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नेपाल ने 2.5 अरब डॉलर की डील तोड़ी

१४ नवम्बर २०१७

नेपाल ने चीन की एक कंपनी के साथ 2.5 अरब डॉलर की हाइड्रोपावर प्लांट डील रद्द कर दी है. इस समझौते के तहत नेपाल में सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्लांट बनाया जाना था.

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तस्वीर: Reuters

नेपाल के ऊर्जा मंत्री कमल थापा ने इस समझौते में खामियों का हवाला देते हुए इसे रद्द करने की पुष्टि की. उन्होंने कहा, "कैबिनेट ने गेचोऊबा ग्रुप के साथ बुधी गंडाकी नदी पर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बनाने के अनियमित समझौते को रद्द कर दिया है." नेपाल सरकार की कैबिनेट बैठक के बाद उन्होंने सोमवार को यह ट्वीट किया. उर्जा मंत्री के साथ देश के उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने इस बारे में और ब्यौरा नहीं दिया है.

बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों से निकलने वाली नेपाल की नदियां हाइड्रोपावर उत्पादन के लिए बढ़िया संभावनाओं से भरपूर हैं, लेकिन धन और तकनीक की कमी के कारण नेपाल को सालाना 1,400 मेगावॉट की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए पड़ोसी भारत पर निर्भर रहना पड़ता है.

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जून में माओवादियों के दबदबे वाली गठबंधन सरकार ने चीन की कंपनी को बुधी गंडकी नदी पर हाइड्रोपावर प्लांट लगाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था, जिससे सालाना 1,200 मेगावॉट बिजली के उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया. यह प्लांट राजधानी काठमांडू से पश्चिम में 50 किलोमीटर दूर बनाया जाना था.

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आलोचकों का कहना है कि 2.5 अरब डॉलर का यह कॉन्ट्रैक्ट सीधे सीधे चीनी कंपनी को थमा दिया गया. इसके लिए कोई बोली नहीं लगायी गयी, जिसमें अन्य कंपनियों को भी मौका मिलता जबकि कानून के मुताबिक ऐसा करना जरूरी है. इसीलिए माओवादियों के नेतृत्व वाली सरकार के बाद बनी नई सरकार से एक संसदीय समिति ने समझौते को रद्द करने की मांग की.

चीनी कंपनी के अधिकारियों की तरफ से इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं मिली है. वैसे चीन और भारत के बीच नेपाल में अपना दबदबा कायम करने की होड़ रही है. इसके लिए वह एक तरफ मदद देते हैं तो दूसरी तरफ नेपाल में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश करते हैं.

नेपाल सरकार ने देश के पश्चिमी हिस्से में 750 मेगावॉट क्षमता वाला प्लांट बनाने की मंजूरी दे दी है जिसे चीन की सरकारी कंपनी थ्री गोर्जेस इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन बना रही है. नेपाल ने भारत की दो कंपनियों जीएमआर ग्रुप और सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड को भी एक-एक हाइड्रोपावर प्लांट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है. ये दोनों प्लांट मिलकर 900 मेगावॉट बिजली पैदा करेंगे, जिसे मुख्य तौर से भारत को निर्यात किया जाएगा.

एके/आईबी (रॉयटर्स)