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तानाशाह बनने की राह पर वामपंथी नेता डानिएल ओर्तेगा

यान वाल्टर
२ जुलाई २०२१

निकारागुआ में नवंबर में होने वाले चुनाव से पहले राष्ट्रपति डानिएल ओर्तेगा ने कई असंतुष्टों को जेल में डाल दिया है. ऐसा लगता है कि तानाशाह को सत्ता से उखाड़ने वाला वामपंथी नेता तानाशाह बनने की राह पर है.

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तस्वीर: Marvin RECINOS/AFP

देर शाम का वक्त था जब मिगुएल मोरा ने अपने दरवाजे पर जोर से पीटने की आवाज सुनी. मोरा की पत्नी उस समय अपने बच्चे को सुलाने की कोशिश कर रही थीं. वह उस समय को याद करते हुए बताती हैं कि पुलिस अधिकारी घर के अंदर घुसे, मिगुएल को ले गए, और उसे जेल में बंद कर दिया.

मिएगुल, निकारागुआ के विपक्षी न्यूज प्लैटफॉर्म 100% नोटिसिस चलाते हैं. इस काम की वजह से उन्हें 2018 में जेल में डाल दिया गया था. अब, वह नवंबर में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, राष्ट्रपति डानिएल ओर्तेगाके शासनकाल में असंतुष्टों के प्रति काफी ज्यादा असहिष्णुता बढ़ गई है.

निष्पक्ष चुनाव पर सवाल

इस साल होने वाले चुनाव से पहले, ओर्तेगा निर्दयतापूर्वक विपक्षी हस्तियों को सता रहे हैं. जून में, करीब 20 असंतुष्टों को जेल में डाल दिया गया था या उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. उनमें से पांच राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे. निकारागुआ की एक वकील असुनसियन मोरेनो ने कहा, "ये कोई सामान्य गिरफ्तारी नहीं थी. उनका अपहरण कर लिया गया और उन्हें बिना किसी कानूनी औपचारिकता के जेल में डाल दिया गया."

वह कहती हैं कि ओर्तेगा ने हाल के महीनों में विपक्ष को कमजोर करने के उद्देश्य से कई नए कानून पारित किए. ये कानून सभी नागरिक और राजनीतिक अधिकारों को कम करने के लिए बनाए गए हैं."

अधिकांश विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ओर्तेगा के बनाए गए कानून नवंबर में उनके फिर से चुने जाने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए है. जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स (एसडब्ल्यूपी) के लैटिन अमेरिका के विश्लेषज्ञ गुंटर मैहोल्ड ने हाल ही में जोर देकर कहा था कि निकारागुआ में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं कर सकते.

ऐसे बढ़ी ओर्तेगा की शक्ति 

1930 के दशक से निकारागुआ निरंकुश सोमोसा कबीले के नियंत्रण में था. सैंडिनिस्ता नेशनल लिबरेशन फ्रंट का नेतृत्व करने वाले डानिएल ओर्तेगा 1979 में तानाशाह अनस्तासियो सोमोसा को उखाड़ फेंकने में सफल रहे. ओर्तेगा ने तब पांच सदस्यीय परिषद के हिस्से के तौर पर निकारागुआ का नेतृत्व किया. उन्होंने 1985 से 1990 तक देश के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति के तौर पर काम किया.

तस्वीरों मेंः सबसे क्रूर तानाशाह

इसके बाद, कई सालों तक विपक्ष में रहने और उदारवादी एफएसएलएन सदस्यों द्वारा चलाए गए सैंडिनिस्ता रेनोवेशन मूवमेंट (एमआरएस) के बाद, ओर्तेगा को फिर से 2006 में राष्ट्रपति चुना गया. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक इस चुनाव को लेकर कई सवाल उठाते हैं. सत्ता में वापस आने के बाद, ओर्तेगा ने अपने लाभ के लिए देश की राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव शुरू कर दिया.

इसके दो साल बाद, कोस्टा रिका के तत्कालीन उपराष्ट्रपति केविन कैसास-जमोरा ने चेतावनी देते हुए लिखा था, "निकारागुआ के ओर्तेगा को मुगाबे (दूसरा जिम्बाब्वे तानाशाह) न बनने दें." कैसास-जमोरा के शब्द भविष्यवाणी साबित हुए. 2011 में, ओर्तेगा ने तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ा और अंततः जीतकर संविधान का उल्लंघन किया. अब वह अपना पांचवां कार्यकाल हासिल करने वाले हैं.

निरंकुशता पर उतरना

अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के मुताबिक, ओर्तेगा ने जितने भी चुनाव जीते हैं सभी में अनियमितता बरती गई है. निकारागुआ में संदिग्ध अदालती आदेशों पर असंतुष्टों का गला घोटना भी एक दुखद परंपरा है. हालांकि, अब विपक्षी नेता, पत्रकार, और सिविल सोसायटी के साथ-साथ अभिनेता भी इस निरंकुश प्रवृति का विरोध कर रहे हैं. हाल के समय में देश में ओर्तेगा के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए हैं.

जून के अंत में प्रकाशित एक लेख में, कैसास-जमोरा ने कहा, "ओर्तेगा ने नवंबर के राष्ट्रपति चुनावों से पहले कई दमनकारी नियम लागू किए हैं. ऐसे नियम लोकतांत्रिक लैटिन अमेरिकी देश में पहले कभी नहीं देखे गए है." कैसास-जमोरा लिखते हैं कि वेनेजुएला में भी इतनी संख्या में असंतुष्टों को जेल में बंद नहीं किया गया.

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इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (इंटरनेशनल आईडीईए) ने दुनिया के दो देशों निकारागुआ और वेनेजुएला को ऐसे देशों में शुमार किया है जहां दो दशक पहले तक पूरी तरह से लोकतंत्र था लेकिन अब वहां तानाशाही बढ़ती जा रही है. कैसास-जमोरा अगस्त 2019 से इंटरनेशनल आईडीईए के महासचिव के तौर पर कार्यरत हैं.

विपक्ष को कुचलना

इन दिनों, ओर्तेगा के परिवार ने निकारागुआ पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. डानिएल ओर्तेगा की पत्नी रोसारियो मुरिलो, देश की उप-राष्ट्रपति हैं. साथ ही, उनके कई बच्चे राजनीति, व्यवसाय और मीडिया में प्रभावशाली जगहों पर हैं. 2010 में, ओर्तेगा के बेटे फैसुंडो ने निकारागुआ के राष्ट्रीय पुलिस निदेशक फ्रांसिस्को डियाज की बेटी से शादी की थी.

2018 में, डानिएल ओर्तेगा ने विवादास्पद सामाजिक सुरक्षा सुधारों के एक पैकेज का प्रस्ताव रखा जिसने पूरे देश में विरोध की लहर पैदा कर दी. हालांकि, व्यापक स्तर पर हुए विरोध को देखते हुए ओर्तेगा ने योजनाओं को रद्द कर दिया, फिर भी उनके इस्तीफे के लिए बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुआ. इस प्रदर्शन में, लंबे समय तक ओर्तेगा के साथ रहे लोग भी सक्रिय रूप से शामिल हुए.

तस्वीरों मेंः हिमलर की खूनी डायरी

ओर्तेगा ने विरोध आंदोलन को कुचलने और पत्रकारों को घटनाओं को कवर करने से रोकने के लिए, निकारागुआ के सुरक्षा बलों और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया. निकारागुआ के रिपोर्टर एंजेल गहोना को ओर्तेगा विरोधी आंदोलन को कवर करते हुए गोली मार दी गई थी. इंटर-अमेरिकन कमीशन ऑन ह्यूमन राइट्स के अनुसार, इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान 325 लोग मारे गए थे.

क्या बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत है?

2018 में हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद से देश के करीब 90 हजार लोग पड़ोसी देश कोस्टा रिका भाग गए. इनमें निकारागुआ के पूर्व सांसद और एमआरएस के पूर्व अध्यक्ष एनरिक सेंज भी शामिल हैं. उनका कहना है कि निकारागुआ की आज स्थिति वैसी है जैसी पेरू की स्थिति तत्कालीन राष्ट्रपति अल्बर्ट फुजीमोरी के शासनकाल में थी. सेंज का कहना है कि पेरू की तरह ही निकारागुआ की सरकार आंतरिक और बाहरी दबाव से निपट रही है. हालांकि, पेरू ने अचानक चुनाव कराए और फुजीमोरी को सत्ता से बेदखल कर दिया. आज पेरू लैटिन अमेरिका के सबसे स्थिर लोकतंत्रों में से एक है. सेंज को इस समय की राजनीतिक प्रक्रिया पर काफी कम भरोसा है. वह कहते हैं, "निकारागुआ की जनता वोट देने के अधिकार को खोना नहीं चाहती है, लेकिन वे ओर्तेगा की शर्तों पर वोट नहीं देंगे."

अमेरिकी राज्यों के संगठन (ओएएस) ने निकारागुआ की सरकार से सभी "राजनीतिक कैदियों" को रिहा करने का आग्रह किया है लेकिन अब तक, उसने अपनी मांग को पूरा कराने के लिए कुछ नहीं किया है. उसने निकारागुआ की ओएएस सदस्यता को भी निलंबित नहीं किया है.

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वहीं, देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने पर यूरोपीय संघ और अमेरिका ने ओर्तेगा और उससे जुड़े लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए थे. इसके बाद से, उन्होंने अपनी प्रतिबंधित सूची में अधिक व्यक्तियों को शामिल किया है. एसडब्ल्यूपी विशेषज्ञ मैहोल्ड को उम्मीद है कि अमेरिका दबाव बढ़ाएगा. उनका मानना है कि अमेरिका निकारागुआ से और अधिक माइग्रेशन को रोकने के लिए इच्छुक है. हालांकि, मैहोल्ड का कहना है कि यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल और यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों को लैटिन अमेरिकी देश निकारागुआ में बदलाव के लिए जोर देने की जरूरत है.

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