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आसान प्रयोगों से जटिल रसायन बनाने वालों को नोबेल पुरस्कार

५ अक्टूबर २०२२

इस साल रसायन का नोबल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया जायेगा. इन वैज्ञानिकों की खोज ने क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है.

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Stockholm Bekanntgabe Nobelpreis für Chemie
तस्वीर: Christine Olsson/TT/picture alliance

रसायनविज्ञानी कैरोलिन आर बर्टोजी, के बैरी शार्पलेस और डेनमार्क की मॉर्टेन मेल्डल को इस साल का नोबेल पुरस्कार दिया जायेगा. इन वैज्ञानिकों ने ऐसी रासायनिक प्रतिक्रियाओं की खोज की है जो मॉलिक्यूलर बिल्डिंग ब्लॉक्स को आपस में जुड़ने की विशेष योग्यता देते हैं और फिर इनके संयोग से नये कंपाउंड तैयार किये जा सकते हैं. इन रासायनिक प्रतिक्रियाओं का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं, डीएनए की संरचना को समझने और खास उद्देश्यों के लिये तैयार किये जाने वाले मटीरियल को बनाने में किया जाता है. 

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क्लिक केमिस्ट्री

इन तकनीकों को क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री कहा जाता है. सबसे पहले 2001 में के बैरी शार्पलेस ने ही मॉलिक्यूल को जोड़ने के लिये इनमें बकल जैसी संरचना का विचार दिया था. इन्हीं बकल के सहारे मॉलिक्यूल दूसरे मॉलिक्यूल से जुड़ते हैं. अब इनका इस्तेमाल दुनिया भर में कोशिकाओं के अनुसंधान और जैविक प्रक्रियाओं की खोज में होता है. एकेडमी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "बायोऑर्थोगोनल प्रतिक्रियाओं का इस्तेमाल कर रिसर्चरों ने कैंसर को निशाना बनाने वाली दवाओं को बेहतर बनाया है और अब इन दवाओं का क्लिनिकल ट्रायल हो रहा है." इस प्रयोग के लिए शार्पलेस को 2001 में भी नोबेल पुरस्कार मिल चुका है.

रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार
के बैरी शार्पलेस को दूसरी बार रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला हैतस्वीर: VCG/imago

वैज्ञानिकों को अच्छे रासायनिक बकल ढूंढने में ही काफी दिक्कत हुई. डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में रिसर्चर मेल्डल और कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च से जुड़े शार्पलेस ने स्वतंत्र रूप से ऐसे रासायनिक बकल्स को खोज निकाला जो आसानी से एक दूसरे से जुड़ जाते हैं लेकिन मॉलिक्यूल से नहीं. इस खोज ने कई दवाओं और पॉलिमर के विकास का रास्ता बनाया.

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बायोऑर्थोगोनल रिएक्शन

कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्चर 55 साल की बर्टोजी के बारे में नोबेल कमेटी ने कहा है, "वह क्लिक केमिस्ट्री को एक नई ऊंचाई पर ले गईं." उन्होंने क्लिक केमिस्ट्री को किसी जीव के अंदर बिना उसे प्रभावित किये काम करने का तरीका खोज निकाला. इन्हें बायोऑर्थोगोनल रिएक्शन कहा जाता है. इन रिएक्शनों का इस्तेमाल कोशिकाओं के अनुसंधान, जैविक प्रक्रियाओं की खोज और कैंसर की प्रयोगात्मक दवाएं तैयार करने में किया जाता है जो लक्षित रूप से बेहतर काम करती हैं.

पुरस्कार के बारे में जानकारी देने के लिए जब एकेडमी ने कैरोलिन आर बर्टोजी को फोन किया तो उनका कहना था, "मैं बिल्कुल सन्न हूं, मैं यहां बैठी हूं और बड़ी मुश्किल से सांस ले पा रही हूं."

मेल्डल ने भी समाचार एजेंसी एपी को बताया कि कमेटी ने सार्वजनिक घोषणा से आधे घंटे पहले उन्हें फोन पर इसकी जानकारी दी और, "मुझसे कहा कि किसी और को यह बात नहीं बताऊं इसलिये मैं अपने दफ्तर में बैठ गई. यह एक बड़ा सम्मान है." मेल्डल आठवीं महिला हैं जिन्हें रसायनशास्त्र का नोबेल  पुरस्कार मिला है.

रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार
मॉलिक्यूल को जोड़ने वाले बक्कल बनाने में सफलतातस्वीर: Johan Jarnestad/The Royal Swedish Academy of Sciences

रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार

एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर यानी 915,072 अमेरिकी डॉलर की इनामी रकम इन तीनों वैज्ञानिकों में बांटी जायेगी. पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही के बैरी शार्पलेस उन वैज्ञानिकों में शामिल हो गये हैं जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार मिला है. उनके अलावा जॉन बार्डीन को भौतिकी में दो बार, मैरी क्यूरी को एक बार भौतिकी और एक बार रसायन, लिनस पॉलिंग को रसायन और शांति और फ्रेडरिग सेंगर को दो बार रसायन का नोबेल पुरस्कार मिला है.

2021 में रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार जर्मन वैज्ञानिक बेंन्यामिन लिस्ट और स्कॉटलैंड में जन्मे डेविड मैकमिलन को मिला था. 1901 से 2022 के बीच कुल 114 बार में रसायन शास्त्र के लिये 191 नोबेल पुरस्कार दिये गये. इनमें दो लोगों को यह पुरस्कार दो बार मिला है यानी अब तक कुल 189 लोगों को यह पुरस्कार मिल चुका है.

एनआर/ओएसजे (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)