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पूरे अफ्रीका में खनन से गोरिल्ला, चिम्पांजियों को खतरा

४ अप्रैल २०२४

बड़े पैमाने पर क्लीन एनर्जी की तरफ परिवर्तन की वजह से अफ्रीका में खनन बहुत बढ़ गया है. लेकिन एक नए अध्ययन के मुताबिक खनन की वजह से अफ्रीका के 'ग्रेट एपों' की एक तिहाई से भी ज्यादा आबादी को खतरा बढ़ता जा रहा है.

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जैव-विविधता
जलवायु परिवर्तन रोकने की कोशिश में जैव-विविधता पर भी ध्यान देना जरूरी हैतस्वीर: Terry Whittaker/FLPA/imageBROKER/picture alliance

पत्रिका साइंस एडवांसेज में छपे एक लेख में जर्मन सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोडाइवर्सिटी रिसर्च के वैज्ञानिकों ने लिखा कि 1,80,000 चिम्पांजी, बोनोबो और गोरिल्लाओं को जो खतरा है उसका अभी तक कम आकलन किया गया है.

उनका कहना है कि तांबा, लिथियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ खनिजों की बढ़ती मांग की वजह से अफ्रीका में खनन बाहर बढ़ गया है. प्रदूषण ना फैलाने वाले स्रोतों से बानी ऊर्जा की तरफ व्यापक परिवर्तन के लिए इन खनिजों की जरूरत है.

कैसे किया अध्ययन

खनन के और भी दूसरे सीधे और परोक्ष असर हैं, जैसे सड़कों का निर्माण, ऐसे इलाकों में लोगों को बसाया जाना जहां पहले कोई नहीं रहता था, शिकार और बीमारियों का संभावित संचार.

मोजाम्बिक
मोजाम्बिक में टैंटलम की सबसे बड़ी खदानतस्वीर: Roberto Paquete/DW

इस अध्ययन के लिए इस केंद्र के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने 17 अफ्रीकी देशों में खनन क्षेत्रों से मिले डाटा का इस्तेमाल किया. इन खनन क्षेत्रों में या तो गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं या इस समय उन्हें विकसित किया जा रहा है.

उन्होंने इन क्षेत्रों के इलाकों की ग्रेट एप आबादी के प्राकृतिक वास वाले इलाकों से तुलना की, यह मान कर कि 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले जानवरों पर सीधा असर पड़ा होगा और 50 किलोमीटर के दायरे वाले जानवरों पर परोक्ष असर.

वैज्ञानिकों को पश्चिमी अफ्रीका के लाइबेरिया, सिएरा लियॉन, माली और गिनी देशों में सबसे ज्यादा ओवरलैप मिला. गिनी में चिम्पांजियों के प्राकृतिक वास और खनन में विशेष रूप से मजबूत ओवरलैप मिला.

जैव-विविधता का सवाल

अध्ययन के मुताबिक, 23,000 से ज्यादा चिम्पांजियों पर खनन गतिविधियों का सीधा या परोक्ष असर पड़ने की संभावना है. यह उस इलाके में एप आबादी के 83 प्रतिशत के बराबर है.

कोशिश दुर्लभ गोरिल्लाओं को बचाने की

इस रिपोर्ट पर पर्यावरण संगठन 'री:वाइल्ड' ने कहा, "जीवाश्म ईंधनों से दूर हटना जलवायु के लिए सही और महत्वपूर्ण है", लेकिन यह इस तरह से किया जाना चाहिए कि इससे जैव-विविधता का नुकसान ना हो.

संगठन ने  कहा, "कंपनियों, बैंकों और सरकारों को यह मानने की जरूरत है कि कभी कभी कुछ इलाकों को अनछुआ छोड़ देना जलवायु परिवर्तन को कम करने और भविष्य में महामारियों को रोकने के लिए ज्यादा लाभदायक हो सकता है."

सीके/एए (डीपीए)