मैर्केल के सामने बदले अंतरराष्ट्रीय राजनीति के चेहरे
अपने सामने हर देश और उसके साथ बदलते रिश्तों को कुछ ही राष्ट्रप्रमुख लंबे समय तक देख पाते हैं. अंगेला मैर्केल के 16 साल के कार्यकाल के दौरान भारत, अमेरिका, रूस और चीन समेत कई देशों में निर्णायक सत्ता परिवर्तन हुए.
अमेरिका में रोलर कोस्टर
नवंबर 2005 में 51 साल की उम्र में अंगेला मैर्केल जब जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं तब अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे. फिर बराक ओबामा (2009-2017) और उसके बाद डॉनल्ड ट्रंप (2017-2021) अमेरिका के राष्ट्रपति बने. जाते जाते मैर्केल ने जो बाइडेन को अमेरिका का राष्ट्रपति बनते हुए देखा.
भारत में दो बदलाव
फिजिक्स से पीएचडी कर चुकीं डॉक्टर अंगेला मैर्केल, बतौर चासंलर पहली बार भारत के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मिलीं. 2014 के चुनावों में भारतीय जनता ने जनादेश नरेंद्र मोदी को दिया. मोदी के कार्यकाल में भारत और जर्मनी के रिश्तों को नई रफ्तार मिली.
रूसी अदला बदली
रूसी भाषा जानने वाली मैर्केल ने अपने सामने रूस में सत्ता का खेल भी देखा. लगातार दो कार्यकालों की संवैधानिक रोक के कारण 2008 में व्लादिमीर पुतिन ने दिमित्री मेद्वेदेव को राष्ट्रपति बना दिया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. 2012 में व्लादिमीर पुतिन फिर से रूसी राष्ट्रपति बन गए.
फ्रांस में चार बदलाव
जर्मन चासंलर के तौर पर 2005 में मैर्केल पहले विदेश दौरे पर फ्रांस गई. तब फ्रांस के राष्ट्रपति जाक शिराक थे. फिर निकोला सारकोजी आए, उनके बाद फ्रांसुआ ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति बने. 2017 में इमानुएल माक्रों फ्रांस के राष्ट्रपति बने और सबसे पहले मैर्केल से मिलने पहुंचे.
चीन में हू से शी
2003 से 2013 तक हू जिनताओ चीन के राष्ट्रपति रहे. हू के दौर में चीन और जर्मनी के आर्थिक रिश्ते परवान चढ़े. हू के बाद राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग के साथ भी मैर्केल की शुरुआत में अच्छी ट्यूनिंग रही. लेकिन चीन के आक्रामक सैनिक रुख के कारण धीरे धीरे इन संबंधों में संदेह पैदा होने लगे.
रोम में इटैलियन ड्रामा
मैर्केल ने यूरोप में सबसे ज्यादा सत्ता परिवर्तन इटली में ही देखा. बतौर चांसलर मैर्केल का सामना इटली के रंगीन मिजाज प्रधानमंत्री सिल्वियो बैर्लुस्कोनी से खूब हुआ. मैर्केल ने अपने कार्यकाल के दौरान इटली के सात प्रधानमंत्री देखे.
ब्रिटेन में ब्लेयर से ब्रेक्जिट तक
मैर्केल जब चांसलर बनी तब जॉर्ज डब्ल्यू बुश के करीबी टोनी ब्लेयर ब्रिटेन के पीएम थे. फिर गॉर्डन ब्राउन और डेविड कैमरन प्रधानमंत्री बने. दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावी रणनीति बनाते हुए कैमरन ने ब्रेक्जिट के लिए जनमत संग्रह का वादा किया. मामूली अंतर से ब्रेक्जिट हो गया. ब्रेक्जिट के बवंडर में कैमरन और थेरेसा मे जैसे पीएम उड़ गए. बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में ब्रिटेन अलग हो गया.
जापान में नौ चेहरे
2001 में जापान के पीएम बने जूनीचिरो कोईजूमी ने 2006 में त्यागपत्र देकर अपनी ही पार्टी के शिंजो आबे के लिए रास्ता साफ किया. आबे दो किस्तों में जापान के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन मैर्केल के सामने जापान ने पीएम के तौर पर आठ चेहरे देखे.