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समाज

जापानी महिलाओं ने लगाई #KuToo की गुहार

७ जून २०१९

जापानी महिलाएं दफ्तरों और काम की दूसरी जगहों पर ऊंची एड़ी के जूते पहनने की मजबूरी से बाहर आना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने याचिका दायर की है.

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Japan Petition zum Verbot weiblicher Kleiderordnungen mit Stöckelschuhe
तस्वीर: picture-alliance/Kyodo

काम की जगह पर ऊंची हील वाले जूते पहनने को मजबूर जापानी महिलाएं इसे बदलना चाहती हैं. 32 साल की एक अभिनेत्री और लेखिका यूमि इशिकावा ने इसके लिए एक अभियान छेड़ा है जिसे #KuToo कहा जा रहा है. जापानी भाषा में जूतों के लिए शब्द है कुत्सु और दर्द को कहते हैं कुत्सू. इसी शब्द को #MeToo की तर्ज पर #KuToo नाम दिया गया है. हाल ही में करीब बीस हजार लोगों के हस्ताक्षर वाली याचिका सरकार को इशिकावा ने सौंपी है. इशिकावा कहती है, "यह लैंगिक भेदभाव है. यह नजरिया रखना कि काम की जगह पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का बाहरी रूपरंग ज्यादा मायने रखता है."

जापान में महिलाओं के लिए काम पर जाने के समय चेहरे पर मेकअप लगाना और पैरों में हील वाले जूते पहनना अच्छा माना जाता है. जापान सरकार को सौंपी याचिका को उन्होंने ऑनलाइन शुरु किया था. उनका विरोध उन कंपनियों के खिलाफ था जिन्होंने महिला स्टाफ के लिए हील वाले जूते पहनना अनिवार्य किया हुआ है.

Japan Gesundhaitsminister Takumi Nemoto
श्रम और स्वास्थ्य मंत्री ताकुमी नेमोटो ने वेषभूषा से जुड़ी ऐसी अपेक्षाओं को समाज के अनुरूप बताया. तस्वीर: picture-alliance/dpa/Kyodo

उनकी याचिका पर सुनवाई करने बैठी एक संसदीय समिति में शामिल हुए कुछ पेशों से जुड़ी सामाजिक अपेक्षाओं का पक्ष लेते हुए हाई हील जूतों के पक्ष में बात की. उन्होंने माना कि कर्मचारियों की सेहत और सुरक्षा तो जरूरी है लेकिन कुछ पेशों में ऊंची एड़ी के जूते पहनना जरूरी होना चाहिए.

हील को लेकर बहस इसी जनवरी में शुरु हुई जब इशिवारा ने ट्विटर पर संदेश लिखकर अपनी नौकरी में हील के जूते पहनने के नियम के बारे में गुस्सा जताया. वह एक कंपनी में पार्ट टाइम रिसेप्शनिस्ट का काम करती थीं. उन्होंने ट्वीट में लिखा, "मुझे अपना काम पसंद है लेकिन हील्स पहनना बहुत कठिन है. " जापानी कानून में लैंगिक बराबरी की गारंटी दी गई है लेकिन इशिवारा जैसे कई लोग लंबे समय से समाज में व्याप्त ऐसे आदर्शों के बारे में शिकायत करते आए हैं जो लैंगिक भेदभाव से ग्रसित हैं.

जापान में पुरुषों के लिए तो ऊंची एड़ी के जूते पहनने का कोई नियम नहीं है. ज्यादातर शर्ट, टाई के साथ सूट पहनते हैं. गर्म महीनों के लिए कई दफ्तरों में "कूल" ड्रेसकोड है, जिसमें पुरुष छोटी बांह के कपड़े पहन सकते हैं और टाई पहनना अनिवार्य नहीं होता. वे दफ्तर के भीतर अपने बाहर वाले जूते बदल कर सैंडल या स्लिपर जैसे आरामदायक फुटवियर पहन लेते हैं. विश्व आर्थिक मंच की लैंगिक बराबरी सूची के अनुसार दुनिया के 149 देशों में जापान 110वें नंबर पर आता है. यानि जापान में महिलाओं और पुरुषों के बीच कई स्तर पर भेदभाव बहुत ज्यादा है.

अमेरिका, कनाडा और यूरोप की महिलाओं ने भी समय समय पर कार्यस्थल पर ड्रेस, मेकअप और हाई हील के जूतों की अनिवार्यता का विरोध किया है. 2016 में ब्रिटेन में ऊंची एड़ी वाले जूतों को लेकर नौकरी से निकाले जाने के बाद निकोला थॉर्प नाम की महिला ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था. उनकी याचिका को पचास हजार से भी ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर कर समर्थन दिया था. समर्थन मिलने के बावजूद सरकार ने इस बारे में कंपनियों को रोकने के लिए कोई कानून नहीं बनाया.

कई बार तो कंपनियों के ऐसा कोई नियम ना बनाने पर भी कार्यस्थल पर मेकअप और हाई हील के जूते पहनना समाज और परंपरागत अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए जरूरी हो जाता है.

हील के समर्थन में आए मंत्री के बयान के बाद इशिवारा ने कहा, "लगता है कि पुरुष सचमुच समझते ही नहीं हैं कि ऊंची एड़ी वाले जूते पहनना कितना दर्दनाक और घायल करने वाला हो सकता है." जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वे अभी भी याचिका पर विचार कर रहे हैं. 

आरपी/एनआर (एपी, रॉयटर्स)

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