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समाज

मोदी के "किसान सम्मान" से मानेंगे आंदोलनकारी किसान?

आमिर अंसारी
२५ दिसम्बर २०२०

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को किसान सम्मान निधि के तहत 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक की नई किस्त नौ करोड़ किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की. इस दौरान मोदी ने छह राज्यों के किसानों से बातचीत भी की.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/PTI/Twitter

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन का आज तीसवां दिन है. शुक्रवार को आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह राज्यों के करीब दो करोड़ किसानों से वर्चुअल संवाद किया. किसानों से बातचीत के बाद मोदी ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर वाम दलों और कांग्रेस पर निशाना साधा. मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें जनता ने खारिज कर दिया है वे "इवेंट मैनेजमेंट" कर रहे हैं. मोदी ने विशेष तौर पर पश्चिम बंगाल की सरकार पर कहा, "मुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं. लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है." उन्होंने कहा जो दल बंगाल के किसानों के हित में नहीं बोलते वे दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने पर लगे हुए हैं. मोदी ने कहा, "ये लोग देश की अर्थव्यस्था को किसान के नाम पर बर्बाद करने में लगे हुए हैं." गौरतलब है कि मोदी ने पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए खास तौर वहां के किसानों का जिक्र किया.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित किसान संवाद में मोदी ने 18,000 करोड़ रुपये का किसान सम्मान निधि धन नौ करोड़ किसान के बैंक खातों में ट्रांसफर किया. मोदी ने कहा कि अब तक पीएम किसान निधि के तहत एक लाख 10 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम किसानों के खाते में सीधे पहुंच चुकी है, अब ना कोई कमीशन है ना कोई कट है.

किसान आंदोलन पर मोदी ने कहा कि किसानों के बीच झूठ फैलाया जा रहा है और भोल-भाले किसानों को बहकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि नए कृषि कानूनों से किसानों की जमीन चली जाएगी. मोदी ने साथ ही कहा कि सरकार चर्चा के लिए खुले मन से तैयार है. दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान पिछले 30 दिनों से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर दिन और रात आंदोलन कर रहे हैं. किसान संगठनों की सरकार से कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन अब तक नतीजा नहीं निकल पाया है. किसानों का कहना है कि उन्हें इन कानूनों से नुकसान होगा और सरकार का कहना है कि नए कानून उनकी भलाई के लिए ही बनाए गए हैं.

मोदी के भाषण के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, "बीजेपी का कहना है इन कानूनों से किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा, पर फायदा क्या होगा? ये कहते हैं अब किसान मंडी के बाहर कहीं भी फसल बेच पाएगा, पर मंडी के बाहर तो आधे दाम में फसल बिकती है? ये 'फायदा' कैसे हुआ? सच्चाई ये है कि इन कानूनों से ढेरों नुकसान हैं और एक भी फायदा नहीं."

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आंदोलन कर रहे किसानों से विरोध प्रदर्शन खत्म कर सरकार से बातचीत करने की अपील की. तोमर ने कहा कि पंजाब के थोड़े से किसान भ्रमित होकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के दो सांसदों ने सेंट्रल हॉल में उस वक्त नारेबाजी की जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए मोदी पहुंचे थे. आप सांसद संजय सिंह और भगवंत मान ने किसान के समर्थन में नारे लगाए और तीनों कानून को वापस लेने की मांग की. संजय सिंह ने नारेबाजी का वीडियो भी साझा किया है.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं हो रहा है. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की मांग है कि संसद का सत्र बुलाया जाए.

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