नीदरलैंड्स में मंगलवार को स्थिति तनावपूर्ण बनी रही. डच सरकार ने कोरोना वायरस के नए संस्करण को रोकने के लिए कड़ी पाबंदियां लगाईं हैं जिसके खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. लगातार तीन रातों से कर्फ्यू के दौरान हिंसा, आगजनी और विरोध प्रदर्शन हुए. सरकार ने कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के लिए रात के कर्फ्यू सहित कई नए प्रतिबंधों की घोषणा की है. पुलिस ने हिंसक दंगों को रोकने के लिए देश भर के कस्बों और शहरों की सड़कों पर मार्च किया, जबकि व्यवसाय जल्दी बंद हो गए और दुकानें भी समय से पहले बंद कर दी गईं.
मंगलवार की रात 9 बजे जब कर्फ्यू लागू हुआ तो हुड़दंग करने वाले कुछ युवा एम्स्टर्डम और हिलवेर्सुम में इकट्ठा हुए लेकिन उन्हें खदेड़ दिया गया. रॉटरडम में पुलिस ने 33 लोगों को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं करने और तोड़फोड़ के आरोप में हिरासत में लिया. यह सोमवार की रात के बिल्कुल विपरीत था, जब देश भर में पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं थी. 180 लोगों को गाड़ियों में आग लगाने और लूटपाट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद नीदरलैंड में लगाए गए पहले राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू के विरोध में राजधानी समेत कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख विलेम वोल्डर्स ने डच पब्लिक टेलीविजन को बताया, "कल के मुकाबले आज बिल्कुल दूसरी तस्वीर थी. हमें दंगा रोधी पुलिस या अन्य सुरक्षाबलों की जरूरत नहीं पड़ी." लेकिन उन्होंने आगाह किया कि एक रात की शांति का मतलब यह नहीं है कि वे सतर्क रहना छोड़ देंगे. वोल्डर्स ने कहा, "हमें सतर्क रहना होगा."
उपद्रवियों ने दुकानों में लूटपाट की और गाड़ियों में आग लगाई.
सोशल मीडिया से भड़की हिंसा?
सरकार ने कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के प्रयास में कर्फ्यू और कुछ नए प्रतिबंधों की घोषणा की थी, जिसके बाद देशभर के कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए. सोशल मीडिया पर दुकानों में लूटपाट की तस्वीरें तेजी से वायरल हुई. एक तस्वीर में एक पत्रकार पर पथराव करते हुए देखा जा सकता है. प्रदर्शनकारियों ने पहली रात एक कोरोना परीक्षण केंद्र में भी आग लगा दी थी. हाल के सालों में नीदरलैंड्स में इस तरह की हिंसा नहीं देखी गई है. हिंसा की शुरूआत सख्त लॉकडाउन के खिलाफ हुई, जो कि मध्य दिसंबर के बाद से लागू है लेकिन सोशल मीडिया में घूम रहे संदेशों के कारण भीड़ द्वारा लूटपाट की घटना में यह तब्दील हो गई. सोमवार की रात को उपद्रवियों ने रॉटरडम और डेन बॉश में पुलिस पर पथराव किया, पटाखे छोड़े और दुकानों में लूटपाट की.
प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने ट्वीट कर लिखा, "यह आपराधिक हिंसा बंद होनी चाहिए." उन्होंने कहा, "दंगों का आजादी के लिए संघर्ष करने से कोई लेना देना नहीं है. हमें एक साथ वायरस के खिलाफ लड़ाई जीतनी है, क्योंकि यह हमारी आजादी वापस पाने का एकमात्र तरीका है." देश के न्याय मंत्री फेर्ड ग्रेपरहॉस ने मंगलवार को कहा कि दंगा करने वाले जल्द ही कोर्ट में पेश किए जाएंगे और दोषी पाए जाने पर जेल की सजा पाएंगे.
देश में कर्फ्यू का समय रात 9 बजे से लेकर सुबह 4.30 बजे तक है और 10 फरवरी तक जारी रहने की उम्मीद है. कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर 8,400 रुपये के करीब का जुर्माना लगाया जा सकता है. नीदरलैंड्स में अब तक कोरोना वायरस के कारण 13,650 लोग मारे जा चुके हैं.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स, डीपीए)
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
महामारी में धनी हुए और धनी
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है कि भारत के 100 अरबपतियों की संपत्ति में मार्च 2020 के बाद की अवधि में 12,97,822 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. इतनी राशि का वितरण अगर देश के 13.8 करोड़ सबसे गरीब लोगों में किया जाए तो इनमें से हर व्यक्ति को 94,045 रुपये दिए जा सकते हैं.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
असमानता की खाई
एक ओर लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि दर्ज की गई तो वहीं पिछले साल अप्रैल महीने में हर घंटे 1,70,000 लोगों की नौकरी चली गई. ऑक्सफैम का कहना है कि महामारी ने असमानता को और बढ़ाया है.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
"द इनइक्वालिटी वायरस"
"द इनइक्वालिटी वायरस" रिपोर्ट में सिर्फ भारत का ही जिक्र नहीं है बल्कि इसमें दुनिया का हाल बयान किया गया है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कैसे कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में असमानता की खाई चौड़ी हो रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर लोग और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहे हैं, उन्हें इससे निकलने में वर्षों लग सकते हैं.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
अमीरों ने नुकसान की भरपाई जल्द की
अरबपति जेफ बेजोस और टेस्ला के संस्थापक ईलॉन मस्क की संपत्ति कोविड-19 के दौरान तेज गति से बढ़ी जबकि दुनिया के गरीबों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ऑक्सफैम इंटरनैशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने एक बयान में कहा, "हम असमानता में सबसे बड़ी वृद्धि के गवाह बन रहे हैं."
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
अमीरों पर अधिक टैक्स की मांग
रिपोर्ट में आय की असमानता का जिक्र तो किया ही गया है साथ ही मांग की गई है कि जो धनी लोग हैं उन पर उच्च संपत्ति कर लगाया जाए और श्रमिकों के लिए मजबूत संरक्षण का इंतजाम हो. रिपोर्ट में कहा गया है अमीर लोग महामारी के समय में आरामदायक जिंदगी का आनंद ले रहे हैं वहीं स्वास्थ्य कर्मचारी, दुकान में काम करने वाले और विक्रेता जरूरी भुगतान करने में असमर्थ हैं.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
मुकेश अंबानी की आय
भारत के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी ने महामारी के दौरान प्रति घंटा 90 करोड़ रुपये कमाए जबकि देश में 24 प्रतिशत लोग 3,000 प्रति माह से कम कमा रहे थे. महामारी के दौरान मुकेश अंबानी को एक घंटे में जितनी आमदनी हुई, उतनी कमाई करने में एक अकुशल मजदूर को दस हजार साल लग जाएंगे.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
गरीबों पर टूटा आर्थिक कहर
कोविड-19 ने सबसे ज्यादा गरीबों को प्रभावित किया है, कोरोना का तूफान ऐसे आया कि गरीब, हाशिये पर खड़े श्रमिकों, महिलाओं और कमजोर लोगों की नौकरी इसमें नौकरी चली गई. विश्व बैंक की चेतावनी है कि 10 करोड़ से अधिक लोग चरम गरीबी में धकेले जा सकते हैं.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
संकट से उबारने में एक दशक
ऑक्सफैम का कहना है कि लोगों को संकट के पूर्व (कोरोना महामारी) पर ले जाने में एक दशक से ज्यादा का समय लग सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच दुनिया भर के अरबपतियों की कुल संपत्ति 3.9 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 11.95 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गई.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
गरीबों का बोझ उठा सकते हैं अरबपति
ऑक्सफैम के शोधकर्ताओं ने हिसाब लगाया कि दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की नेट वर्थ किसी को भी गरीबी में जाने से रोकने के लिए काफी है और यह राशि धरती पर हर इंसान के लिए कोरोना के टीके के भुगतान के लिए पर्याप्त होगी.
-
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
दुनिया भर से ली गई राय
रिपोर्ट के लिए ऑक्सफैम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 79 देशों के 295 अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी. 87 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महामारी के चलते अपने देश में आय असमानता में बड़ी या बहुत बड़ी बढ़ोतरी का अनुमान जताया
रिपोर्ट: आमिर अंसारी