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समाज

अफ्रीका में भोजन संकट को दूर करेगा मोरक्को का फॉस्फेट

निक मार्टिन
५ फ़रवरी २०२२

मोरक्को के पास दुनिया का 75 फीसदी फॉस्फेट भंडार है जिसका इस्तेमाल उर्वरक के रूप में होता है. इस खनिज के निर्यात से सब-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में भुखमरी को खत्म करने में मदद मिल रही है.

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अफ्रीका के दूसरे देशों के साथ मोरक्को का रिश्ता खाद्य सुरक्षा के लिए भी अहम है
अफ्रीका के दूसरे देशों के साथ मोरक्को का रिश्ता खाद्य सुरक्षा के लिए भी अहम हैतस्वीर: Fadel Senna/AFP/Getty Images

अफ्रीका में भोजन सुरक्षा में मोरक्को की भूमिका, बिजली की आसमान छूती कीमतों और जलवायु परिवर्तन से खतरे में है. हाल में मिडल ईस्ट इन्स्टीट्यूट (एमईआई) ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में आगाह किया है.

ये खतरा ऐसे वक्त पैदा हुआ है जब कि सब-सहारा अफ्रीका के 26 करोड़ से ज्यादा लोग, गरीबी और संघर्ष की वजह से कुपोषण के शिकार हैं. रही-सही कसर वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न की कमी ने पूरी कर दी है जिसमें  पिछले साल, दस साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई. 

इसी दौरान अफ्रीकी देशों में अधिकांश कृषि योग्य मिट्टी खराब गुणवत्ता वाली है. इसकी आंशिक वजह भौगोलिक भी है और पर्यावणीय गिरावट और एकल खेती भी, जिसने मिट्टी की सेहत को और नुकसान पहुंचाया है.

गहरे मानवीय संकटों से जूझते देशों की सुध कौन लेगा

मोरक्को में दुनिया का 75 फीसदी फॉस्फेट की चट्टानों का भंडार है. ये खनिज उर्वरक के रूप में काम आता है. 2020 में मोरक्को और पश्चिमी सहारा का विवादास्पद इलाका जिसके 80 फीसदी हिस्से पर मोरक्को का शासन है- वहां 50 अरब मीट्रिक टन फॉस्फेट का भंडार मौजूद था.

कच्चे माल को सिर्फ निर्यात कर देने के बजाय मोरक्को ने दशकों पहले ये फैसला किया था कि वो दुनिया के सबसे बड़े उर्वरक उत्पादक देशों में एक होगा. 2020 में सरकार नियंत्रित फॉस्फेट खनन कंपनी और उर्वरक निर्माता, ओसीपी समूह का अफ्रीका के उर्वरक निर्यात में 54 फीसदी की बाजार भागीदारी थी.

अपनी महत्त्वाकांक्षाओं में इजाफा करते हुए मोरक्को दुनिया की भोजन आपूर्ति का गेटकीपर बन चुका है- यह कहना है, रिपोर्ट के लेखक माइकल तानचुम का. वह यूरोपीय काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन्स (ईसीएफआर) में अफ्रीकी प्रोग्राम के एसोसिएट सीनियर पॉलिसी फेलो हैं और वॉशिंगटन में मिडल ईस्ट इन्स्टीट्यूट के अनिवासी फेलो हैं.

सूखे और मोनोकल्चर ने भी अफ्रीका को बहुत नुकसान पहुंचाया है
सूखे और मोनोकल्चर ने भी अफ्रीका को बहुत नुकसान पहुंचाया हैतस्वीर: Anis Mili/AFP/Getty Images

प्रभावशाली' कृषि पैदावार

ओसीपी ने दूसरे अफ्रीकी देशों के साथ कई साझा उपक्रम शुरू किए हैं जिनके जरिए फॉस्फेट को फॉस्फोरस में तब्दील किया जाता है. ये उर्वरकों का एक मुख्य पोषक तत्व है. कंपनी के पास पहले से 12 अफ्रीकी देशों में सब्सिडियरी हैं जिनमें नाईजीरिया, घाना, आइवरी कोस्ट और सेनेगल शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, ओसीपी के एक कार्यक्रम एग्रीबूस्टर से 6,30,000 से ज्यादा किसानों को फायदा हुआ है जिसके चलते और अधिक फसल उत्पादन हुआ है. नाईजीरिया में मक्का की पैदावार 48 फीसदी बढ़ गई है और सेनेगल में जौ की 63 फीसदी ज्यादा पैदावार हुई है. 

तानचुम ने डीडबल्यू को बताया, "मोरक्को पूरे अफ्रीका में प्रभावशाली कृषि पैदावार हासिल कर पा रहा है और उसकी मदद से महाद्वीप में भोजन संकट को और गहरा करने से रोके हुए है.” फॉस्फेट खनन और उर्वरक उत्पादन, ऊर्जा और पानी की अत्यधिक खपत वाली प्रक्रियाएं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वे मोरक्को के सालाना ऊर्जा आउटपुट का सात फीसदी और जलापूर्ति का एक फीसदी हिस्सा खर्च कर देती हैं.

कई उर्वरकों में एक दूसरा प्रमुख अवयव है नाइट्रोजन जो प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल कर बनाया जाता है. तानचुम का कहना है कि नाइट्रोजन फर्टिलाइजर के उत्पादन की 80 फीसदी लागत प्राकृतिक गैस से आती है.

सौर और पवन ऊर्जा में भी निवेश कर रहा है मोरक्को
सौर और पवन ऊर्जा में भी निवेश कर रहा है मोरक्कोतस्वीर: Fadel Senna/AFP/Getty Images

उर्वरक और खाद्यान्न कीमतों में उछाल

पिछले दो साल से वैश्विक महामारी से हुए लॉकडाउन ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में बाधा पहुंचाई है, उसके चलते कीमतों मे भारी उछाल भी आया. तानचुम का कहना है कि कीमतों में वृद्धि से उर्वरक और खाद्यान्न कीमतों में बढ़ोत्तरी का दुष्चक्र भी शुरू हो जाता है. उनके मुताबिक इससे न सिर्फ फॉस्फेट उत्पादन की लागत पर असर पड़ा है बल्कि सब-सहारा अफ्रीका में भुखमरी की नयी लहर के उभर आने का डर भी बना है.

पर्यावरणीय समूह फॉस्फोरस आधारित उर्वरकों से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं जिससे पेयजल और जलीय जीवन पर असर पड़ता है. तानचुम के मुताबिक ऐसे हालात में नवीनीकृत ऊर्जा अनिवार्य है जो मोरक्को को फॉस्फेट खनन और उर्वरक उत्पादन में वृद्धि को बनाए रखने में मदद कर सकती है. उन्होंने रिपोर्ट में लिखा, "इससे खाद्यान्न-ऊर्जा-जल के संजाल में ऊंची उठती कीमतों के दुष्चक्र से बचा जा सकता है.”

मोरक्को के पास पहले से ही सौर और पवन ऊर्जा के व्यापक संसाधन मौजूद हैं. उनसे देश की 20 फीसदी ऊर्जा जरूरतें पूरी हो ही रही हैं. सरकार ने हाल के वर्षों में जर्मनी के साथ करार किए हैं जिनक तहत दो ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा परियोजनाएं विकसित की जानी हैं. लेकिन दोनों देशों के बीच पश्चिमी सहारा क्षेत्र पर कब्जे को लेकर जारी विवाद से ये योजनाएं अटकी हुई हैं.

झाड़ियां बनीं जमीन की रक्षक

मोरक्को के पास थोड़े से प्राकृतिक गैस संसाधन हैं, इसलिए हरित अमोनिया को संश्लेषित करने में हरित हाइड्रोजन ओसीपी के काम आ सकता है, इसमें नाइट्रोजन की उच्च मात्रा पाई जाती है- जो उर्वरकों का एक प्रमुख अवयव होता है.

तानचुम कहते हैं, "उर्वरक उत्पादन में हरित ऊर्जा का, हरित अमोनिया बनाने के लिए ऊर्जा-स्रोत के रूप में भी और विलवणीकरण में भी, उपयोग, इस दुष्चक्र से बाहर निकलने का एक रास्ता है.”

2022 के दौरान खादान्न में गिरावट बनी रहने वाली है. ऐसे में स्थिर और सस्ती उपज सुनिश्चित कराने में  मोरक्को की भूमिका और भी अहम होगी. भोजन सुरक्षा के लिए खेती न सिर्फ अत्यंत जरूरी है बल्कि अफ्रीकियों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत भी है. अफ्रीकी महाद्वीप की करीब आधी आबादी का रोजगार कृषि क्षेत्र से जुड़ा है.

चीन, तुर्की, रूस और खाड़ी के अरब देश, अफ्रीका में खेती में निवेश बढ़ाने के लिए लालायित हैं. तानचुम के मुताबिक "इससे अमेरिका और यूरोपीय संघ को भी एक अवसर मिला है कि वे महाद्वीप में हरित खाद्यान्न क्रांति में अपनी भूमिका को बढ़ाएं.”

वह कहते हैं, "उसके बिना पश्चिमी देश महाद्वीप में आर्थिक नेतृत्व का निरंतर अवसान होता देखेंगे.”