कौन बनाता है भारत में चुनावी स्याही
अंगुली पर फिरी स्याही का निशान! आपने वोट डाला, इसका ऐसा पक्का सबूत कि निशान मिटते-मिटते कई दिन लग जाते हैं. इस स्याही की कहानी क्या है? क्या ये इंकपेन वाली स्याही है?
87 साल पुरानी एक कंपनी
कर्नाटक के मैसूर शहर में एक कंपनी है, मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल). साल 1937 में इस कंपनी की नींव रखी थी कृष्णराज वाडियार चतुर्थ ने. वह मैसूर रियासत के शासक थे. मुमकिन है आप कृष्णराज के एक और मशहूर योगदान 'मैसूर सेंडल सोप' से भी वाकिफ हों.
बस यही कंपनी बनाती है खास स्याही
अब ये कंपनी कर्नाटक सरकार के नियंत्रण में है. एमपीवीएल आमतौर पर सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला पेंट बनाती है, लेकिन ये भारत की इकलौती कंपनी है जिसे चुनावी स्याही बनाने का अधिकार है.
चुनाव से पुराना नाता
पिछले करीब छह दशकों से मतदान की स्याही यहीं बनाई जा रही है. इस स्याही की मुख्य सामग्री है, सिल्वर नाइट्रेट. धूप पड़ने पर स्याही का रंग त्वचा पर गाढ़ा हो जाता है और नाखून पर बैंगनी रंग उतर आता है. बताया जाता है कि इसे मिटाना नामुमकिन है और इसका निशान करीब दो हफ्ते तक बना रहता है.
बहुत पक्का निशान
कई लोग नींबू/पपीते के रस, मेकअप रिमूवर वगैरह से निशान मिटाने की कोशिश करते हैं और अक्सर नाकाम रहते हैं. कंपनी के प्रबंध निदेशक मुहम्मद इरफान ने रॉयटर्स को बताया कि ऐसी कोशिशों से निपटने के लिए मतदान अधिकारियों को चाहिए कि वो इंक लगाने से पहले वोटर की अंगुली को अच्छी तरह पोछ लें.
अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर
इस लोकसभा चुनाव में करीब 97 करोड़ लोग बतौर मतदाता पंजीकृत हैं. ऐसे में एमपीवीएल को चुनाव आयोग से अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर मिला है. हर शीशी में 10 मिलीग्राम स्याही होती है और इतना इंक लगभग 700 मतदाताओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
रिकॉर्ड मात्रा में स्याही का उत्पादन
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, 2024 की शुरुआत से अबतक कंपनी स्याही की लगभग 27 लाख शीशी चुनाव आयोग को भेज चुकी है. यह रिकॉर्ड उत्पादन है.
सबसे ज्यादा स्याही कहां गई?
सबसे बड़ी खेप उत्तर प्रदेश भेजी गई है, वहीं 110 शीशीयों का सबसे छोटा ऑर्डर लक्षद्वीप का है. चुनाव आयोग प्रति शीशी एमपीवीएल को 174 रुपये का भुगतान करेगा.
कई अन्य देशों को भी निर्यात
एमपीवीएल के पास कई अन्य एशियाई देशों की ओर से भी चुनावी इंक बनाने का ऑर्डर है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में एमपीवीएल कंबोडिया, फिजी और सियरा लिओन जैसे देशों में इस स्याही को निर्यात कर चुकी है. उसके पास मंगोलिया और मलेशिया के भी ऑर्डर हैं.