फिलीपींस में तूफान में 200 मरे
२० दिसम्बर २०२१यह इस साल फिलीपींस में आने वाला सबसे शक्तिशाली तूफान था. इस तूफान में 195 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं और 270 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से हवा के तेज झोंके चल रहे थे.
इसने अभी तक कम से कम 208 लोगों की जान ले ली है. 239 लोग घायल हैं और 52 लापता हैं. आशंका है कि मरने वालों की संख्या में और इजाफा होगा. कई कस्बों और गांवों में बिजली और संचार व्यवस्था ठप हो गई है. व्यव्यस्था को फिर से दुरुस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर मरम्मत का काम चल रहा है.
एक विशालकाय राक्षस जैसा
कई लोगों की तो पेड़ों और दीवारों के गिरने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की वजह से जान चली गई. नेग्रोस ऑक्सीडेंटल प्रांत में एक 57 साल का व्यक्ति एक पेड़ की टहनी से मृत लटका हुआ मिला और एक महिला की हवा ने उड़ा कर जान ले ली.
दिनागत आइलैंड्स की गवर्नर आर्लीन बाग-आओ ने बताया कि उनके टापू पर यह तूफान नवंबर 2013 में आने वाले हैयान तूफान से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली था. उन्होंने कहा, "अगर वो एक वॉशिंग मशीन में धोए जाने जैसा था तो इस बार ये एक विशालकाय राक्षस जैसा था जो हर जगह टकरा रहा था और पेड़ों, तीन की छतों आदि को उठा कर हर जगह फेंक रहा था."
केंद्रीय द्वीपों के प्रांतों में 7,00,000 से ज्यादा लोगों पर तूफान का असर पड़ा, जिनमें से 4,00,000 से भी ज्यादा लोगों को आपात शरण स्थानों में ले जाना पड़ा. डूबे हुए गांवों से हजारों लोगों को बचाया गया. पानी के बढ़ते हुए स्तर से बचने के लिए छतों और पेड़ों पर चढ़ गए थे.
राहत कोशिशें जारी हैं
अधिकारियों ने बताया कि 227 शहरों और कस्बों में बिजली व्यवस्था फिर से बहाल करने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं. अभी तक सिर्फ 21 इलाकों में बिजली फिर से शुरू की जा सकी है. 130 से भी ज्यादा शहरों और कस्बों में मोबिल कनेक्शन भी कट गए थे. इनमें से 106 स्थानों पर उन्हें फिर से जोड़ दिया गया है.
बाग-आओ और दूसरे अधिकारियों को उनके इलाकों में ईंधन के खत्म हो जाने की चिंता सता रही थी. अस्थायी जेनेरेटरों को चलाने की वजह से वजह ईंधन की मांग काफी बढ़ गई है. कई प्रांतों में अधिकारियों ने व्यापक टीकाकरण के लिए टीके की खुराकों को भी पहुंचाया.
प्रशांत महासागर और दक्षिणी चीनी समुद्र के बीच स्थित फिलीपींस में हर साल करीब 20 छोटे बड़े तूफान आते हैं. यह भूकम्पों के लिए सक्रिय "रिंग ऑफ फायर" इलाके में भी पड़ता है, जिसकी वजह से इसे दुनिया का सबसे आपदा संभावित क्षेत्र माना जाता है.
सीके/एए (एपी)