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समानताऑस्ट्रेलिया

अदालत ने म्यूजियम को दिया पुरुषों को प्रवेश देने का आदेश

विवेक कुमार
११ अप्रैल २०२४

ऑस्ट्रेलिया के एक संग्रहालय को अदालत ने आदेश दिया है कि पुरुषों को भी उस प्रदर्शनी में प्रवेश दिया जाए जो अब तक ‘सिर्फ महिलाओं के लिए’ खुली थी.

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होबार्ट स्थित म्यूजियम ऑफ ओल्ड एंड न्यू आर्ट
होबार्ट स्थित म्यूजियम ऑफ ओल्ड एंड न्यू आर्ट में है 'द लेडीज लाउंज'तस्वीर: Rafael Ben Ari/Newson/picture alliance

ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया राज्य के म्यूजियम ऑफ ओल्ड एंड न्यू आर्ट (MONA) को अदालत ने आदेश दिया है कि ‘द लेडीज लाउंज' नाम की प्रदर्शनी में पुरुष दर्शकों को भी प्रवेश दिया जाए. संग्रहालय ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार के बारे में जागरूकता का हवाला देते हुए इस प्रदर्शनी में पुरुषों के आने पर प्रतिबंध लगा रखा था.

जब एक पुरुष दर्शक को म्यूजियम की प्रदर्शनी में आने से रोक दिया गया तो उसने लैंगिक भेदभाव का मुकदमा दर्ज कर दिया. मंगलवार को अदालत ने इस व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संग्रहालय को कहा कि प्रदर्शनी में पुरुषों को भी आने की इजाजत होनी चाहिए.

इस फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए संग्रहालय ने कहा, "हमें इस फैसले से गहरी निराशा हुई है.”

लेडीज लाउंज

‘द लेडीज लाउंज' 2020 में शुरू हुई प्रदर्शनी है जिसे परदों से ढक दिया गया है. इस प्रदर्शनी में पिकासो से लेकर सिडनी नोलन जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित हैं.

प्रदर्शनी को एक पुराने ऑस्ट्रेलियन पब के रूप में डिजाइन किया गया है, जहां 1965 तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. प्रदर्शनी में आने वाली महिलाओं का शैंपेन से स्वागत होता है और उन्हें फाइव स्टार सेवाएं मिलती हैं.

इस प्रदर्शनी में पुरुषों को इजाजत ना देने पर विवाद हुआ था. पिछले साल अप्रैल में न्यू साउथ वेल्स राज्य के रहने वाले जेसन लू नामक व्यक्ति ने मोना की यह प्रदर्शनी देखनी चाही लेकिन उन्हें रोक दिया गया. लू ने तस्मानिया के भेदभाव-रोधी आयोग में शिकायत की, जिसने मामला ट्राइब्यूनल को सौंप दिया.

फैसला सुनाते हुए तस्मानिया के सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (TASCAT) के उपाध्यक्ष रिचर्ड ग्रूबर ने कहा, "लू एक पुरुष हैं और उन्हें लेडीज लाउंज में जाने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वह खुद को एक महिला के रूप में चिह्नित नहीं करते. उन्होंने प्रवेश के लिए पूरा पैसा दिया था लेकिन मोना के भीतर स्थित लेडीज लाउंज को वह नहीं देख पाए. उन्हें प्रवेश ना करने देना सीधा भेदभाव था."

ट्राइब्यूनल ने मोना चलाने वाली कंपनी मूरिला एस्टेट को 28 दिन के भीतर पुरुषों के प्रवेश को वर्जित करने वाला नियम हटाने का आदेश दिया है. ग्रूबर ने कहा, "यह मामला कला के मकसद से जानबूझकर और स्पष्ट तौर पर भेदभाव करने वाली एक कलाकृति और भेदभाव रोकने के लिए बनाए गए कानून के बीच विरोधाभास का है. कारवाजियो से लेकर जेफ कून्स तक कला और कानून के बीच बहुत बार रिश्तों में तनाव रहा है और यह कोई हैरतअंगेज बात नहीं है.”

कला बनाम कानून

लेडीज लाउंज डिजाइन करने वालीं कृषा काएषले मोना के मालिक डेविड वॉल्श की पत्नी हैं. उन्होंने सुनवाई के दौरान गवाही भी दी थी. उन्होंने कहा कि लेडीज लाउंज महिलाओं के खिलाफ उस ऐतिहासिक भेदभाव का जवाब है जिसके तहत उन्हें कई जगहों पर प्रवेश नहीं दिया जाता था.

इस बारे में ग्रूबर ने कहा कि उन्हें (कृषा काएषले) लगता है कि लेडीज लाउंज महिलाओं के लिए एक ऐसी शांतिपूर्ण जगह है जो सिर्फ उनके लिए है लेकिन यहां मामला कानून का है. उन्होंने कहा, "एंटी-डिस्क्रिमिनेशन एक्ट 1998 के तहत लू के साथ भेदभाव हुआ और कानून का कोई हिस्सा इस भेदभाव को जायज नहीं ठहराता.”

मुकदमे की सुनवाई के दौरान काएषले ने ऐसे संकेत दिए थे कि अगर ट्राइब्यूनल उनके खिलाफ फैसला सुनाता है तो वह राज्य की ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकती हैं.

उनकी तरफ से दलील दी गई थी कि पुरुषों को प्रवेश ना देना कलात्मक अभिव्यक्ति है. लेकिन ग्रूबर ने इस अपील को खारिज करते हुए कहा, "यह स्पष्ट नहीं है कि मशहूर कलाकृतियों को देखने से पुरुषों को रोकना यह मकसद कैसे पूरा करता है.”

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