मास्टकार्ड पर मंडराता महामुकदमा
९ सितम्बर २०१६मास्टर कार्ड पर आरोप है कि उसने 16 साल तक ग्राहकों से बहुत ज्यादा फीस वसूली. 1992 से 2008 के बीच कंपनी ने लाखों बार लेन देन किया और हर बार ज्यादा फीस वसूली. वाल्टर मेरिक्स ने लॉ फर्म क्विन एमानुएल की मदद से यह याचिका दायर की है. फर्म ने कंपटीशन अपील ट्राइब्यूनल में केस डाला है.
यह ब्रिटेन के कानूनी इतिहास की सबसे बड़ी वित्तीय याचिका है. अगर मास्टरकार्ड कंपनी हारी तो उसे ब्रिटेन के 4.6 करोड़ मास्टकार्ड यूजर्स को पैसा लौटाना होगा. मेरिक्स का कहना है, "क्लेम फाइल करना वह पहला कदम है जिसके तहत मास्टरकार्ड ने जो किया उसका हर्जाना ग्राहकों को मिलेगा." ब्रिटेन के नए कंज्यूमर एक्ट के मुताबिक जिन ग्राहकों ने यह शुल्क चुकाया और जो ब्रिटेन में रह रहे हैं, वे भी इस मुकदमे के लाभार्थी बन जाएंगे यानि वो भी हर्जाने के हकदार होंगे.
(क्रेडिट कार्ड वालों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां)
ब्रिटेन में दायर मुकदमे के जवाब में मास्टरकार्ड ने बयान जारी किया है. कंपनी का कहना है कि, "हम दृढ़ता के साथ क्लेम के आधार को अस्वीकार करते हैं और हम पूरी ताकत से इसका विरोध करना चाहते हैं."
2014 में यूरोपीय संघ की सर्वोच्च अदालत ने साफ किया था कि फीस यूरोपीय संघ के एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन करती है. मेरिक्स ने इस फैसले को भी याचिका का आधार बनाया है. ट्राइब्यूनल का फैसला इस साल के अंत में आएगा. अगर याचिका स्वीकार की गई तो मास्टरकार्ड के खिलाफ 2018 में मुकदमा चलेगा. आशंका है कि मास्टरकार्ड पर ऐसे ही मुकदमे दूसरे देशों में भी चलाए जा सकते हैं.
(दुनिया भर में बदनाम हो चुकी कंपनिियां)