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मुईजु की भारत यात्रा से क्या बदल गए भारत-मालदीव रिश्ते

चारु कार्तिकेय
८ अक्टूबर २०२४

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू भारत के पांच दिवसीय दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी बातचीत के बाद कई घोषणाएं की गईं, लेकिन यात्रा के सभी उद्देश्य किस सीमा तक पूरे हो पाए हैं, यह कहना मुश्किल है.

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राष्ट्रपति भवन में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू और उनकी पत्नी सजिदा मुहम्मद के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू का भारत में स्वागत किया गयातस्वीर: AP Photo/picture alliance

मुईजू के दिल्ली आने पर उनका स्वागत विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने किया. राष्ट्रपति भवन में उनका और उनकी पत्नी सजिदा मुहम्मद का औपचारिक स्वागत किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों ने उनसे मुलाकात की.

हालांकि स्वागत के दौरान मोदी ने मुईजु को गले नहीं लगाया, सिर्फ उनसे हाथ मिलाए. मोदी दुनियाभर के नेताओं को मिल कर गले लगाने के लिए जाने जाते रहे हैं.

नई दिल्ली में स्थित हैदराबाद हाउस में मोदी और मुईजु के नेतृत्व में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद दोनों नेताओं ने मीडिया के सामने बयान दिए. मोदी ने कहा कि भारत मालदीव के लिए संकट के समय "फर्स्ट रेस्पॉन्डर" यानी सबसे पहले मदद देने वाला देश रहा है, चाहे वो संकट पीने के पानी का रहा हो या कोविड का टीके का.

मुईजु ने अपने बयान में कहा, "मालदीव हमारे देशों और हमारे इलाके की शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध एक मित्र बना रहेगा." दोनों देशों के बीच कई तरह की सहयोग परियोजनाओं की घोषणा की गई. बताया गया कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) पर चर्चा शुरू कर दी गई है. इसके अलावा बेंगलुरु में मालदीव का वाणिज्यिक दूतावास और मालदीव के अद्दू में भारत का वाणिज्यिक दूतावास खोलने पर भी चर्चा शुरू की जाएगी.

एक साल पहले बिगड़े थे रिश्ते

दोनों देशों के रिश्ते नवंबर 2023 में मुईजू के मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही बिगड़ने लगे थे. सत्ता संभालने ही उन्होंने "भारत प्रथम" नीति को समाप्त करने का संकल्प लिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए. मुईजू ने दर्जनों भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने का आदेश भी दिया, जो मालदीव में भारत के कुछ विमानों के रखरखाव के लिए तैनात थे. विमान अभी भी वहीं हैं लेकिन उनके रखरखाव के लिए अब सैनिकों की जगह सिविलियन तैनात हैं.

जनवरी, 2024 में बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलते मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू की छवि चीन के प्रति झुकाव रखने वाले नेता की रही हैतस्वीर: Liu Bin/Xinhua/IMAGO

भारतीय सैनिकों की वापसी के बाद मालदीव ने चीन के साथ एक "सैन्य सहायता" समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके अलावा, मालदीव ने हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण पर भारत के साथ 2019 के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया. साथ ही, 2024 की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने की बात की, तो मुईजू सरकार के कुछ मंत्रियों ने मोदी और भारत के बारे में अपमानजनक बयान दिए.

इसके बाद बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार करने की अपील भी की, जिससे मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई. हालांकि बीते कुछ महीनों से मुईजू सरकार ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में काम करना शुरू किया है.

इसी साल मई में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत आए थे और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की थी. फिर जून में लोकसभा चुनावों के बाद मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए जिन देशों के नेताओं को निमंत्रण दिया गया, उनमें मुईजू भी थे. इस लिहाज से यह मुईजू की पांच महीनों में दूसरी भारत यात्रा है.

भारत से फिर से मिल रहा सहयोग

जानकारों का कहना है कि मुईजू और मोदी की मुलाकात और उसके बाद की गई घोषणाएं दिखाती हैं कि दोनों देशों के रिश्ते नया मोड़ ले रहे हैं. भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के संस्थान मनोहर परिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो गुलबिन सुल्ताना कहती हैं कि भारत ने मालदीव की काफी मदद भी की है और दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्र भी चिन्हित किए गए हैं.

उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "दोनों देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन देन की शुरुआत करने पर सहमत हो गए और यह काफी महत्वपूर्ण होगा, विशेष रूप से ऐसे समय में जब मालदीव विदेशी मुद्रा के संकट से गुजर रहा है." गुलबिन ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि भारत ने मालदीव की अर्थव्यवस्था के विविधीकरण के प्रयासों को भी समर्थन देने का फैसला किया है.

इसके तहत भारत कृषि, मछलीपालन, 'ओशियेनोग्राफी और ब्लू इकॉनमी' जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास में मालदीव का सहयोग करेगा. गुलबिन इसे काफी महत्वपूर्ण घोषणा मानती हैं.

मालदीव की अर्थव्यवस्था इस समय आर्थिक संकट से गुजर रही है. इस साल की पहली तिमाही में मालदीव का विदेशी ऋण 3.37 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 45 प्रतिशत के बराबर है. देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार भी बहुत कम बचा है.

इन हालात में मालदीव की मदद करने के लिए भारत ने मुद्राओं की अदला-बदली के एक समझौते की भी घोषणा की, जिसके तहत भारत मालदीव को 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अलावा 30 अरब रुपयों की मदद देगा. मुईजू ने इसके लिए भारत को शुक्रिया कहा.

वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर का मानना है कि यह समझौता मालदीव के लिए एक बड़ी मदद है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "स्पष्ट है कि दोनों देशों को यह अहसास हो गया है कि उन्हें एक दूसरे की जरूरत है." हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मुईजू जिस उद्देश्य से भारत आए थे वह पूरा हो पाया या नहीं.

भारत आने से पहले उन्होंने बीबीसी को बताया था कि भारत को उसकी वित्तीय हालत की पूरी जानकारी है और "हमारे सबसे बड़े विकास साझेदारों में से एक होने के नाते भारत हमेशा हमारे बोझ को कम करने के लिए तैयार रहेगा."