटा जा सके और न्यूक्लियर रिएक्शन शुरू हो. हथियार बनाने के लिए यूरेनियम को 85 प्रतिशत तक संवर्धित करना पड़ता है. उच्च तकनीक के सेंट्रिफ्यूज को बनाना आसान नहीं है और ईरान तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है.
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कैसे बनाएं परमाणु बम
तीसरा कदमः ट्रिगर
केवल संवर्धित यूरेनियम से काम नहीं चलता. एक परमाणु ट्रिगर बनाने के लिए वैज्ञानिक पहले धातु को एक ऐसी स्थिति में लाते हैं ताकि वह उत्तेजित होने पर एक प्रतिक्रिया करे. अभी तक पता नहीं है कि ईरान के पास किस हद तक यह क्षमता है.
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कैसे बनाएं परमाणु बम
चौथा कदमः तीली
साधारण हथियारों की तरह ही परमाणु हाथियारों की तीली होती है. ईरान के पास इसे बनाने की तकनीक है. ईरान के वैज्ञानिकों ने भी कई मॉडल बनाए हैं और प्रयोग किए हैं जो ट्रिगर का काम करते हैं. यह शाहिद बेहस्ती और आमिर कबीर विश्वविद्यालयों के दस्तावेजों से पता चला है.
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कैसे बनाएं परमाणु बम
पांचवा कदमः कैरियर
ईरान के पास हथियार के लिए कैरियर है. शहाब 3 मध्य दूरी तक मार करने वाला रॉकेट है और यह उत्तर कोरियाई नोदोंग 1 से काफी मिलता है. यह 2,000 किमी की दूरी तय कर सकता है. यह इस्राएल तक पहुंच सकता है.
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कैसे बनाएं परमाणु बम
बम की चाहत
बिना नियंत्रण के असैनिक परमाणु कार्यक्रम सैन्य कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों की तकनीकी जरूरतें लगभग एक सी हैं. क्या ईरान वाकई बम बनाने की हालत में है या भविष्य में उसका बम बनाना वहां के शासकों पर निर्भर करता है.
रिपोर्ट: रोडियॉन एबिगहाउजेन/ एमजे