नए भारत के लिए बना है नया संसद भवन
96 साल पहले भारत की गुलामी के दौर में बनी इमारत आजादी मिलने पर 1947 में देश की संसद बनी. तब से लेकर अब तक बहुत कुछ बदल चुका है. प्रधानमंत्री का दावा है कि नई इमारत भारत के भविष्य की जरूरतों और आकांक्षाओं का प्रतीक है.
औपनिवेशिक विरासत से मुक्ति
नई दिल्ली का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट सरकार की औपनिवेशिक इमारतों और प्रतीकों से छुटकारा पाने की भी एक कोशिश भी है. इसके तहत ना सिर्फ संसद भवन बल्कि मंत्रालयों और विभागों के कार्यालय, प्रधानमंत्री का नया आवास बनाकर राजधानी की पहचान को बदला जा रहा है. नई इमारतें अत्याधुनिक, नई जरूरतों के अनुरूप होने के साथ भारत की देसी पहचान को भी उभारना चाहती हैं.
नए संसद भवन में ज्यादा जगह
नये संसद में पुराने की तुलना में 500 ज्यादा सदस्यों के बैठने की जगह है. कुल मिला कर जगह देखें तो इसमें पहले से तीन गुना ज्यादा जगह है. इसके साथ ही संसदीय समितियों के लिए भी जगह बनाई गई है. इसमें लाइब्रेरी और भोजनालय भी है.
सर्वधर्म समभाव
भारत की मिली-जुली संस्कृति को देखते हुए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में सर्वधर्म प्रार्थना की गई. इसमें देश के लगभग सभी प्रमुख धर्मों के धर्मुगुरुओं ने हिस्सा लिया. प्रधानमंत्री जब हाथ में सेंगोल लेकर केंद्रीय कक्ष की चले तो संत-महात्माओं का पूरा जत्था भी साथ गया.
पूरे भारत की विरासत
नए संसद भवन के डिजाइन में देसी प्रतीकों और विरासतों के जरिए भारत की पहचान उभारने की कोशिश हुई है. इसमें महाराष्ट्र का सागौन, राजस्थान और गुजरात के पत्थर, उत्तर प्रदेश के कालीन, उत्तर पूर्व की लकड़ी का फर्श इस्तेमाल हुआ है. संसद भवन में 5000 से ज्यादा कलाकृतियां हैं जिनमें पूरे भारत की विरासत है.
दुनिया की सबसे बड़ी आबादी
पुरानी संसद के साथ आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर चुके भारत की संसद को अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के हितों की चिंता और सपनों को पूरा करना है. आजादी के वक्त भारत की आबादी 34 करोड़ थी, अब 140 करोड़ है. बड़ी आबादी का मतलब है बड़ी जिम्मेदारी, बड़ा मौका और बड़ी जरूरतें.
संसद में ज्यादा सदस्य
1952 में पहले आम चुनाव के जरिए भारत की लोकसभा के लिए कुल 438 सदस्यों का चुनाव हुआ था. संविधान के मुताबिक, इनकी अधिकतम संख्या 552 हो सकती है और वर्तमान में 543 सांसदों का चुनाव होता है. इसी तरह 1950 में राज्य सभा के सदस्यों की संख्या 216 थी. यह अधिकतम 250 हो सकती है और फिलहाल इनकी संख्या 245 है.
भारत का उभार
बीते दशकों में आर्थिक प्रगति के जरिए भारत दुनिया की नजर में आया है, खासतौर से 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण शुरू होने के बाद. बड़ी आबादी के साथ आर्थिक समृद्धि ने भारत को एक बड़ा बाजार बनाया है. लोगों की जरूरतें और सपने पूरे करने में दुनिया भर की कंपनियों के बीच होड़ मची है. सरकार का दावा है नई संसद भारत के जनमानस की आकांक्षाओं का प्रतीक है.
विरोध के स्वर
विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के हाथों संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराए जाने पर नाराजगी जताते हुए उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया. उधर कई हफ्तों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवान जब नई संसद के सामने प्रदर्शन करने चले तो पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें रोक दिया. ओलंपिक मेडल विजेता साक्षी मलिक को जबरन ले जाती पुलिस.