सिंबा और लूला को मिली नई जिंदगी
युद्ध से तबाह इराकी शहर मोसुल के एक चिड़ियाघर के दो आखिरी बाशिंदों को वहां से निकाल दिया गया है. बीमार शेर सिम्बा और भालू लूला को इलाज और देखभाल के लिए जॉर्डन भेजा गया है.
कब्जे की कीमत
मादा भालू लूला और नर शेर सिम्बा मोसुल के एक चिड़ियाघर में बचे दो आखिरी जानवर थे. शहर पर आईएस के कब्जे की कीमत इस चिड़ियाघर के जानवरों को भी चुकानी पड़ी.
आईएस से मुक्ति
यह चिड़ियाघर मोसुल के पूर्वी हिस्से में है. लगभग चार महीने के अभियान के बाद जनवरी 2017 में इराकी बलों ने शहर के इस हिस्से को आईएस से मुक्त कराया है.
आखिरी किसी ने सुध ली
वन्यजीवों के लिए काम करने वाली एक संस्था "फोर पॉज इंटरनेशनल" के पशु चिकित्सक जब इस चिड़ियाघर में पहुंचे, तो वहां सिर्फ दो ही जानवर बचे थे.
भूख और बदहाली
दोनों जानवरों की हालत बेहद बुरी थी. उनके पास ना खाने को कुछ था और न ही उनकी देखभाल करने वाला कोई था. बहुत से जानवर पहले ही भूख से दम तोड़ चुके थे.
जिंदगी की जंग
मोसुल इराक का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जिस पर जून 2014 में आईएस ने कब्जा कर लिया था. लगातार लड़ाई और संघर्ष में इन जानवरों की देखभाल की किसे फिक्र थी?
कैसे रहे जिंदा
सिम्बा और लूला आसपास के लोगों की तरफ से दिए जाने वाले खाने पर ही जिंदा थे. लेकिन जब लड़ाई तेज हुई तो इन जानवरों का वह सहारा भी छूटता गया.
लड़ाई की मार
स्थानीय लोग बताते हैं कि चिड़ियाघर में एक बार एक गोला आकर गिरा था. इसके बाद भूखे बंदर वहां से भाग गए जबकि बहुत सारे जानवरों ने भूख से दम तोड़ दिया.
नया घर
फोर पॉज इंटरनेशनल के डॉक्टर लंबी सरकारी प्रक्रियाओं के बाद इन दोनों जानवरों को मोसुल से निकाल कर विमान के जरिए इलाज और देखभाल के लिए जॉर्डन ले गए.
सुधार
जब डॉक्टर सिंबा और लूला के पास पहुंचे तो वह मरणासन्न अवस्था में थे. लेकिन जॉर्डन में इलाज और देखभाल से उनकी सेहत सुधर रही है.
जानवरों के हमदर्द
इन जानवरों को मोसुल से निकालने में फोर पॉज इंटरनेशल के प्रमुख 52 वर्षीय आमिर खलील की अहम भूमिका रही.
नई जिंदगी
विमान में उड़ान भरने से पहले खलील ने कहा, "यह इन जानवरों की नई जिंदगी की शुरुआत है. अब से ये जानवर इस युद्ध का हिस्सा नहीं रहेंगे."