भारत के नए संसद भवन का शिलान्यास
10 दिसंबर 2020 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है. आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक हो गया है क्योंकि आज देश के नए संसद भवन का शिलान्यास हुआ.
भूमिपूजन से शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के लिए 10 दिसंबर को पूरे विधिवत तौर पर भूमिपूजन किया. पंडितों ने मंत्रों का उच्चारण किया और उसके बाद मोदी ने नए भवन के लिए नींव रखी. तैयार होने के बाद नया संसद भवन पुरानी संसद की जगह ले लेगा.
सर्व धर्म प्रार्थना
करीब 971 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रहे संसद के नए भवन का निर्माण कार्य साल 2022 तक पूरा हो जाएगा. इसी साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ भी देश मनाएगा. ऐसे में नई संसद का महत्व और बढ़ जाएगा. देश के नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर सर्व धर्म प्रार्थना भी की गई.
ऐतिहासिक दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के भूमिपूजन के बाद कहा कि आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक है. आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है. उन्होंने कहा, "130 करोड़ लोग नए संसद भवन को बनाएंगे. संसद हमारे लोकतंत्र की धरोहर है, 21वीं सदी के भारत के लिए निर्माण जरूरी है."
न्यू इंडिया, न्यू पार्लियामेंट
प्रधानमंत्री ने शिलान्यास के मौके पर कहा, "आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगा नया संसद भवन, आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा. हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए."
नए संसद भवन में नई सुविधाएं
नया संसद भवन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए डिजाइन किया गया है. यह भवन पुराने भवन से हर लिहाज से आधुनिक और अधिक बड़ा और आकर्षक होगा. सांसदों की सीट पर विशेष इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लगे होंगे.
दो साल में बनेगी नई संसद
नया संसद भवन दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा. नया संसद भवन 64,500 स्क्वायर मीटर में बनाया जाएगा, जो चार मंजिला होगा और इसका खर्च 971 करोड़ रुपये आएगा. नए संसद भवन का डिजाइन एचसीपी डिजाइन द्वारा तैयार किया गया है.
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
नया भवन भूकंप रोधी होगा. इमारत इस तरह से तैयार की जाएगी की कि यह सबसे आधुनिक तकनीक को आसानी से अपना ले. सीटों पर बायोमीट्रिक डाटा इकट्ठा करने का भी प्रावधान होगा जिससे वोटिंग में आसानी हो. इसी के साथ ऐसे गैजेट्स लगे होंगे जिससे भाषण का अनुवाद भी आसानी से हो सके. इमारत के भीतर देश की सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाया जाएगा.
इतिहास में मोदी की छाप
कुछ जानकारों का कहना है कि मोदी इतिहास में अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं और लंबे वक्त तक लोगों के जेहन में बने रहना चाहते हैं. इंडिया गेट के पास उन्होंने साल 2019 में शहीदों को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक समर्पित किया था. इंडिया गेट अंग्रेजों ने बनाया था और मोदी ने शहीदों को समर्पित करने के लिए वॉर मेमोरियल बनवाया और इसी तरह से नया संसद भवन भी बनवाया जा रहा है, जो पूरी तरह से आजाद भारत का बनवाया होगा.