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मर्जी से जर्मनी छोड़ने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ी

२९ दिसम्बर २०१६

जर्मनी में अपनी मर्जी से देश छोड़ने वाले प्रवासियों की संख्या साल 2016 में 16 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. इसका एक कारण यह है कि लोग अर्जी खारिज पर होने पर डिपोर्टेशन यानी प्रत्यर्पण से बचना चाहते हैं.

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Mazedonien Flüchtlinge in Gevgelija
तस्वीर: picture-alliance/epa/V. Xhemaj

2016 में 55 हजार प्रवासी अपनी मर्जी से अपने अपने देश लौट गए. जर्मन अखबार ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग ने इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में देश के प्रवासी और शरणार्थी विभाग के अनुमानों का हवाला दिया गया है.

रिपोर्ट कहती है कि अपने देशों को लौट जाने वाले सबसे ज्यादा प्रवासी बाल्कन देशों के थे. अखबार लिखता है कि इन लोगों को शरण मिलने की संभावना बहुत कम थी. लिहाजा इन लोगों ने वापस चले जाना ही ठीक समझा.

तस्वीरों में, कितने यूरोपीय अपने देश से बाहर रहते हैं

जर्मनी में पिछले दो-तीन साल में शरण चाहने वाले भारी तादाद में पहुंचे हैं. इसके बाद पिछले साल देश के कानूनों में बदलाव किया गया और शरण पाना मुश्किल बना दिया गया. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि अफ्रीका और मध्य पूर्व के युद्ध ग्रस्त देशों से लोग एकदम ही भारी तादाद में आ पहुंचे. इस कारण सामाजिक समस्याएं भी सामने आईं. मसलन विदेशी लोगों का समाज में घुलना मिलना एक बड़ी चुनौती बन गया है. इसके अलावा देश में कई आतंकी और आपराधिक गतिविधियों में शरणार्थी शामिल पाए गए. इस कारण सरकार की शरणार्थी नीति को लेकर विरोध भी बढ़ा है जिसके बाद कानूनों को सख्त किया गया. हालांकि जर्मन संविधान ऐसे देश से शरणार्थियों को स्वीकार करने की बात कहता है, जहां युद्ध हो रहा है.

देखिए, प्रवासियों के फेवरेट देश

2016 में अनुमानत: 25 हजार लोगों को प्रत्यर्पित किया गया है. कोई भी शरणार्थी जबरन प्रत्यर्पण से बचना चाहता है क्योंकि यदि किसी को जबरन लौटाया जाता है तो फिर वह कई साल तक जर्मनी की यात्रा नहीं कर सकता.

2016 में जिन लोगों ने अपनी मर्जी से जर्मनी छोड़ दिया उनमें से 15 हजार अल्बानिया के थे. इसके बाद सर्बिया, इराक और कोसोवो के लोग थे. इन देशों के पांच हजार लोग अपनी मर्जी से वापस चले गए.

वीके/एके (डीपीए)