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2070 तक नेट-जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा भारत

१ नवम्बर २०२१

भारत ने आखिरकार अपने ग्रीन हाउस उत्सर्जन को नेट-जीरो करने की समयसीमा का ऐलान कर दिया है. लेकिन इसकी एक वजह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा डाला गया दबाव भी था.

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तस्वीर: Christopher Furlong/Pool via REUTERS

भारत ने सोमवार को ग्लासगो में ऐलान किया कि वह 2070 तक कार्बन उत्सर्न को नेट-जीरो करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा. ग्लासगो में जारी जलवायु सम्मेलन कॉप26 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया, जो वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई 2050 की समयसीमा से दो दशक अधिक है.

नरेंद्र मोदी ने भारत की तरफ से देरी का बचाव करते हुए कहा कि देश में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है जबकि वे दुनिया के कुल 5 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए ही जिम्मेदार हैं. ग्लासगो में जमा दुनियाभर के नेताओं को उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा और 2030 तक उसकी आधी ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी होंगी. फिलहाल भारत की कुल ऊर्जा जरूरत का 38 फीसदी हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आता है.

ब्रिटेन का दबाव काम आया?

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत पर लक्ष्यों का ऐलान करने का दबाव डाला. ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया कि सोमवार को एक बैठक के दौरान बोरिस जॉनसन ने भारत को इसके लिए तैयार किया.

दुनिया भर के जंगलों की क्या कीमत है

बयान के मुताबिक यह बैठक मोदी के लक्ष्यों का ऐलान करने से पहले हुई. हालांकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान ऐलान के बाद जारी किया. इसमें कहा गया, "प्रधानमंत्री (बोरिस जॉनसन) को उम्मीद थी कि भारत कॉप26 में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य का ऐलान करेगा क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लक्ष्य को हासिल करने मेंउसकी अहम भूमिका है. उन्होंने भारत को कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर जाने में ब्रिटेन के समर्थन की भी पेशकश की.” हालांकि भारत ने अभी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक है. पिछले हफ्ते ही उसने लक्ष्य तय करने की मांग को खारिज कर दिया था. इसलिए भारत का लक्ष्य का ऐलान बहुत से लोगों के लिए एक अचरज भी रहा.

भारत के पर्यावरण सचिव आरपी गुप्ता ने पिछले हफ्ते कहा था कि शून्य उत्सर्जन जलवायु संकट का हल नहीं है. उन्होंने कहा, "जरूरी यह है कि शून्य उत्सर्जन पर पहुंचने के दौरान आप कितनी कार्बन उत्सर्जित करते हैं.” भारत सरकार की गणना का हवाला देते हुए आरपी गुप्ता ने कहा कि अब से 2050 तक अमेरिका पर्यावरण में 92 गीगाटन कार्बन उत्सर्जित करेगा और यूरोप 62 गीगाटन. उन्होंने कहा कि चीन 450 गीगाटन कार्बन छोड़ चुका होगा.

भारत के पांच लक्ष्य

अपने भाषण में मोदी ने कहा कि दुनिया को पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "बिना सोचे-समझे विनाशकारी उपभोग से हटकर हमें सोच-समझकर उपभोग करने की ओर बढ़ना होगा.”

पैकेजिंग से डायट की ओर अग्रसर होने की बात पर जोर देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "अरबों लोगों का यह चुनाव जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग को अगले स्तर पर ले जा सकता है.”

सोलर की सबसे बड़ी समस्या क्या है?

नरेंद्र मोदी ने 2030 के लक्ष्यों के बारे में कहा, "पहला, 2030 तक भारत अपने गैर-जीवाश्म ईंधनों की क्षमता को 500 गीगावाट तक ले जाएगा. दूसरा, हम अपनी ऊर्जा जरूरतों का आधा नवीकरणीय ऊर्जा से हासिल करेंगे. तीसरा, भारत अब से 2030 तक अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाएगा.”

उन्होंने कहा कि इसके बाद 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था में कार्बन सघनता को 45 प्रतिशत से कम कर लेगा और "2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा.”

देर हो जाएगी

कॉप26 के एक अधिकारी ने भारत के लक्ष्य पर हैरत जताई है, जो चीन से भी दस वर्ष ज्यादा है. चीन ने 2060 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है. नाम न छापने की शर्त पर इस नेता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि भारत से उम्मीद की जा रही थी कि वह 2070 से पहले का लक्ष्य तय करेगा.

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ 2050 का लक्ष्य पहले ही घोषित कर चुके हैं. यानी 2050 तक वे अपने कार्बन उत्सर्जन को उस स्तर पर ले जाएंगे जहां वे उतनी ही कार्बन वातावरण में छोड़ेंगे जितनी कुदरती और अन्य स्रोतों द्वारा सोखी जा सके. इमें कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी की भी भूमिका होगी.

चीन और सऊदी अरब ने 2060 तक अपना कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो करने का ऐलान किया है. हालांकि आलोचक कहते हैं कि तब तक बहुत देर हो जाएगी, इसलिए फौरन ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है.

वीके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)